देश भर में सिर चढ़ कर बोला मोदी-मैजिक पंजाब के मतदाताओं पर नहीं चल पाया। पंजाब की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भले मिशन-13 फतह नहीं कर पाए, लेकिन वे कांग्रेस-शासित राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के सफाए की तुलना में कैप्टन 13 में आठ लोकसभा सीटों पर जीत के साथ पंजाब के असरदार सरदार साबित हुए हैं। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी (आप) में हुई टूट से कमजोर पड़े विपक्ष का फायदा भी कांग्रेस को मिला है। 2014 की मोदी लहर में तीन और 2017 के विधानसभा चुनाव में 113 में से 77 सीटों पर जीत दर्ज कर सरकार बनाने वाली कांग्रेस इस लोकसभा चुनाव में 69 विधानसभा सीटों पर बढ़त बना पाई है। इधर, 2014 में लोकसभा की छह सीटें जीतने वाले अकाली दल-भाजपा गठबंधन ने चार सीटें जीतकर मालवा-दोआबा में अपनी पैठ बरकरार रखी है। 2017 के विधानसभा चुनाव में 18 सीटों पर सिमटे एनडीए गठबंधन ने 35 विधानसभा सीटों पर बढ़त हासिल कर 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस को टक्कर देने की राह बना ली है। आप का वोट बैंक भी अपने पक्ष में करने में गठबंधन सफल रहा है। 2014 में पंजाब की चार लोकसभा सीट जीतने वाली आप संगरूर सीट तक सिमट गई। आप के प्रदेश अध्यक्ष भगवंत मान ने यह सीट जीतकर लोकसभा में आप का अस्तित्व बचाए रखा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में 20 सीट जीत कर प्रमुख विपक्षी दल की भूमिका में आई आप 2019 के लोकसभा चुनाव में सिर्फ संगरूर लोकसभा क्षेत्र की सात विधानसभा सीटों पर ही बढ़त बना पाई।
गुरदासपुर, होशियारपुर, बठिंडा, फिरोजपुर और संगरूर में कांग्रेस की हार का ठीकरा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह संबंधित मंत्रियों और विधायकों पर फोड़ रहे हैं। खासकर स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू निशाने पर हैं। ताजा विवाद के चलते कैप्टन ने यहां तक कहा कि सिद्धू उन्हें हटाकर खुद पंजाब के मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं।
फिरोजपुर से सुखबीर बादल की पंजाब में रिकॉर्ड दो लाख मतों से जीत से धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के आरोपों में शिअद को इन चुनावों में भी घेरने की कांग्रेस की कोशिशें सिरे नहीं चढ़ीं। बठिंडा से भी सुखबीर की पत्नी हरसिमरत कौर की जीत से शिअद अपनी प्रतिष्ठा बचाने में सफल रहा। फिल्म स्टार सनी देओल के स्टारडम के दम पर भाजपा अपने कोटे की गुरदासपुर सीट कांग्रेस से छीनने में कामयाब रही। यहां से चार बार सांसद रहे विनोद खन्ना की मौत के बाद 2017 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने करीब दो लाख मतों से यह सीट भाजपा से छीन ली थी। इस बार जाखड़ सनी देओल से यह सीट नहीं बचा पाए। भाजपा अपने कोटे की तीन में से दो सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही, लेकिन अमृतसर में पूर्व केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी को करारी हार का सामना करना पड़ा।
हिमाचल में भगवा
भितरघात की शिकार कांग्रेस को 2017 के विधानसभा चुनाव की तर्ज पर लोकसभा चुनाव में भी करारी हार का सामना करना पड़ा। यहां की सभी चारों लोकसभा सीटों पर भाजपा की अप्रत्याशित जीत ने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। चार में से तीन सीटों पर भाजपा की जीत का अंतर तीन लाख से अधिक मतों का रहा। चुनाव से ठीक पहले भाजपा छोड़ कांग्रेस का दामन थाम चर्चा में रहे अनिल शर्मा (पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम के बेटे) के बेटे आश्रय शर्मा को कांग्रेस के टिकट पर मंडी से भाजपा के रामस्वरूप शर्मा से साढ़े तीन लाख से अधिक मतों से हार का सामना करना पड़ा। तीन बार के सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर तीसरी बार हमीरपुर से सांसद बनने में सफल रहे। कांग्रेस के दिग्गज नेता ठाकुर राम लाल मोदी मैजिक के चलते अनुराग के आगे नहीं टिक पाए। हिमाचल की चार लोकसभा सीटों पर भाजपा को रिकॉर्ड 69.11 फीसदी मत मिले, जबकि कांग्रेस 27.30 फीसदी मतों पर सिमट गई।