कोरोना महामारी के दौरान भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति हम सबने अपने आँखों से देखी थी, बीते कुछ सालों ने हमें मेडिकल क्षेत्र और अच्छे डॉक्टर्स की अहमियत का हमे पूरी तरह से एहसास दिला दिया है। वहीं दूसरी ओर इस दौरान एक अच्छी चीज़ ये हुई कि देश में आंत्रेप्रेन्योर्स की लहर सी आ गयी है, हर सक्षम व्यक्ति अपने गुणों का इस्तेमाल कर के कोई ऐसा काम करना चाहता है जिससे खुदका और समाज का भला हो सकें। आंत्रेप्रेन्योर्स की इस लिस्ट में बायोमेंटेर्स के संस्थापक डॉ. गीतेंद्र सिंह का नाम भी अहम है। भारतीय मेडिकल स्वास्थ्य व्यवस्था को मज़बूत बनाने और NEET छात्रों की परीक्षा में तैयारी के लिए डॉ. गीतेंद्र सिंह पूरी मेहनत और लगन से काम कर रहे है। आइये जानते है डॉ. गीतेंद्र सिंह का ये सफर कैसा रहा।
1. आप अपने अबतक के सफर बारे में बताएं और किस वजह से आपने ये वेंचर शुरू किया।
मैं भोपाल में एक मध्यम वर्गीय परिवार में बड़ा हुआ। मैं डॉक्टर के बजाय आईएएस अधिकारी बनने का सपना देखता था। अपने इस सपने को पूरा करने के लिए मैंने यूपीएससी की परीक्षा भी दी लेकिन असफल रहा। शायद किस्मत को कुछ और मंज़ूर था, मेरे नसीब में डॉक्टर बनना और भविष्य के डॉक्टरों की मदद करना लिखा था। साल 2001 में मैंने गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल से अपनी एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। एमबीबीएस के दिनों में ही मैंने NEET परीक्षा की तैयारी के लिए छात्रों को हफ्ते में 2 दिन पढ़ाना शुरू कर दिया और पढ़ाई के साथ-साथ अच्छा पैसा और नाम दोनों कमाने लगा।
मैं अपने शुरुवाती दिनों में एक कक्षा में 700 मेडिकल छात्रों को और एक दिन में लगभग 2100 छात्रों को पढ़ाया करता था। मैंने अपने इस टीचिंग के पैशन को एक कदम और आगे बढ़ाने के लिए 2008 में भोपाल में एक ऑफलाइन कोचिंग सेंटर बायोमेंटर्स की शुरुवात की। थोड़े ही टाइम में ये इंस्टिट्यूट उम्मीदवारों के बीच काफी मशहूर हो गया। पर कुछ निजी कारणों से मैंने 2012 में पढ़ाना बंद कर दिया। मैंने फिरसे मेडिकल पढ़ाई शुरू की और सीएमसी वेल्लोर से फैमिली मेडिसिन में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की। उसके बाद जॉन हॉपकिंस मेडिकल यूनिवर्सिटी, यूएसए से डायबिटीज में पीजी भी किया।
2015 में मैंने मुंबई में अपना क्लिनिक खोला और इसके साथ-साथ बायोमेंटर्स को भी ऑनलाइन रूप में जीवित किया। 2017 में मैंने यूट्यूब चैनल के माध्यम से बायोमेंटर्स को फिरसे शुरू किया। कुछ महीनों में ही मेरा चैनल ग्रो करने लगा और 2018 में बायोमेंटर्स ऑनलाइन के लिए मोबाइल ऐप भी लॉन्च हो गया। 17000 रुपये के निवेश से शुरू हुआ ये सफर आज करोड़ों टर्नओवर दे रहा है। भले ही ये सफर मैंने अकेले शुरू किया था लेकिन आज हम 143 सदस्यों की एक टीम हैं। हमने अपने मुनाफे से ज्यादा सामाजिक उद्यमिता पर ध्यान दिया जिस वजह से आज शिक्षा के क्षेत्र में बायोमेंटर्स एक विश्वसनीय नाम है।
2. प्रतिस्पर्धा के इस माहौल में आप दूसरों से कैसे अलग हैं?
हम दूसरों से अलग इसलिए है क्योंकि हम कभी भी अपने छात्रों को ग्राहक के रूप में नहीं मानते हैं। यही कारण है कि अब तक हमारी कक्षाओं से 14000 से अधिक छात्रों का NEET परीक्षा में चयन हुआ है। हम पारिवारिक मूल्यों में विश्वास करते हैं। हम अपने छात्रों के लिए हमेशा पारदर्शी होते हैं और मार्केटिंग के हथकंडों से खुद को दूर रखते हैं। हमने वर्ड ऑफ माउथ मार्केटिंग पर ध्यान केंद्रित किया है न कि नकली पब्लिसिटी पर इसलिए हम अच्छे परिणाम देने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।
3. आपके अनुसार मेडिकल प्रवेश परीक्षा के उम्मीदवारों को अपनी तैयारी के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
मेडिकल प्रवेश परीक्षा (NEET) एक कठिन परीक्षा है क्योंकि हर साल लगभग 16 लाख छात्र इसमें भाग लेते हैं। सीटें सीमित हैं इसलिए तीन बातों का हमेशा ध्यान रखे:
1. पढ़ाई के प्रति कन्सिस्टेन्सी बनाये रखें
2. सही मार्गदर्शन के लिए अच्छी मेंटरशिप ले और सोशल मीडिया के डिस्ट्रैक्शन से बचें
3. एनसीईआरटी की किताबों को ध्यान से पढ़ें और एनसीईआरटी की तर्ज पर मौजूद कॉन्सेप्ट्स को अच्छे से समझे।
4. अपने ब्रांड को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए आपकी भविष्य की योजनाएं क्या हैं?
हम शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में बदलाव चाहते हैं। इसलिए हम जरूरतमंद छात्रों के लिए प्रति वर्ष लगभग 10 करोड़ छात्रवृत्ति की व्यवस्था करना चाहते हैं ताकि कोई भी पैसों के कारण अपनी पढ़ाई न छोड़े।
वर्तमान एडुटेक बाजार यानि कोविड के बाद का परिदृश्य कुछ चुनौतियों भरा है हालांकि यह परेशानी कुछ समय की है। बहुत जल्द ऑफलाइन और ऑनलाइन शिक्षा क्षेत्र में संतुलन स्थापित किया जाएगा। हम मिश्रित शिक्षा के साथ आगे बढ़ रहे हैं। हम रिमोट एरिया में एक्सपीरियंस सेंटर और कमांड लाइब्रेरी स्थापित करने की प्रक्रिया में हैं। हमारी महत्वाकांक्षा एडटेक क्षेत्र में सबसे भरोसेमंद ब्रांड बनने की है।
5. आपकी सफलता का राज़ क्या है?
मैं थर्मोडायनामिक्स के नियमों में विश्वास करता हूं कि ऊर्जा कभी बर्बाद नहीं होती है। यह केवल दूसरे रूप में बदल जाती है। सफलता पाने के लिए - लक्ष्य प्राप्त होने तक आपको लगातार ऊर्जा लगानी होगी। असफलता जैसा कुछ नहीं - या तो आप जीतते हैं या सीखते हैं।