सेलिब्रिटी होना दो-धारी तलवार की तरह है। संदेह हो तो विराट कोहली से पूछिए। एक लोकप्रिय बियर का विज्ञापन बताता है कि प्रशंसक और पूर्व क्रिकेटर किस तरह नाराज हो सकते हैं। वे तभी एकमत होते हैं जब सुपरस्टार फ्लॉप हो जाए। आइपीएल की एक टीम का नेतृत्व करना अलग बात है और भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी करना अलग बात। इस वर्ष संयुक्त अरब अमीरात में खेले गए आइपीएल टूर्नामेंट में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूरू (आरसीबी) के नॉकआउट दौर में हारने के बाद ही छुरियां निकल गई थीं। आइपीएल जीतने में आरसीबी के फिर नाकाम रहने पर विराट कोहली विलेन बन गए। कोहली आठ वर्षों से इस टीम के कप्तान हैं, लेकिन अभी तक एक बार भी टीम को चैंपियन नहीं बना सके। ऐसे में कोहली के आलोचकों को मौका मिलना ही था।
आइपीएल खत्म होने के तत्काल बाद भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया का दौरा करना था। सो यह सवाल भी उठने लगा कि क्या कोहली को सीमित ओवरों के मैच की कप्तानी आइपीएल के सबसे सफल कप्तान रोहित शर्मा को सौंप देनी चाहिए। भारतीय टीम के ऑस्ट्रेलिया दौरे की शुरुआत 27 नवंबर को सिडनी में खेले गए एकदिवसीय मैच से हुई। तीन मैचों की शृंखला ऑस्ट्रेलिया ने 2-1 से जीत ली। हालांकि इसके बाद टी20 शृंखला में भारत ने 6 दिसंबर तक 2-0 से अजेय बढ़त बना ली थी। टी20 के बाद चार टेस्ट होने हैं, जिसकी शुरुआत 17 दिसंबर को एडिलेड में डे नाइट मैच से होगी।
कोहली को हटाने की चर्चा की शुरुआत गौतम गंभीर ने ईएसपीएन क्रिकइंफो को दिए एक साक्षात्कार में की। भारतीय टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज और दो बार आइपीएल टूर्नामेंट जीतने वाली टीम कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) के पूर्व कप्तान ने कहा कि अब समय आ गया है कि दिल्ली रणजी ट्रॉफी टीम के उनके साथी खिलाड़ी को आरसीबी की कप्तानी छोड़ देनी चाहिए। गंभीर ने कहा, “आठ वर्षों से कोहली ने कुछ नहीं जीता है, उन्हें जवाबदेही लेनी चाहिए।”
भारत के पूर्व टेस्ट खिलाड़ी और सम्मानित टीवी कमेंटेटर संजय मांजरेकर ने भी यही बात कही, लेकिन थोड़ी चतुराई से। उन्होंने कहा, “अगर आप परिदृश्य और नतीजे बदलना चाहते हैं तो आपको कप्तान बदलना पड़ेगा।” रोहित शर्मा को विदेश से भी समर्थन मिल रहा है। इंग्लैंड के पूर्व कप्तान और क्रिकेट के मामले में जानी-मानी आवाज नासिर हुसैन ने स्काइ स्पोर्ट्स से कहा, “रोहित शांत और ठंडे दिमाग वाले हैं। सही समय पर सही फैसले लेते हैं। मुंबई इंडियंस के साथ उनका समय इतना अच्छा गुजरा है कि न सिर्फ भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में अनेक क्रिकेटर कहने लगे हैं कि शायद अब समय आ गया है कि विराट टी 20 की कप्तानी छोड़ें और रोहित को संभालने दे। उनके रिकॉर्ड उनकी गवाही देते हैं।”
हालांकि भारत के राष्ट्रीय चयनकर्ताओं ने कोहली के भविष्य को उस तरह नहीं देखा जैसा गंभीर, मांजरेकर या हुसैन चाहते हैं। सुनील जोशी की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने जब 26 अक्टूबर को ‘डाउन अंडर सीरीज’ के लिए टीम का ऐलान किया तब आइपीएल खत्म होने में 10 दिन बचे थे। टेस्ट, एकदिवसीय और टी-20 तीनों टीमों से चोटिल रोहित शर्मा बाहर थे। साफ था कि चयनकर्ता रोहित के 100 फीसदी फिट होने का इंतजार कर रहे थे।
लेकिन भारतीय क्रिकेट में रसूख रखने वाले हमेशा तार्किक ढंग से नहीं सोचते। यहां सत्ता के अनेक केंद्र हैं। उनमें अहम ज्यादा और व्यावहारिकता कम है। रोहित और मुंबई इंडियंस टीम के मैनेजमेंट ने अपने कप्तान को बाहर किए जाने को खेल भावना से नहीं लिया। उम्मीद के विपरीत दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ खेले गए पहले क्वालीफायर मैच में रोहित टॉस के लिए उतरे और यह कह कर चर्चा को हवा दे दी कि वह पूरी तरह फिट हैं।
पांच दिन बाद दिल्ली के खिलाफ फाइनल मैच में रोहित ने 51 गेंदों में 68 रनों की पारी खेली। फिर भी वे बीसीसीआइ को यह भरोसा दिलाने में नाकाम रहे कि वे यात्रा करने के लिए फिट हैं। कुछ खिलाड़ियों के चोटिल होने और एडिलेड में पहले टेस्ट मैच के बाद विराट के पितृत्व अवकाश पर जाने को ध्यान में रखते हुए 9 नवंबर को खिलाड़ियों की संशोधित सूची जारी की गई। तब टेस्ट टीम में रोहित का नाम तो रखा गया लेकिन शर्त यह है कि उन्हें नेशनल क्रिकेट अकादमी में फिटनेस टेस्ट पास करना पड़ेगा। बीसीसीआइ अध्यक्ष सौरभ गांगुली ने स्पष्ट कहा की मुंबई इंडियंस के कप्तान 70 फीसदी फिट हैं।
इस वर्ष मार्च तक सीनियर नेशनल सेलेक्शन कमेटी के चेयरमैन रहे एम.एस.के प्रसाद ने कहा कि अगर रोहित फिट होते और ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए चुने जाते तो वे एकदिवसीय और टी20 टीमों के उपकप्तान होते। प्रसाद के अनुसार, “चयन समिति में हमने कभी दो कप्तान रखने के बारे में नहीं सोचा। विराट तीनों फॉर्मेट में फिट हैं और कप्तानी के दबाव में उनका खेल बिखरा नहीं है। हमने अगली पीढ़ी का नेतृत्व तैयार करना शुरू किया था और उसी के तहत राहुल, श्रेयस अय्यर और हनुमा विहारी तैयार किए जा रहे हैं। राहुल आइपीएल में सबसे अधिक, 670 रन बनाने वाले बल्लेबाज हैं। उनका औसत 55.8 दिन था। 519 रन बनाने वाले अय्यर चौथे नंबर पर हैं। दिल्ली कैपिटल्स में उनके साथी खिलाड़ी शिखर धवन 618 रन बनाकर दूसरे नंबर पर रहे।
अगले वर्ष से लगातार तीन साल विश्वकप होंगे। भारत 2021 में टी20 विश्व कप और 2023 में एक दिवसीय विश्वकप की मेजबानी करेगा। इस साल का टी20 विश्व कप कोविड महामारी के कारण 2022 में ऑस्ट्रेलिया में खेला जाएगा। हालांकि भारत में अलग कप्तान रखने की नीति पर कोई जल्दबाजी नहीं दिख रही है, मगर अगले 12 महीनों में अनेक बदलाव देखने को मिल सकते हैं। कोविड के दौर में एक देश की दो अलग टीमें अलग-अलग देशों में खेलती हुई नजर आ सकती हैं। अच्छी बात यह है कि भारत की उत्तराधिकार योजना काफी ठोस है और विराट कोहली कम से कम अभी चैन की सांस ले सकते हैं।
‘आइपीएल से अगला नेतृत्व तलाशने में मदद’
इस साल मार्च तक चयन समिति का अध्यक्ष रहे एम.एस.के प्रसाद को क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में भारत की सर्वश्रेष्ठ टीम चुनने का श्रेय जाता है। इन टीमों ने विश्व क्रिकेट पर अपनी धाक भी जमाई है। आउटलुक के साथ बातचीत में प्रसाद ने कप्तानी समेत कई मुद्दों पर अपनी राय दी।
विभाजित कप्तानी
मैं चार साल तक चयन समिति का अध्यक्ष रहा और कभी यह बात हमारे सामने नहीं आई। दो अलग कप्तान रखने की चर्चा हाल में शुरू हुई है। हमारे दिमाग में यह बात कभी नहीं थी। अब नई समिति को इस पर विचार करना है।
रोहित शर्मा बतौर कप्तान
रोहित सीमित ओवरों में टीम के उप कप्तान हैं। अगर वे फिट होते तो के.एल. राहुल. विराट कोहली के डिप्टी नहीं बनते। विराट कोहली ने तीनों फॉर्मेट में कप्तान के रूप में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। कप्तानी बदलने की कभी जरूरत महसूस नहीं हुई।
उत्तराधिकार की योजना
हमने श्रेयस अय्यर को पहले ही सीमित ओवरों के लिए इंडिया ए का कप्तान बनाया है। हनुमा विहारी को इंडिया ए टेस्ट टीम का कप्तान बनाया गया। अगली पीढ़ी को तैयार करने में कोई बुराई नहीं है।
आइपीएल में के.एल. राहुल
अगर चयनकर्ताओं को राहुल में नेतृत्व के गुण नहीं दिखते तो उन्हें ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए शामिल नहीं किया जाता। श्रेयस अय्यर के बारे में भी यही कहा जा सकता है। कप्तानी का इनकी बल्लेबाजी पर कोई असर नहीं पड़ा है। दिल्ली कैपिटल्स के साथ श्रेयस और परिपक्व हुए हैं। आइपीएल से नई पीढ़ी के कप्तान तलाशने में मदद मिली है।
ऑस्ट्रेलिया दौरा
एडिलेड टेस्ट के बाद विराट के लौटने पर अजिंक्य रहाणे टेस्ट टीम की कप्तानी करेंगे। तब हमें रहाणे की कप्तानी के गुणों का पता चलेगा। आखिरकार प्रदर्शन ही एकमात्र पैमाना होता है। कप्तानी का मतलब यह नहीं कि टीम में जगह स्थायी हो गई। अगली पीढ़ी के खिलाड़ी तैयार हैं।