पिछले दो-तीन दिन के भीतर प्रदेश में जो गुजरा, वह सियासत, सादगी, सहृदयता, अपनेपन, जन के मन में समाए होने और जनता के लिए मर्म रखने जैसी कई कवायदों को एकसाथ परीलक्षितकर गया। कुनबे का मुखिया होने के नाते हर छोटे की गलती को अपने माथेपर धरना और उसके लिए क्षोभ व्यक्त करना, माफी मांगना और प्रायश्चित करने के उपक्रम करना भी एक नई तहरीर के रूप में सामने आया।
प्रदेश के मुखिया श्री शिवराज सिंह चैहान ने सीधी जिले के आदिवासी दशमत को अपने घर बुलाया, उसके चरण पखारे और आरती उतारकर उसे शाॅल-श्रीफल देकर सम्मानित भी किया। उसके पास बैठकर उसके हालचाल भी जाने।भविष्य के लिए उसके आजीविका बंदोबस्त भी किए, उसकी सुरक्षा और सुविधा संपन्न जिंदगी के रास्ते भी प्रशस्त कर दिए। परिजनों से फोन पर चर्चा कर उन्हें भी आश्वस्त किया कि जो हु आ, वह आगे नहीं होगा।सिंहासन पर बैठे लोगों का इस तरह धरती पर बैठना प्रदेश इतिहास की एक नई कहानी बयां करती नजर आ रही है। जो हुआ, वह किसी घटना के परिप्रेक्ष्य में दोहराई गई कहानी इसलिए नहीं कही जा सकती कि शिवराज अपनी इसी सादगी के लिए हमेशा से जाने जाते रहे है।बहनों को लाड़ली, बेटियों को लक्ष्मी, युवाओं को कौशलपूर्ण बनाना किसी सियासत का हिस्सा नहीं कहा जा सकता, बल्कि यह उसी के लिए संभव है, जिसने पग-पग चलकर घर-घर लोगों से रिश्ता बनाया हो। बरसों-बरस के सफर की सफलता के रास्ते शिवराज सिंह चैहान की सादगी से होकर पूरे हो पाए हैं।
दशमत के पैर पखारने के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बात को भी ऊपर रख दिया कि कुनबे का मुखिया होने के मायने छोटों की गलती के लिए खुद सजा और प्रायश्चित की भावना भी जरूरी है।
गरीबों का दमन, कमजोरों का शोषण और समाज में दहशत फैलाने वाले बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे, पहले भी कह चुके हैं और करके दिखा चुके हैं। बात अपनी पार्टी के कार्यकर्ता के इसी व्यवहार की आई तो उसके साथ भी वही रवैया अपनाया गया, जो दूसरे लोगों के साथ किया गया था। एनएसए लगाई गई, बुलडोजर भी चलाया गया और अपने मद में मस्त व्यक्ति का दंभ ढहाया गया। कानून सबके लिए एक जैसा है, इंसाफ सभी को बराबर मिलेगा, को साबित करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर प्रदेश की कानून व्यवस्था को साबित कर दिखाया है।
सियासी हलचल में आदिवासियों के शोषण और उनके दमन की बात करने वाले इस बात को भुलाए बैठे हैं कि शिवराज ने अपने कार्यकाल में इस समुदाय के लिए वह कर दिखाया है, जो आदिवासी हितैषी कहने वाली पार्टी बरसों में नहीं कर पाई थी।
जनजातीय समुदाय कुछ समय पहले तक जल, जंगल, जमीन, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए, अपने अधिकारों के लिए छटपटाता ही नजर आ रहा था। ऐसे में मप्र के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने जनजातीय समुदाय के इस दर्द को जाना, समझा और इसको दूर करने के लिए कुछ ठोस करने का मन बनाया। प्रदेश में पेसा एक्ट लागू किया गया। मंशा जनजातीय समुदाय के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण की है। मंशा यह भी है कि पंचायतों में होने वाले फैसलों में इस समुदाय की सहमति भी शामिल हो। साथ ही जल, जंगल, जमीन विवादों का उचित निराकरण जनजातीय समुदाय की निगरानी में हो और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, स्कूल और आंगनवाड़ियों की गतिविधियों पर भी समुदाय की नजर बनी रहे।
धरती आबा बिरसा मुंडा को भगवान निरुपित करने में भी प्रदेश सरकार ने एक कदम आगे बढ़ाया। बिरसा मुंडा जयंती 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस घोषित किया गया। इस दिन का शासकीय अवकाश तय कर दिया है। इसी कड़ी में एक दिन और जोड़ते हुए इस वर्ष से भगवान बिरसा मुंडा के बलिदान दिवस 9 जून को भी अवकाश का ऐलान किया है। शासकीय अवकाश और विभिन्न आयोजनों की श्रृंखला का उद्देश्य यही है कि प्रदेश के जन-जन तक भगवान बिरसा मुंडा के जीवन और उनके कृतित्व की कहानियां पहुंच सकें और लोग उनके बलिदान को जान सकें।