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5 जनवरी 2026 · JAN 05 , 2026

केरलः यह कैसा इंसाफ? सवाल

बहुचर्चित एक्ट्रेस अपहरण और बलात्कार मामले में एक्टर दिलीप के बरी होने से मलयालम फिल्म इंडस्ट्री दो खेमों में बंटी
सवालः एर्नाकुलम डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से बरी होने के बाद मलयालम अभिनेता दिलीप (बीच में)

एक्टर दिलीप के एक्ट्रेस अपहरण और बलात्‍कार मामले में बरी होने का फैसला केरल में तूफान की तरह आया। उसकी लहरें पहले एर्नाकुलम के कोर्टरूम के गलियारों में उठीं, फिर पूरी मलयालम फिल्म इंडस्ट्री इसकी गिरफ्त में आ गई। इस मामले का घाव लगभग नौ साल से रिस रहा था। दोपहर तक प्रतिक्रियाओं की दो धाराएं बिलकुल आमने-सामने आ गईं। एक खेमें ने फैसला सही ठहराया दूसरा इस फैसले से ठगा हुआ महसूस करने लगा। जो लोग शुरू से ही एक्टर दिलीप के साथ खड़े थे, उनके लिए बरी होना जीत का पल था। लेकिन कई महिला एक्टरों, एक्टिविस्टों और विमेन इन सिनेमा कलेक्टिव की सदस्यों के लिए यह फैसला व्‍यवस्‍था से भरोसा उठने जैसा था। उन्होंने कहा कि इंसाफ एक बार फिर दरारों से फिसल गया। सोशल मीडिया पर, ‘‘अवलक्कोप्पम’’ (हम साथ) शब्द फौरन तैरने लगा। यह याद दिलाता है कि पीड़िता के साथ लोगों की सहानुभूति कम नहीं हुई है।

एर्नाकुलम सत्र अदालत ने 2017 के अपहरण और हमले में सीधे शामिल छह लोगों को दोषी ठहराया, लेकिन कथित मास्टरमाइंड, अपराध की साजिश रचने के आरोपी दिलीप सहित चार लोग बरी हो गए। अभियोजन पक्ष के इलेक्ट्रॉनिक सबूत खारिज कर दिए गए, जिन्हें कभी साजिश के मामले का मुख्य आधार माना जाता था। कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि साजिश साबित नहीं हुई।

कोर्टरूम से बाहर, दिलीप हमलावर मुद्रा में दिखे। उनके हाव-भाव चुनौती देने वाले थे और बोली आरोप लगाने वाली। उन्होंने ‘‘आपराधिक पुलिस अधिकारियों’’ की बात की, एक महिला अधिकारी पर बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाया और मीडिया हाउस पर उन्हें बर्बाद करने की साजिश रचने का आरोप लगाया। उनकी पूर्व पत्नी, अभिनेत्री मंजू वॉरियर ने भी इसी आशय का बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि इस अपराध के पीछे कोई बड़ी साजिश है। दिलीप ने दावा किया कि इसी बयान ने ही उनके खिलाफ पूरी मशीनरी को सक्रिय कर दिया था, जिसमें साजिश की ओर इशारा किया गया था।

उन्होंने सख्त लेकिन नपे-तुले लहजे में कहा, ‘‘पुलिस ने मुख्य आरोपी की सुनी और उसके जेल वाले साथियों के साथ मिलकर झूठी कहानी गढ़ी। लगभग नौ साल तक मेरी जिंदगी और मेरी छवि बर्बाद हो गई। असली साजिश मेरे खिलाफ थी।’’

2017 में, जब पीड़िता पर चलती गाड़ी में हमला किया गया था, तो  पूरा देश हिल उठा था। उस पल ने मलयालम सिनेमा में दरार पैदा कर दी थी, ऐसी दरार जो दो खेमों में बदल गई।

पुलिस ने जांच के बाद आखिरकार दिलीप को गिरफ्तार कर लिया था। उन्हें आठवें आरोपी के तौर पर नामजद किया गया था। उन्होंने 83 दिन जेल में बिताए और फिर करियर की ओर लौटे, जो इस घटना के बाद ठहर सा गया था। कभी उनके स्टारडम के इर्द-गिर्द घूमती फिल्म संस्थाओं ने ही उन्हें सस्पेंड कर दिया था। एएमएमए या एम्‍मा की तब बहुत खिंचाई की गई थी क्योंकि कई लोगों को लग रहा था कि यह संस्था उन्हें बचाने की कोशिश कर रही है।

इस फैसले के बाद एम्‍मा ने दिलीप के बरी होने का स्वागत एक छोटे से संदेश से किया। शब्दों को ध्यान से चुना गया था, लेकिन मतलब साफ था। उधर, डब्‍लूसीसी के लिए यह फैसला कड़वे घूंट जैसा था। पार्वती तिरुवोत ने सोशल मीडिया पर लिखा, “कैसा इंसाफ? अब हम एक करीने से लिखी पटकथा को बड़ी बेरहमी से खुलते देख रहे हैं।” दूसरों ने सिर्फ पोस्टर साझा किए, हल्के बैकग्राउंड पर काले अक्षरों में, बस इतना लिखा: अवल्कोप्पम।

सरकार ने भी इस पर फौरन जवाब दिया। कानून मंत्री पी. राजीव ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री से बात की है और सरकार फैसले के खिलाफ अपील करेगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि जांच ढंग से की गई थी पर  फैसला संतोषजनक नहीं है। उन्होंने कहा, “सरकार पीड़ित के साथ खड़ी रहेगी।”

पीड़िता खुद अभी तक चुप रही हैं, लेकिन मुकदमे के दौरान उनका लंबा संघर्ष भी देखा गया है। उन्‍होंने जज बदलने की मांग के लिए हाइकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। उनका आरोप था कि कोर्टरूम में उन्‍हें भयानक माहौल का सामना करना पड़ा। दो सरकारी वकीलों ने कार्यवाही के तरीके को लेकर अपनी चिंताओं का हवाला दिया और हट गए।

दोषी ठहराए गए लोगों 6 लोगों को 20 साल की सजा सुनाई गई है। इस फैसले ने पुरानी लड़ाई को फिर खोल दिया है और इंसाफ, स्‍त्री-द्वेष और मजबूत सत्‍ता-तंत्र को लेकर तीखी बहस फिर से शुरू हो गई है।

 

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