नई खेल नीति में अब उन्हीं खिलाडिय़ों को अनुदान मिलेगा जो खेलेंगे देश के लिए
कई खेल अकादमियों के गठन के साथ ही मणिपुर में राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय का गठन होगा। खेल प्रतिभाएं निखारने के लिए हरसंभव सहायता दी जाएगी।- सर्बानंद सोनोवाल, खेल मंत्री
राजेश रंजन
सवा सौ करोड़ की आबादी वाले देश को ओलिंपिक का एक भी स्वर्ण पदक नहीं हो और पदक तालिका में 50 देशों के बाद उसका स्थान आए तो उस देश की खेल संस्कृति का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों में भी चीन के मुकाबले भारत की स्थिति बहुत खराब ही है। देश में पैदा हुए खिलाडिय़ों का यह आलम है कि या तो वे यहां की व्यवस्था से तंग आकर या फिर अपना मुकाम बनाने की कोशिश में राष्ट्रीय ध्वज के नीचे खेलने से इनकार कर देते हैं। इंचियोन में संपन्न एशियाई खेलों में भारत को पदक तालिका में आठवां मुकाम ही नसीब हो पाया। टेनिस के कुछ खिलाडिय़ों और भारतीय क्रिकेट टीम यदि एशियाई खेलों में हिस्सा लेने को तैयार हो जाती तो देश को कुछ और पदक मिलना तय था। मजे की बात है कि टेनिस के जिन खिलाडिय़ों- लिएंडर पेस, रोहन बोपन्ना और सोमदेव बर्मन- ने एशियाई खेलों में हिस्सा लेने से मना कर दिया था, वे खिलाड़ी ही उसी दौरान एटीपी टूर्नामेंट में खेलने चले गए। भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में गठित नई सरकार के खेल मंत्रालय ने इन्हीं सब बातों को गंभीरता से लेते हुए कुछ सख्त नीतियों की पहल की है। अगले आठ वर्षों के दौरान होने वाली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) ने कुछ रणनीतिक योजनाएं तैयार की है। खेल मंत्रालय ने उन सभी खिलाडिय़ों से आह्वान किया है कि अगर सरकारी अनुदान चाहिए तो उन्हें देश के लिए खेलना अनिवार्य होगा। सरकार के इस कदम का भारतीय ओलिंपिक संघ (आईओए) ने भी समर्थन किया है।
खेल प्राधिकरणों और संघों में पारदर्शिता लाने के लिए मंत्रालय ने सभी खेल संस्थाओं को अंकेक्षित वार्षिक खाते और बैलेंस शीट हर साल जून तक अपनी-अपनी वेबसाइट पर डालने के निर्देश दिए हैं। निर्देशों का पालन नहीं किए जाने पर उन संस्थाओं की वित्तीय मदद रोकी जा सकती है। इस बारे में खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सर्बानंद सोनोवाल का कहना है कि हमारे खिलाडिय़ों में अपार संभावनाएं हैं और सरकार उनकी प्रतिभा को निखारने के लिए उन्हें हरसंभव सहायता प्रदान करेगी। खेलों के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के लिए कई पहल की गई है। उन्होंने कहा, 'विभिन्न खेलों के लिए राष्ट्रीय खेल अकादमियां बनाई जा रही हैं। सब जूनियर और जूनियर स्तर पर खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए देश के अलग-अलग स्थानों पर जूनियर खेल अकादमी की स्थापना की जाएगी। मणिपुर में एक राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय की स्थापना की जा रही है और जम्मू-कश्मीर में खेलों के अधोसंरचना विकास के लिए एक विशेष पैकेज की घोषणा की गई है।Ó मंत्रालय कई खेलों में विदेशी कोच या प्रशिक्षक रखने के भी खिलाफ है। खेल मंत्री का मानना है कि भारतीय कोच किसी भी लिहाज से विदेशी कोच से कम नहीं हैं और उन्हें ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलने चाहिए।
भारतीय ओलिंपिक संघ के अध्यक्ष एन. रामचंद्रन का कहना है कि सरकारी अनुदान के कारण ही खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले पाते हैं, लिहाजा एशियाई खेलों और ओलिंपिक खेलों में खेलने से इनकार करना उनके लिए उचित नहीं है। लेकिन क्रिकेट जैसे खेलों के लिए यह सख्ती तो सही है लेकिन टेनिस में रेटिंग प्वाइंट जुटाने के लिए खिलाडिय़ों को एटीपी जैसे टूर्नामेंट खेलना जरूरी हो जाता है। वहीं ओलिंपिक 2012 के बाद टेनिस खिलाडिय़ों को सरकार की ओर से कोई अनुदान भी नहीं मिला है जबकि हर बड़ी प्रतियोगिता से पहले सरकार खेल संघों को अनुदान की मोटी रकम देती है। लिहाजा ऐसे खिलाडिय़ों की मजबूरी समझने के साथ ही खेल मंत्रालय और साई के लिए खेल संस्थाओं में पारदर्शिता रखना भी जरूरी है। मंत्रालय खेल संघों के प्रति भले ही सख्त कदम उठा रहा है लेकिन यह देशहित में है। मंत्रालय का कहना है कि राफेल नडाल, रोजर फेडरर और नोवाक जोकोविच जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के पेशेवर खिलाडिय़ों की तरह ही अब अपने देश के खिलाडिय़ों को भी समझना चाहिए कि देशहित पर पैसों को तरजीह देना जायज नहीं है। नई खेल नीति में एक दिक्कत यह आ सकती है कि टेनिस खिलाड़ी अपनी रेटिंग सुधारने वाली प्रतियोगिताओं में हिस्सा न लेने पाएं। दूसरी तरफ, भारतीय खेल संघों के प्रति बढ़ते अंतरराष्ट्रीय भेदभाव से भी खिलाडिय़ों को दो-चार होना पड़ता है। एशियाई खेलों में भारतीय मुक्केबाज सरिता देवी का मामला अब जगजाहिर हो चुका है। इस बारे में सोनोवाल ने उचित कदम उठाने का आश्वासन दिया लेकिन केंद्रीय गृहराज्य मंत्री किरण रिजिजू का कहना था कि सरिता देवी के साथ अन्याय हुआ है और यह दुर्भाज्यपूर्ण है। मुक्केबाज संघ को तत्काल विरोध दर्ज करना चाहिए और सरिता देवी के सम्मान का ख्याल रखना चाहिए। खेल मंत्रालय ऐसे अंतरराष्ट्रीय मामलों पर भी उपयुक्त कदम उठाने की तैयारी कर रहा है ताकि भारतीय खिलाडिय़ों को शर्मिंदगी न झेलनी पड़े। वहीं अखिल भारतीय टेनिस संघ का चुनाव सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार कराए जाने की कोशिश की जा रही है ताकि संघ की मान्यता पर किसी तरह का आंच न आने पाए। खिलाडिय़ों को समय पर अनुदान दिए जाने की कोशिश की जा रही है। इसके पीछे मंत्रालय की दलील है कि सही वक्त पर अनुदान मिलने से खिलाड़ी बेहतर योजना बना सकते हैं और देश के लिए बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।