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जनादेश 2022/मणिपुर: गरम हुआ कुकी मुद्दा

भाजपा का वादा भूमिगत संगठनों को मुख्यधारा में लाएंगे, कांग्रेस ने लगाया चुनाव में उग्रपंथियों की मदद लेने का आरोप
अमित शाह के साथ मुख्यमंत्री बीरेन सिंह

मणिपुर में चुनाव के आखिरी दिनों में अचानक कुकी उग्रवाद की काफी चर्चा होने लगी है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 23 फरवरी को चुराचंदपुर में एक चुनावी रैली में कुकी उग्रवाद को पांच वर्षों में खत्म करने का वादा किया। उन्होंने 1 फरवरी को भी एक सभा में कहा कि राज्य में सक्रिय भूमिगत उग्रपंथी संगठनों से बात करके उन्हें मुख्यधारा में लाया जाएगा। कांग्रेस ने भाजपा पर प्रतिबंधित संगठनों की मदद लेने का आरोप लगाया है। उसका कहना है कि कुकी नेशनल ऑर्गेनाइजेशन (केएनओ) ने भाजपा के पक्ष में बयान जारी करते हुए मतदाताओं को धमकाया है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश का दावा है कि केएनओ के बयान का ड्राफ्ट गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने तैयार किया है। केएनओ ने 25 फरवरी को एक बयान में लोगों से भाजपा का समर्थन करने को कहा था। उसने यह भी कहा कि भाजपा को वोट न देने का मतलब कुकी हितों के खिलाफ जाना होगा।

अचानक कुकी जनजाति का इतना जिक्र होना यूं ही नहीं है। यहां इस बार एक नई पार्टी कुकी पीपुल्स अलायंस (केपीए) चुनाव लड़ रही है। सिंघाट और साइकुल, दो सीटों पर ही इसके प्रत्याशी हैं। नतीजों पर इसका कोई असर होने की संभावना भी नहीं है। लेकिन कुकी संगठन बनाने और चुनाव लड़ने को कुकी जनजाति की राजनीतिक आकांक्षाओं से जोड़कर देखा जा रहा है। समुदाय के लोगों को लगता है कि बिना राजनीतिक संगठन के कुछ हासिल नहीं हो सकता। बड़ी पार्टियां सिर्फ उनके वोट हासिल करने के लिए समुदाय के लोगों को टिकट देती हैं।

प्रदेश का मैदानी इलाका मैतेयी बहुल है तो पर्वतीय इलाकों में नगा और कुकी जनजातियों का बाहुल्य है। मौजूदा मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह मैतेयी हैं। इसलिए कुकी इस सरकार को भी ‘मैतेयी सरकार’ कहते हैं। वे सशस्त्र बल कानून अफस्पा को खत्म करने, स्वायत्त जिला परिषद विधेयक 2021 को आगे बढ़ाने की मांग कर रहे हैं ताकि ‘पर्वतीय लोगों के अधिकारों की रक्षा’ की जा सके। कुकी लोगों का मानना है कि नगा पीपुल्स फ्रंट के एक राजनीतिक संगठन होने और भाजपा गठबंधन सरकार में शामिल होने के चलते नगा बेहतर स्थिति में हैं।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी

कांग्रेस नेता राहुल गांधी

यहां पहले चरण में 38 सीटों पर रिकॉर्ड 88.63 फीसदी वोटिंग का दावा किया गया, हालांकि शुरुआती आंकड़े 78 फीसदी थे। जानकार अंतिम आंकड़ों में दस फीसदी अंतर पर आश्चर्य जता रहे हैं। पुरुषों से ज्यादा महिला मतदाता हैं। पहले चरण में उनका वोटिंग प्रतिशत 90 के आसपास रहा। पर महिला उम्मीदवार कम हैं। 60 सीटों पर 265 उम्मीदवारों में से सिर्फ 17 महिलाएं हैं। कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में तो 40 फीसदी टिकट महिलाओं को दिया है, लेकिन यहां उसने ऐसा कोई फॉर्मूला नहीं अपनाया।

यहां शराब के मुद्दे ने भी अचानक जोर पकड़ लिया है। मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने कहा कि अगर उनकी पार्टी दोबारा सत्ता में आई तो विदेशी शराब की दुकानें खोलने की अनुमति दी जएगी। दूसरे दलों और संगठनों ने इसकी कड़ी आलोचना की तो बीरेन सिंह ने अपने बयान का बचाव करते हुए कहा कि जहरीली शराब पीने से प्रदेश में कई लोगों की मौत हो गई। शराब की दुकानें खोलने की अनुमति इसलिए देना चाहते हैं ताकि लोगों की जान बचाई जा सके। प्रतिबंधित संगठन रिवॉल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट ने 1 जनवरी 1991 से प्रदेश में विदेशी शराब की दुकानें जबरन बंद करवा दी थीं। उसके बाद मद्य निषेध एक्ट 1991 के तहत प्रदेश को ड्राई स्टेट घोषित कर दिया गया। 2014 में कांग्रेस की इबोबी सिंह सरकार ने शराब पर प्रतिबंध हटाने का प्रयास किया था, लेकिन तब भी काफी विरोध हुआ था।

यहां उद्योग न के बराबर है। दलों के घोषणापत्र में सरकारी मदद के वादे ही ज्यादा हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया है कि उनकी पार्टी की सरकार दोबारा बनी तो 100 करोड़ रुपये का स्टार्टअप फंड बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि मणिपुर की पहचान खेल से है और भाजपा सरकार यहां राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय बना रही है। अब 10 मार्च को पता चलेगा कि लोगों ने किसके वादे को तवज्जो दी।

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