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240 दिव्यांगजन बने आत्मनिर्भर, समाज से जुड़ने की मिली नई राह

मनुष्य का जीवन तभी सार्थक होता है जब उसका अस्तित्व दूसरों के जीवन में प्रकाश और आशा भर सकें। इसी दिव्य...
240 दिव्यांगजन बने आत्मनिर्भर, समाज से जुड़ने की मिली नई राह

मनुष्य का जीवन तभी सार्थक होता है जब उसका अस्तित्व दूसरों के जीवन में प्रकाश और आशा भर सकें। इसी दिव्य ध्येय को साकार करते हुए संस्थान ने इंदौर में नारायण लिंब एवं कैलिपर्स फ़िटमेंट शिविर आयोजित किया। यह केवल एक चिकित्सा शिविर नहीं, बल्कि असंख्य टूटे सपनों और ठहरी हुई ज़िंदगी को फिर से गति देने का एक सेवापर्व था।

इस शिविर में 240 से अधिक दिव्यांगजन कृत्रिम अंग पाकर एक बार फिर अपने पैरों पर खड़े ही नहीं हुए बल्कि अपने पैरों पर दौड़ते हुए, रस्साकशी सहित कई खेल खेले। जिन पैरों ने वर्षों पहले चलना छोड़ दिया था, वे आज फिर से जीवन की राह पर चल पड़े है। जिनके चेहरे पर निराशा की लकीरें थीं, वहाँ अब आत्मविश्वास और प्रसन्नता की उजली मुस्कान खिली।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संसदीय कार्य मंत्री एवं भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने शिविर में आए दिव्यांगजनों से कहा कि "आप सभी अपनी हिम्मत और आत्मविश्वास से समाज के लिए प्रेरणा हैं। सरकार और नारायण सेवा संस्थान मिलकर आपको मुख्यधारा से जोड़ने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। आप सबके जीवन में आगे बढ़ने और आत्मनिर्भर बनने के लिए हर संभव सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। शिविर की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन से हुई। मंचासीन अतिथि - मुख्य अतिथि कैलाश विजयवर्गीय, समारोह अध्यक्ष तुलसी सिलावट, विशिष्ट अतिथि आचार्य श्री राजेश मुनि जी महाराज, समाजसेवी पारसमल कटारिया और अनिल भंडारी का संस्थान निदेशक वंदना अग्रवाल एवं पलक अग्रवाल ने मेवाड़ी परंपरा से स्वागत किया।  

समारोह की अध्यक्षता मध्यप्रदेश शासन के जल संसाधन मंत्री ने लाभार्थी दिव्यांगों को संबोधित करते हुए कहा –आप सभी जीवन संघर्ष में प्रेरणा स्रोत हैं। समाज का दायित्व है कि आपके लिए हर संभव सहायता उपलब्ध कराए। आपके जीवन में बदलाव लाने के लिए नारायण सेवा संस्थान बधाई की पात्र हैं। हमें गर्व है कि संस्थान ने आप में हिम्मत और आत्मनिर्भरता भरने का उदाहरण पेश किया है। हम आपके साथ हैं और प्रयास करेंगे कि आपको शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ सहज उपलब्ध हों।

इस मौके पर नारायण सेवा संस्थान निदेशक वंदना अग्रवाल ने कहा – हमारा उद्देश्य केवल सेवा देना नहीं, बल्कि दिव्यांगों को आत्मनिर्भरता और सम्मान के साथ जीवन जीने का अवसर प्रदान करना है। यह शिविर उन सभी लाभार्थियों के लिए एक नई आशा लेकर आया है। हमें गर्व है कि हम साथ मिलकर समाज में सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं। आपकी मुस्कान ही हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है। आइए, हम सब मिलकर सेवा, सहयोग और करुणा के इस संकल्प को और आगे बढ़ाएँ।

उल्लेखनीय है कि इंदौर में 25 मई को हुए चयन शिविर में 400 से अधिक दिव्यांगजन आए थे, जिनमें से 240 आज कृत्रिम अंग पाकर नया जीवन पा रहे हैं। यह केवल अंग नहीं, बल्कि उनकी रुकी हुई ज़िंदगी को आगे बढ़ाने की चाबी है।

अग्रवाल ने कहा कि शिविर में 40 सदस्यीय टीम ने जर्मन तकनीक से बने नारायण लिंब का फ़िटमेंट किया है। डॉक्टरों ने न केवल अंग लगाए, बल्कि उनके सही उपयोग का प्रशिक्षण भी दिया। समारोह के दौरान लाभांवित दिव्यांगों की परेड की। तब सभी की आंखें नम हो गई और हृदय गर्व से भर गया। शिविर में संसथान की ओर से दिव्यांगों और उनके परिजनों के लिए सुबह से शाम तक निःशुल्क अल्पाहार और भोजन वितरित किया गया। कई दिव्यांगों ने विजिट के दौरान अतिथियों को अपने भावी सपनों से रूबरू करवाया। शिविर समारोह के अंत में आभार व्यक्त हरि प्रसाद लढ्ढा ने किया जबकि कार्यक्रम का संचालन जितेंद्र शर्मा ने किया। 

नारायण सेवा संस्थान का सफर 1985 से आरम्भ हुआ। संस्थापक श्री कैलाश मानव को पद्मश्री और हाल ही में सामुदायिक सेवा एवं सामाजिक उत्थान सम्मान से अलंकृत किया जा चुका है। संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल अपने मेडिकल, शिक्षा, कौशल विकास और खेल अकादमी के माध्यम से लाखों दिव्यांगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ चुके हैं। 2023 में उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।

अब तक संस्थान 40 हज़ार से अधिक कृत्रिम अंग लगा चुका है और आज मध्यप्रदेश में यह संकल्प और प्रबल हुआ कि यहां के दिव्यांगजन भी जीवन की राह पर आत्मगौरव से कदम बढ़ाएंगे।

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