Advertisement

नहीं उतरा उड़ता पंजाब

चार हफ्ते में नशे का जाल खत्म करने का कैप्टन अमरिंदर का वादा साढ़े तीन साल में भी अधूरा
पंजाब की 14.7 फीसदी आबादी किसी न किसी नशे की गिरफ्त में

राज्य में नशा 2017 के विधानसभा चुनावों में ऐसा सियासी मुद्दा बना कि कांग्रेस को कुर्सी मिल गई और अकाली दल-भाजपा गठजोड़ जमीन सूंघने लगा। लेकिन सत्ता हासिल होते ही हुक्मरानों के दिलोदिमाग से नशा उतर गया। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदंर सिंह का चार हफ्ते में नशे के खात्मे का दावा भी कहीं नहीं टिका। इन साढ़े तीन वर्षों में नशा रोकने की कोशिशें तो हुईं पर खात्मे जैसा मंजर कोरोना के दौर में लगे कर्फ्यू में भी कहीं नजर नहीं आया। अगस्त के तीन दिनों में ही नशीली शराब के सेवन से तरनतारन और अमृतसर जिले में 140 जानें चली गईं।  नशा तस्करों का गढ़ माने जाने वाले लुधियाना में पिछले पांच महीनों में स्पेशल टॉस्क फोर्स(एसटीएफ) ने सिर्फ 17 नशा तस्करों को गिरफ्तार किया है। कोरोना के दौर में नशा तो नहीं थमा है पर धरपकड़ कम हो गई है। राज्य के करीब 3000 से अधिक पुलिसवाले कोरोना संक्रमित हुए हैं जिसके चलते छापेमारी ढीली है। सो, इन पांच महीनों में राज्य में नशा तस्करों और नशेड़ियों की धरपकड़ का रिकॉर्ड भी राज्य पुलिस मुख्यालय में उपलब्ध नहीं है।

दो साल तक नशाग्रस्त पंजाब पर किए अध्ययन में पीजीआइ चंडीगढ़ ने पाया कि 14.7 फीसदी (31 लाख) आबादी किसी न किसी नशे की चपेट में है। सभी 22 जिलों में किए सर्वे में सबसे ज्यादा मानसा जिले की 39 फीसदी आबादी नशे की गिरफ्त में है। 78 फीसदी लोग ड्रग्स डीलरों से नशा खरीदते हैं और 22 फीसदी मेडिकल स्टोर से। ढेड़ साल से मिशन “तंदरुस्त पंजाब” चला रही कैप्टन सरकार में नशे के बढ़ते मामले देख हाइकोर्ट ने भी सरकार को फटकार लगाई। सफाई में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का कहना है, “सरकार ने ड्रग तस्करों और सप्लायरों की कमर तोड़ दी है। ड्रग्स पैडलर्स की सप्लाई 50 फीसदी से अधिक गिरी है इसलिए हेरोइन, कोकीन जैसे नशों के दाम भी दोगुने हो गए हैं और नशे की खपत काफी गिरी है। हांगकांग में एक बड़ा तस्कर बचा है जिसे इंटरपोल की मदद से दबोचने के प्रयास जारी है।” पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ का कहना है,“नशे से नहीं अब नशा न मिलने की वजह से मौतें हो रही हैं। नशे के खात्मे के लिए बनाई गई स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के पूर्व प्रमुख एडीजीपी हरप्रीत सिद्धू का कहना है कि राज्य में ओवरडोज से मरने वालों के अलग आंकड़े नहीं हैं।

जिस पुलिस का काम नशे की सप्लाई-खपत चेन तोड़ना है, वह भी उस चेन की अहम कड़ी बन गई। मार्च 2017 से मार्च 2020 तक 112 पुलिसवालों को नशे के खेल में शामिल होने पर गिरफ्तार किया गया है। इनमें डीएसपी और इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी भी हैं। नशे की चपेट में आए बॉर्डर जिलों में एक दशक से भी ज्यादा समय से कई एसएचओ एक ही पोस्टिंग पर काबिज हैं। तीन वर्षों में 56,136 गिरफ्तारियां हुईं। एनडीपीएस (नार्कोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सबस्टांस) एक्ट के तहत 48,425 मामले दर्ज हुए पर सरकार और पुलिस के पास बताने को ये आंकड़े नहीं हैं कि गिरफ्तारियों और दर्ज हुए मामलों में कितने ड्रग्स स्पलायर हैं और कितने खपतकार। दो वर्ष पहले नशा का खात्मा करने की दिशा में सवा तीन लाख सरकारी मुलाजिमों, नई भर्तियों और प्रमोशन के लिए डोप टेस्ट का तुगलकी फरमान जारी हुआ पर डोप ड्रॉमे के साथ सियासत भी तेज हुई। खुद मुख्यमंत्री ने अपना डोप टेस्ट कराए जाने का ऐलान किया तो पाषर्दों, विधायकों, मंत्रियों से लेकर सांसदों तक में डोप टेस्ट कराने की होड़ लगी। कांग्रेसियों ने शिरोमणी अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर बादल और आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष भगवंत मान का भी डोप टेस्ट कराए जाने की मांग की तो केंद्रीय मंत्री हरसिमरत बादल ने राहुल गांधी को डोप टेस्ट के लिए घसीटा।

तस्करों से बरामद ड्रग्स को अमृतसर में जलाते पुलिस अधिकारी

राज्य में बड़े पैमाने पर डोप टेस्ट कराए जाने के फैसले से विवाद खड़ा हुआ कि एनडीपीएस एक्ट के सेक्शन 27 तहत ड्रग्स का खपतकार साबित होने पर अपराधिक माना जाना तय है। तब मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि जिन मुलाजिमों का डोप टेस्ट पॉजीटिव पाया जाएगा उन पर कोई कार्रवाई नहीं होगी, सरकार उनका इलाज मुफ्त कराएगी। इधर पुलिस द्वारा एक्ट के दुरुपयोग की संभावना भी बढ़ी। अकाली-भाजपा सरकार के कार्यकाल में राजनीतिक बदले की भावना से पुलिस द्वारा एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज 328 फर्जी एफआइआर रद्द करने की सिफारिश जस्टिस मेहताब सिंह गिल कमीशन ने की थी।

नशे से बेकाबू होते हालात से साढ़े तीन साल में सख्ती से निपटने में विफल रही राज्य सरकार ने मामला केंद्र के पाले में डाल दिया है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदंर सिंह ने एनडीपीएस एक्ट में संशोधन की मांग करते हुए केंद्र को पत्र लिखा है कि पहली बार नशे के साथ पकड़े जाने वाले को भी फंासी की सजा हो। एक्ट में अभी पहली बार पकड़े जाने पर 10 साल की कैद और दूसरी बार पकड़े जाने पर फांसी की सजा का प्रावधान है पर 29 वर्षों में एक भी फांसी नहीं हुई है। 2013 से 2015 दौरान पंजाब में नशे के 14,000 से अधिक मामलों का अध्ययन करने वाले विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी, दिल्ली की नेहा सिंघल का कहना है कि एनडीपीएस एक्ट-1985 में 1989 से ही मौत की सजा का प्रावधान है। इसके बावजूद नशा तस्करी और इसके खपतकारों में कोई कमी नहीं आई है। तस्कर से बरामद नशा सामग्री बेचने के लिए है यह साबित करना व्यावहारिक नहीं है। मौत की सजा से समस्या का हल होने वाला नहीं। एनडीपीएस एक्ट तहत सलाखों के पीछे पड़े छोटे सप्लायर्स और खपतकार हार्ड कोर क्रिमनल बन सकते हैं। जेलों में 41 फीसदी कैदी एनडीपीएस एक्ट अधीन बंद हैं। पीजीआई चंडीगढ़ के ड्रग्स डीएडिक्शन सेंटर के प्रमुख डा. देबाशीश बसु का कहना है कि पीजीआइ में इलाज के लिए आने वाले मरीजों की संख्या इस साल पिछले साल की तुलना में 2000 बढ़ी है। समस्या तब तक खत्म नहीं होगी जब तक सप्लाई चेन नहीं तोड़ी जाती। स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिद्धू ने बताया कि पंजाबभर की सभी जेलों समेत तमाम जिला मुख्यालयों और सबडिविजंस  पर 200 ओओएटी (आउट पेशेंट ओपियिड असिस्टेड ट्रीटमेंट) क्लीनिक्स में ढाई लाख से अधिक नशेड़ी उपचाराधीन हैं। इधर नशे से बढ़ती मौतों से चितिंत कई नशाग्रस्त इलाकों में नशे के खिलाफ मुहिम स्थानीय लोगों ने मुहिम छेड़ दी है। पहल नशे के लिए बदनाम तरनतारन के खेमकरण से हुई। खेमकरण के एक दर्जन गांवों की मुहिम को परखने पर जिला प्रशासन ने इन तीन गांवों का सर्वे कर उन्हें नशा मुक्त गांव घोषित किया। खेमकरण के विधायक सुखपाल भुल्लर के मुताबिक तरनतारन पंजाब का ऐसा पहला जिला बन गया है जिसके करीब एक दर्जन गांव पूरी तरह से नशा मुक्त हो गए हैं।

इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च सेंटर दिल्ली ने नशे के सामाजिक-आर्थिक कारण जानने के लिए पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर और राजस्थान का सर्वे शुरू कराया है। हरियाणा के सिरसा और अंबाला, राजस्थान के श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़, जम्मू-कश्मीर के जम्मू और कठुआ में पूरे हुए सर्वे संकेत देते हैं कि अमीर वर्ग अफीम और हेरोइन जैसे महंगे नशे के दलदल में फंसा है जबकि गरीब वर्ग सिंथेटिक केमिकल नशे की गिरफ्त में हैं। नशे की लत पूरी करने के लिए गरीब वर्ग के लोग ही सिंथेटिक केमिकल नशे के कारोबार में लिप्त हैं।

Advertisement
Advertisement
Advertisement