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अलविदा मुहम्‍मद अली : पूरे कैरियर में सहे 29000 मुक्के, कमाए 5.7 करोड़ डॉलर

दुनिया में मुक्‍केबाजी के पर्याय मुहम्‍मद अली ने एक बार गणना की थी कि उन्होंने अपने पेशेवर करियर में 29,000 मुक्के सहे और पांच करोड़ 70 लाख डालर की कमाई की। उनके मुक्के दमदार होते थे और अपनी तेजी की वजह से प्रतिद्वंद्वी को हतप्रभ करने में माहिर भी थे। इस हैवीवेट चैंपियन ने अपने मुक्‍कों से दुनिया को रोमांचित करने का वादा किया और फिर वह इसमें सफल भी रहे। यहां तक कि मुक्के खाने की वजह से उन्‍हें पार्किन्‍संस हो गया था। वह इस वजह से बमुश्किल बात कर पाते थे तब भी वह लोगों को प्रभावित करते थे।
अलविदा मुहम्‍मद अली :  पूरे कैरियर में सहे 29000 मुक्के, कमाए 5.7 करोड़ डॉलर

अपने करारे मुक्कों के कारण अली ने दो दशक तक मुक्केबाजी में अपनी बादशाहत बनाए रखी लेकिन इस बीच उन्होंने अपने सिर पर भी हजारों मुक्के सहे जिसके कारण बाद में उन्हें पर्किन्सन बीमारी ने उन्हें जकड़ लिया। यह 1981 की बात है जब इस बीमारी से उनका मजबूत शरीर कमजोर सा हो गया था। उनकी जादुई आवाज लगभग बंद हो गयी थी।

सेना में भर्ती होने से कर दिया था इंकार

उन्होंने कई ऐतिहासिक मुकाबलों में हैवीवेट चैंपियनशिप जीती और बाद में उनका बचाव किया। उन्होंने अश्वेत लोगों के पक्ष में अपनी आवाज उठायी और इस्लाम में विश्वास करने के कारण वियतनाम युद्ध के दौरान सेना में भर्ती होने से इन्कार कर दिया था।

नस्लभेद के खिलाफ उठाई आवाज

बीमारी के बावजूद वह दुनिया भर का दौरा करते रहे लेकिन आंखों की भाषा और मुस्कान से लोगों तक अपनी बात पहुंचाते रहे। मोहम्मद अली का जन्म 17 जनवरी 1942 को हुआ था। उन्होंने 12 साल की उम्र में मुक्केबाजी शुरू कर दी थी क्योंकि किसी ने उनकी नई साईकिल चोरी कर ली थी और उन्होंने पुलिसकर्मी जो मार्टिन के सामने कसम खायी थी जिस व्यक्ति ने भी उनकी साईकिल चोरी की वह उसे अपने घूंसे से करारा मजा चखाएंगे। तब अली का वजन केवल 89 पाउंड था लेकिन मार्टिन ने उन्हें अभ्यास कराना शुरू किया। इससे उनके छह साल के एमेच्योर करियर की शुरूआत हुई जिसका अंत 1960 में लाइट हैवीवेट ओलंपिक स्वर्ण पदक के साथ हुआ। उन्होंने इसके बाद नस्लभेद के खिलाफ भी आवाज उठानी शुरू कर दी थी।

अपनी आत्मकथा द ग्रेटेस्ट में अली ने लिखा कि जब मोटरसाईकिल पर सवार श्वेत लोगों के समूह ने उनके साथ झगड़ा किया तो उन्होंने यह पदक ओहियो नदी में फेंक दिया था। यह कहानी मनगढ़ंत हो सकती है और अली ने बाद में दोस्तों से कहा कि उनका पदक असल में खो गया था। जब वह अपने चरम पर थे तब उनका कद छह फुट तीन इंच और वजन 210 पाउंड था। उन्होंने इस तरह से अपने हैवीवेट मुकाबले लड़े जैसे पहले कभी कोई नहीं लड़ा था।

लिस्टन, फोरमैन और फ्रेजियर को चटाई धूल

उन्होंने खतरनाक सोनी लिस्टन को दो बार धूल चटायी। मजबूत जार्ज फोरमैन को जायरे में हराया और फिलीपीन्स में जो फ्रेजियर से लड़ते हुए मौत के मुंह से वापस लौटे। उन्होंने हर किसी से मुकाबला किया और लाखों डालर बनाये। उनके मुकाबले इतने लोकप्रिय होते थे कि उन्हें जंगल में गड़गड़ाहट और मनीला में रोमांच जैसे नाम दिये जाते थे।

हमेशा कहते थे, मैं महानतम हूं

अली हमेशा कहते थे, मैं महानतम हूं। और उनसे शायद कुछ ही लोग असहमत रहे होंगे।           उनका जन्म कासियस मार्सेल्स क्ले के रूप में हुआ था लेकिन 1964 में लिस्टन को हराकर हैवीवेट खिताब जीतने के बाद उन्होंने यह घोषणा करके मुक्केबाजी जगत को हैरानी में डाल दिया कि वह अश्वेत मुस्लिमों के सदस्य हैं और उन्होंने बाद में अपना नाम बदल दिया। दुनिया इसके बाद उन्हें मोहम्मद अली के नाम से ही जानती रही।

इलाज में चली गई अधिकांश कमाई

अली ने एक बार गणना की थी कि उन्होंने अपने पेशेवर करियर में 29,000 मुक्के सहे और पांच करोड़ 70 लाख डालर की कमाई की। उन पर मुक्कों का प्रभाव लंबे समय तक रहा और उनकी अधिकतर कमाई इसमें चली गयी। इसके बावजूद वह इस्लाम के प्रचार में जुटे रहे और दुनिया भर के नेताओं से मिलते रहे। हाल के वर्षों में भी उन्होंने कुछ दौरे किये जिनमें 2012 में लंदन ओलंपिक का दौरा भी शामिल है।

अपनी बेबाक टिप्पणियों और 1960 के दशक में अमेरिकी सेना में भर्ती होने से इन्कार करने के बावजूद अली का जादुई प्रभाव लोगों पर बना रहा और उन्होंने जिस किसी भी खेल प्रतियोगिता में हिस्सा लिया लोगों ने खड़े होकर उनका अभिवादन किया। अली की चार पत्नियां थी। उनकी पहली पत्नी सोंजी रोई थी जिनके साथ उनका साथ केवल दो साल रहा। उन्होंने अपना धर्म बदलने के बाद 17 वर्षीय बेलिंडा बायड से शादी की थी। बेलिंडा से उनके चार बच्चे थे। उनकी तीसरी पत्नी वरोनिका पोर्श थी जिनसे उनके दो बच्चे थे। अपनी चौथी पत्नी लोनी विलियम्स के साथ मिलकर उन्होंने एक पुत्र को गोद लिया था।

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