क्रिकेट के मुकाबले में अगर अपने अनुकूल पिच बनी हो, खिलाडिय़ों और टीम अधिकारियों का भरपूर सहयोग हो तो बल्लेबाजी और जीत शायद आसान हो जाती है। लेकिन तीसरी बार भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) का अध्यक्ष बनने की तैयारी में जुटे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के चेयरमैन नारायणस्वामी श्रीनिवासन की इन सारी कवायदों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने गुगली एवं बाउंसर गेंदबाजी और मजबूत क्षेत्ररक्षण का ऐसा चक्रव्यूह रच दिया कि उनके लिए क्रिकेट की पिच पर अब दिखना ही असंभव हो गया है। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल)-6 में सट्टेबाजी और स्पॉट फिक्सिंग पर मुद्गल समिति की रिपोर्ट की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने श्रीनिवासन और बीसीसीआई के अधिकारियों को क्रिकेट की भाषा में ही कड़ी चेतावनी दी है लेकिन व्यावसायीकरण से क्रिकेट का कत्ल करने पर उतारू बीसीसीआई को शायद ही यह भाषा समझ में आ पाए क्योंकि उसका रवैया तो खेल भावना से बेपरवाह और अनजान ही रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने श्रीनिवासन से स्पष्ट करने को कहा है कि एक साथ बोर्ड प्रमुख और आईपीएल टीम (चेन्नई सुपरकिंज्स) के मालिक के पद का एक साथ कैसे निर्वाह कर सकते हैं, क्या इसमें हितों का टकराव नहीं हो रहा। चेन्नई सुपरकिंज्स (सीएसके) के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि इस टीम पर इतने दाग लग चुके हैं कि बिना किसी और जांच के इस टीम को हटा देना चाहिए। इस मामले में बीसीसीआई पर भी अंगुली उठाई गई है कि जब गड़बडिय़ां मिलीं तो सीएसके को आईपीएल से बाहर क्यों नहीं किया गया। शीर्ष अदालत ने बीसीसीआई का तत्काल चुनाव कराने का आदेश देते हुए कहा कि इस प्रकरण में जितने भी नामों पर अंगुलियां उठाई गई हैं, वे सभी चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकते। इससे जाहिर हो गया है कि श्रीनिवासन अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ सकते।
इससे पहले न्यायमूर्ति मुकुल मुद्गल समिति की रिपोर्ट में श्रीनिवासन के दामाद और सीएसके के अधिकारी रह चुके गुरुनाथ मयप्पन को सट्टïेबाजी में शामिल पाया गया था। सीएसके पर मालिकाना हक रखने वाली इंडिया सीमेंट्स कंपनी में श्रीनिवासन प्रबंध निदेशक हैं। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट ने इंडिया सीमेंट्स में श्रीनिवासन के परिजनों की हिस्सेदारी का भी ब्योरा मांगा है और पूछा है कि सीएसके में 400 करोड़ के निवेश का फैसला किसका था। मुद्गल समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए अदालत ने बीसीसीआई को भी फटकार लगाई थी। श्रीनिवासन की ओर से बीसीसीआई के वकील ने अपील की थी कि मैच फिक्सिंग और सट्टïेबाजी के आरोपों से मुक्त होने के कारण श्रीनिवासन को अध्यक्ष पद पर फिर से काम करने दिया जाए और चुनाव लडऩे दिया जाए। इस क्लीन चिट पर शीर्ष अदालत ने बीसीसीआई पर सख्त टिप्पणी की और कहा कि आप तो क्रिकेट को ही मारने पर तुले हुए हैं। क्लीन चिट मिलने से श्रीनिवासन की भूमिका पर उठ रहे सवाल खत्म नहीं हो जाते और उनके हितों के टकराव का मामला दब नहीं जाता। इंडिया सीमेंट्स के मालिकाना हक वाली चेन्नई सुपरकिंज्स की कमान किसके हाथ में है, श्रीनिवासन को यह ब्योरा भी सुप्रीम कोर्ट में देना होगा। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, 38 पन्नों की मुद्गल समिति की रिपोर्ट में लगभग एक दर्जन पूर्व और मौजूदा भारतीय एवं अंतरराष्ट्रीय खिलाडिय़ों को अरबों डॉलर की फिक्सिंग और सट्टïेबाजी में दोषी पाया गया है। इस घिनौने कारनामे में खिलाड़ी, प्रशासक, राजनेता, फिल्मी सितारे और कॉर्पोरेट हस्तियों समेत कई नामी-गिरामी लोगों के नाम जुड़े पाए गए हैं। रिपोर्ट में दोषी खिलाडिय़ों को 'इनडिविजुअल 2Ó और 'इनडिविजुअल 3Ó से संबोधित करते हुए नाम तो नहीं बताए गए हैं लेकिन उनके बारे में कहा जाता है कि वे क्रिकेट अकादमी चलाते हैं, अस्पताल उद्योग और इवेंट मैनेजमेंट तथा विज्ञापन कंपनियों में उनकी हिस्सेदारी है। इन कंपनियों में उनके भागीदार भी वही लोग हैं जिनका ताल्लुक सट्टïेबाजों से है या फिर वे खुद सट्टïेबाज हैं। सुप्रीम कोर्ट में स्पॉट फिक्सिंग मामले की पहली बार सुनवाई के दौरान महेंद्र सिंह धोनी का भी नाम लिया गया और अदालत ने कहा कि सीएसके के कप्तान की इंडिया सीमेंट्स में उपाध्यक्ष की दोहरी भूमिका भी चिंता का विषय है।
केंद्रीय खेल मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने स्पॉट फिक्सिंग मामले पर चिंता जताते हुए कहा कि दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, 'मैं पहले भी कह चुका हूं कि पूरे खेल समुदाय के लिए यह चिंता का विषय है। पूरी रिपोर्ट का इंतजार है, इसके बाद कसूरवारों को उचित सजा दिलाने की कोशिश होगी।Ó सुप्रीम कोर्ट में बचाव पक्ष के वकील कपिल सिब्बल ने जब दलील दी, 'उनके मुवक्किल (श्रीनिवासन) के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं हैंÓ तो न्यायमूर्ति टी. एस. ठाकुर ने करारा जवाब दिया, 'नहीं, आप अनुमान लगा रहे हैं। यदि आप किसी मामले में संलिप्त नहीं हैं लेकिन आपका कोई करीबी (मयप्पन) आपसे जुड़ा हुआ है तो सवाल यही उठेगा कि क्या इन सबके बावजूद आपको बीसीसीआई का अध्यक्ष बना रहने दिया जाए? आपके अधिकारी भी इसमें संलिप्त हैं जो आपको प्रभावित कर सकते हैं। कृपया समिति की रिपोर्ट के निष्कर्षों पर सिर्फ न जाएं, इसमें काफी कुछ संकेत है।Ó सुनवाई के दौरान बिहार क्रिकेट एसोसिएशन की वकील नलिनी चिदंबरम ने धोनी के बारे में कहा, 'चेन्नई सुपरकिंज्स के 11 खिलाडिय़ों का चयन धोनी ही करते थे। पूरी टीम उनके हिसाब से खेलती थी।Ó इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'यह क्रिकेट के लिए बहुत दुखद है कि एक खिलाड़ी के इशारे पर पूरी टीम खेल रही हो। इस मामले की भी जांच की जाएगी कि सीएसके को कौन नियंत्रित कर रहा है? मयप्पन को जांच समिति ने सट्टïेबाजी में लिप्त पाया है। बीसीसीआई सीएसके की मान्यता क्यों नहीं रद्द कर रही है? आप कैसे कह सकते हैं कि हितों का टकराव नहीं है। इस मामले में आगे जांच की जरूरत नहीं रह गई है।Ó
मुद्गल समिति की जांच के दौरान पूछताछ में बाएं हाथ का एक हरफनमौला खिलाड़ी तो रो ही पड़ा। लिहाजा उनकी संलिप्त नहीं होने पर कोई संदेह नहीं रह जाता क्योंकि वह समिति के समक्ष गिड़गिड़ाता रहा कि उसका नाम जाहिर न किया जाए, यह उसके कॅरिअर और प्रतिष्ठा का सवाल है। इसी क्रिकेटर के एक करीबी और विश्व कप टीम का हिस्सा रहे खिलाड़ी ने भी समिति के समक्ष दया याचना की। क्रिकेट के मैदान में कई बार वापसी कर चुका एक गेंदबाज भी आरोपी पाया गया जो अपने गृह राज्य से ज्यादा वक्त मुंबई में ही बिताता है। इसी तरह मुद्गल रिपोर्ट में सीएसके के एक और ऐसे खिलाड़ी पर अंगुली उठी है जो रन बटोरने में उस्ताद माना जाता है और अपने दो करीबी सट्टïेबाजों के साथ कई बार शिरडी साईं मंदिर में देखे गए हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इन खिलाडिय़ों का नाम जाहिर नहीं करने का आदेश दिया है लेकिन उसके कड़े फैसले से कई खिलाडिय़ों के कॅरिअर पर विराम चिह्नï लगना तय माना जा रहा है।
क्रिकेट किंग और सुपरकिंग्स का खेल खत्म
श्रीनिवासन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने गुगली एवं बाउंसर गेंदबाजी और मजबूत क्षेत्ररक्षण का ऐसा चक्रव्यूह रच दिया कि उनके लिए क्रिकेट की पिच पर अब दिखना ही असंभव हो गया है। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल)-6 में सट्टेबाजी और स्पॉट फिक्सिंग पर मुद्गल समिति की रिपोर्ट की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने श्रीनिवासन और बीसीसीआई के अधिकारियों को क्रिकेट की भाषा में ही कड़ी चेतावनी दी है
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