देह की ताकत और कौशल की नजाकत के मेल से खेला जाने वाला खेल बैडमिंटन भारत में दूसरे नंबर पर पसंद किया जाता है। इसके हालिया इतिहास ने पुलेला गोपीचंद, साइना नेहवाल और पीवी सिंधु जैसे कामयाब सितारे पैदा किए हैं। पिछले तीन ओलंपिक में भारत को तीन पदक बैडमिंटन से ही आए थे। इसके अलावा, 2022 में थॉमस कप जैसी अन्य महत्वपूर्ण प्रतिस्पिर्धाओं में भी भारतीय खिलाडि़यों ने जीत हासिल की है। इन उपलब्धियों के बावजूद बैडमिंटन को पुराना दीमक भीतर से खाए जा रहा है। यह उम्र की धोखाधड़ी है। यह बीमारी दूसरे खेलों में भी बराबर मौजूद है। अधिक उम्र के खिलाड़ी नकली दस्तावेजों और मजबूत शरीर के सहारे अपने से उम्र से छोटे आयु समूहों में खेलते हैं और योग्य उम्मीदवारों के साथ नाइंसाफी करते हैं। बैडमिंटन, क्रिकेट, टेनिस, एथलेटिक्स, चाहे जो भी खेल हो वह उम्र के फर्जीवाड़े का शिकार है।
भारत के एक जूनियर बैडमिंटन खिलाड़ी के माता-पिता की माने, तो आयु वर्ग की प्रतिस्पर्धाओं में उम्र की धोखाधड़ी इतनी ज्यादा होती है जैसे “80 प्रतिशत पानी मिला हुआ दूध।” वे कहते हैं, “चाहे अंडर-11 हो, अंडर-13, अंडर-15, अंडर-17 या अंडर-19, किसी भी अखिल भारतीय टूर्नामेंट के बाद के राउंड को आप देखेंगे तो सामान्य दर्शक को भी पता चल जाएगा कि खिलाड़ी ने उम्र का जो दावा किया है, वह उससे ज्यादा उम्र का है।” ऐसे पीड़ित माता-पिताओं की हताशा का बांध अब टूट चुका है। वे अब भारतीय बैडमिंटन संघ (बीएआइ) को लगातार पत्र लिख रहे हैं। जयपुर में हुई सब-जूनियर प्रतिस्पर्धा में कुछ अभिभावकों ने ज्यादा उम्र वाले खिलाड़ियों के टूर्नामेंट में हिस्सा लेने का भारी विरोध किया। नतीजतन, आठ खिलाड़ियों को टूर्नामेंट से निलंबित कर दिया गया।
भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआइ) ने 23 मार्च को देश में ट्रैक ऐंड फील्ड खेलों में डोपिंग और उम्र संबंधी धोखाधड़ी के खिलाफ व्हिसलब्लोअर नीति शुरू करने की घोषणा की है। एएफआइ ने कहा कि उसने असम के काजीरंगा में कुछ दिन पहले हुई कार्यकारी समिति की बैठक में खेल की अखंडता को सुनिश्चित करने के लिए “डोपिंग और उम्र के फर्जीवाड़े के खिलाफ अपनी जंग” को मजबूत करने का फैसला किया है। इसके बावजूद अब भी इस क्षेत्र में बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है।
भारत का नंबर एक खेल भी उम्र के फर्जीवाड़े से मुक्त नहीं है। क्रिकेट के खेल में इतना पैसा है कि अंडर-19 के स्तर पर भी झूठ बोलने के लालच से बहुत लोग बच नहीं पाते।
राहुल द्रविड़ अक्सर उम्र की धोखाधड़ी पर अपनी निराशा व्यक्त करते हैं। 2015-2016 में एमएके पटौदी व्याख्यान देते हुए उन्होंने कहा था कि उम्र की धोखाधड़ी नैतिक रूप से उतनी ही भ्रष्ट है जितनी मैच फिक्सिंग। द्रविड़ ने उन अभिभावकों और प्रशिक्षकों को कठघरे में खड़ा किया, जो ऐसा जुर्म होने देते हैं। यह सच भी है कि अक्सर खिलाडि़यों के बजाय उनके माता-पिता, कोच ही ऐसे फर्जीवाड़े के दोषी होते हैं।
द्रविड़ ने कहा था, “अगर कोई बच्चा अपने माता-पिता और कोच को धोखा देने के लिए फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाते हुए देखता है, तो सोच कर देखिया कि क्या उसे धोखेबाज बनने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जा रहा? उसे अपने बड़ों से ही झूठ बोलना सिखाया जा रहा है।”
उन्होंने कहा, “चौदह वर्ष में जो फर्जीवाड़ा उम्र का है वही 25 वर्ष तक आते-आते मैच फिक्सिंग और भ्रष्टाचार में तब्दील हो सकता है। दोनों किसी भी तरह से अलग कैसे हैं? दोनों ही मामलों में, क्या यह साफ जालसाजी नहीं है?”
यह देखते हुए कि बड़ा टूर्नामेंट जीतने पर अंडर-19 के खिलाड़ियों को भी भारत में शानदार ईनाम दिए जाते हैं, द्रविड़ ने बीसीसीआइ में एक नियम शुरू किया, जहां एक खिलाड़ी अपने करिअर में केवल एक बार अंडर-19 विश्व कप खेल सकता था। (इससे अंदाजा लगाएं कि 2022 में अंडर-19 का पुरुष विश्व कप जीतने के बाद बीसीसीआई ने भारतीय टीम के प्रत्येक खिलाड़ी को 40 लाख रुपये देने की घोषणा की थी। इसी तरह अंडर-19 महिला टीम को हाल में विश्व कप में जीतने के बाद सामूहिक रूप से पांच करोड़ रुपये देने का वादा किया गया था। इन खिलाड़ियों को उनके अंडर-19 प्रदर्शन के आधार पर आइपीएल या इसी तरह की लीग में खूब पैसे मिलते हैं।)
भारत की 2018 अंडर-19 विश्व कप जीत के सितारों में से एक मनजोत कालरा को डीडीसीए (दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ) के ओम्बड्स मैन ने अंडर-16 और अंडर-19 खेलने के दौरान उम्र की कथित धोखाधड़ी के चलते एक साल के लिए निलंबित कर दिया था।
उम्र संबंधी धोखाधड़ी के लिए जिन अन्य क्रिकेटरों को दंडित किया गया है उनमें रसिख सलाम (जम्मू-कश्मीर, मुंबई इंडियंस); अंकित बावने (महाराष्ट्र, दिल्ली कैपिटल्स) और नीतीश राणा (दिल्ली, कोलकाता नाइट राइडर्स, मुंबई इंडियंस) हैं।
अन्य खेलों का क्या हाल है, इसके लिए केवल एक उदाहरण काफी होगा। तिरुपति में 2019 राष्ट्रीय अंतर-जिला जूनियर एथलेटिक्स मीट (एनआइडीजेएएम) में 51 एथलीट ज्यादा उम्र के पाए गए और 169 खिलाड़ी सत्यापन प्रक्रिया के लिए आए ही नहीं। यह आयोजन भारतीय एथलेटिक्स महासंघ की सबसे पसंदीदा प्रतिस्पसर्धाओं में से एक है।
भारत में उम्र में हेराफेरी बड़े पैमाने पर होने के कई कारण हैं। माता-पिता की दलील होती है कि “सभी ऐसा करता है, तो हम क्यों पीछे रहें।” इसके अलावा, जुगाड़ की संस्कृति और जुगाड़ हो जाने पर मिलने वाली सराहना एक और कारण है। फिर, फर्जी कागजात बनवाना बहुत आसान है।
खेल प्रशिक्षक माता-पिता के साथ मिलकर झूठी साजिश रचने को तैयार रहते हैं। नियमों को लागू किए जाने की प्रक्रिया बहुत सुस्त है। आपत्ति उठाने वालों को धमकाया जाता है। कुछ अभिभावकों के दुस्साहस पर टिप्पणी करते हुए एक बैडमिंटन खिलाड़ी के पिता कहते हैं, “यह ‘उल्टा चोर कोतवाल को डांटे’ और ‘चोरी उस पर से सीनाजोरी’ वाला मामला है।”
पूर्व अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी और कोच मनगिरिश पालेकर का मानना है कि भारतीय खेलों में उम्र का फर्जीवाड़ा कई दशकों से चला आ रहा है। लेकिन अब ऐसा लगता है कि बैडमिंटन में स्थिति और खराब हो चुकी है। पालेकर कहते हैं, “अभिभावक बच्चों के जन्म को देर से पंजीकृत करवाते हैं।” उनका मानना है कि इसका एकमात्र समाधान यह है कि सरकार का भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) इस मुद्दे को उठाए और गलत करने वालों को कड़ा संदेश दे। पालेकर कहते हैं, “अगर साइ उम्र संबंधी धोखाधड़ी को लेकर सख्त हो जाए तो बीएआइ जैसी अनुपालक संस्थाओं के लिए नियमों को लागू करना काफी आसान हो जाएगा।”
क्रिकेट में सुविधा है कि इसके राज्य संघ शक्तिशाली हैं। हर राज्य में निगरानी की प्रणाली है। कई दूसरे खेलों में यह शक्ति एक ही संस्था में सिमटी हुई है। चूंकि राज्य संघों की उन पर नजर नहीं होती, तो भ्रष्ट माता-पिता को अपना अनैतिक एजेंडा आगे बढ़ाने की बहुत गुंजाइश रहती है। इसका समाधान खेल मंत्रालय के इरादों पर निर्भर करता है। वह चाहे तो आधुनिक तरीकों से बार-बार परीक्षण और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के साथ जरूरत पड़ने पर पुलिस का सहारा ले सकता है।
सच्चाई यह है कि एक दागी खिलाड़ी को कभी सम्मान नहीं मिलता। पालेकर कहते हैं, “आप अपने असली प्रतिद्वंद्वियों का सामना कीजिए। कम आयु वर्ग में जीतना ऐसा भी कौन सा मुश्किल है?”
बीसीसीआइ आगामी घरेलू सीजन से ज्यादा कठोर उपाय अपनाने जा रहा है।
सौरभ गांगुली, बीसीसीआइ के पूर्व अध्यक्ष
खेलों में उम्र का फर्जीवाड़ा दशकों से चला आ रहा है। लेकिन अब बैडमिंटन में स्थिति और खराब हो चुकी है
मनगिरिश पालेकर, पूर्व अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी और कोच