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बिहारः इफ्तार के बहाने

राज्य में भाजपा की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं के बीच नीतीश ने तेजस्वी की इफ्तार पार्टी में पहुंचकर नया संदेश दिया
नए समीकरणः इफ्तार पार्टी में तेजस्वी और नीतीश

इफ्तार दावतों पर बिहार की सियासत ने कई बार करवट बदली है। जाहिर है, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जैसे ही राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव के 22 अप्रैल को आयोजित इफ्तार में शिरकत की, प्रदेश में चर्चा का बाजार गरम हो गया। नीतीश लगभग पांच वर्ष बाद लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के पटना स्थित 10, सर्कुलर रोड आवास पहुंचे थे। 2017 में महागठबंधन से बाहर निकलने और भाजपा के साथ पुन: संबंध स्थापित करने के बाद ऐसा मौका पहली बार आया था। इससे चंद घंटे पहले ही चारा घोटाला में सजायाफ्ता लालू प्रसाद को झारखंड हाइकोर्ट से जमानत मिली थी।

नीतीश के इफ्तार में जाने से सियासी हलकों में कयास लगाए जाने लगे हैं कि शायद नीतीश फिर से महागठबंधन में शामिल होने वाले हैं। तेजस्वी ने मुख्यमंत्री के आगमन को कोई राजनैतिक रंग देने से परहेज किया, लेकिन उनके बड़े भाई तेज प्रताप यादव ने अफवाहों को यह कहकर हवा दी कि नीतीश के लिए अब राजद में लगा ‘नो-एंट्री’ का बोर्ड हटा लिया गया है। हालांकि राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा कि नीतीश के लिए राजद में कोई जगह नहीं है।

नीतीश ने सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा कि इफ्तार पार्टियों में बहुत लोगों को आमंत्रित किया जाता है। वे कहते हैं, ‘‘इसका राजनीति से क्या संबंध है? हम भी इफ्तार पार्टी रखते हैं और सबको आमंत्रित करते हैं।’’ 

नीतीश तेजस्वी की इफ्तार पार्टी में केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह के बिहार आगमन की पूर्व संध्या पर पहुंचे थे। कई हफ्तों से ऐसे अनुमान लगाए जा रहे थे कि नीतीश भाजपा के लिए मुख्यमंत्री पद छोड़ राज्यसभा जा सकते हैं और उन्हें उप-राष्ट्रपति भी बनाया जा सकता है। नीतीश ने ऐसी किसी संभावना को यह कहकर खारिज किया कि उनकी ऐसी कोई इच्छा नहीं है। राजनीतिक टिप्पणीकारों के अनुसार नीतीश 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद से ही भाजपा के साथ गठबंधन में असहज हैं, जब उनकी पार्टी भाजपा से 31 सीट कम, महज 43 सीट पर सिमट गई थी। चुनाव पूर्व समझौते के अनुसार नीतीश मुख्यमंत्री तो बन गए, लेकिन भाजपा नेता प्रदेश में अपने आप को ‘बड़े भाई’ के रूप में दिखाने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते। कई नेताओं ने तो नीतीश को कानून-व्यवस्था और शराबबंदी के सवाल पर कई बार घेरा भी है। इसलिए, कहा जा रहा है कि भाजपा की बढ़ती महत्वाकांक्षा के कारण नीतीश ने अपने सभी विकल्प खुले रखे हैं और तेजस्वी के इफ्तार में जाना उसी रणनीति का हिस्सा है। हालांकि, अगले ही दिन वे अमित शाह के स्वागत में पटना हवाई अड्डे पर गए, जो स्वतंत्रता सेनानी बाबू कुंवर सिंह की जयंती पर उनके जन्मस्थान जगदीशपुर में आयोजित समारोह में शामिल होने पहुंचे थे।

इफ्तार के बादः पटना में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का स्वागत करते नीतीश कुमार

इफ्तार के बादः पटना में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का स्वागत करते नीतीश कुमार

इस बीच बोचहां विधानसभा उपचुनाव में राजद की शानदार जीत से तेजस्वी यादव के हौसले बुलंद हैं। इस चुनाव में बड़े पैमाने पर भूमिहार जाति के सवर्ण मतदाताओं ने, जिन्हें आम तौर भाजपा का वोट बैंक समझा जाता है, राजद प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया। भाजपा के राज्यसभा सदस्य और पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी अब बोचहां उपचुनाव और कुछ दिनों पहले हुए विधान परिषद चुनाव में एनडीए के खराब प्रदर्शन की समीक्षा की बात कर रहे हैं, ताकि समय रहते कमियां दूर की जा सकें। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘एनडीए के मजबूत जनाधार अति पिछड़ा वर्ग और सवर्ण समाज के एक वर्ग का वोट खिसक जाना अप्रत्याशित था। इसके पीछे क्या नाराजगी थी, इस पर एनडीए अवश्य मंथन करेगा।’’

तमाम अटकलों के बीच जदयू नेता बार-बार कहते आ रहे हैं कि नीतीश 2025 तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे और राज्य में उनका कोई विकल्प नहीं है। हालांकि, भाजपा के कई नेता इससे इत्तेफाक नहीं रखते। परदे के पीछे उनमें से कई मानते हैं कि नीतीश लंबी पारी खेल चुके हैं। लेकिन, प्रदेश के राजनैतिक समीकरण के मद्देनजर भाजपा के लिए बगैर नीतीश को साथ लिए राजद के खिलाफ चुनाव जीतना अब भी एक बड़ी चुनौती है। नीतीश भी यह जानते हैं।