अभी 28-29 जून को नए हवाई हमले में 72 लोगों की जान ही नहीं गई और सैकड़ों जख्मी ही नहीं हुए, बल्कि घने इलाकों में ऐसी तबाही मची कि हजारों लोग बेघर हो गए। फिर, गजा के समूचे उत्तरी इलाके खाली कर देने का फरमान जारी कर दिया गया है, जो इज्राएल की सीमा से लगता है। इस बीच ट्रम्प ने नेतान्याहू से हमले रोकने और डील करने का मैसेज दिया है और संभावना है कि 7 जुलाई को वाशिंगटन में बैठक होगी। लेकिन ट्रम्प पहले कह चुके हैं कि गजा अमेरिका को सौंप दिया जाए और वहां के लोगों को मिस्र या बगल के देश अपने यहां शरण दें। इन सबसे क्या निकलता है, यह तो आगे दिखेगा, लेकिन गजा में जो कहर बरपा है और जैसे लोग मारे गए हैं, उसे अंतरराष्ट्रीय बिरादरी भी कत्लेआम से कम नहीं मान रही है।
इस कत्लेआम में मारे गए लोगों के हमास संचालित स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े भी कमतर बताए जा रहे हैं। हाल में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, गजा में अक्टूबर 2023 से जनवरी 2025 के बीच 84,000 लोगों की मौत हुई, चाहे सीधे जंग में और उसकी वजहों से। जाहिर है, वजहें भुखमरी, बीमारी और स्वास्थ्य सेवा का लगभग पूरी तरह खत्म होना है। इन मौतों में कम से कम 75,200 फलिस्तीनी जंग की हिंसा में मारे गए। ये आंकड़े गजा स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों से लगभग 39 फीसदी अधिक हैं, जिसके मुताबिक, उस अवधि में मरने वालों की संख्या 45,650 थी।
इस अध्ययन का नेतृत्व लंदन के रॉयल होलोवे विश्वविद्यालय के माइकल स्पैगट ने किया था, और डेटा फलिस्तीन सेंटर फॉर पॉलिसी ऐंड सर्वे रिसर्च ने जुटाए थे। अध्ययन में कहा गया है, “5 जनवरी को डेटा जुटाना समाप्त करने के लगभग 10 दिन बाद संघर्ष विराम का ऐलान हुआ, लेकिन 18 मार्च को फिर इज्राएली हवाई हमलों के साथ टूट गया।” उसके बाद के चार-पांच महीनों में मौतें और हुई होंगी क्योंकि गजा के सहायता केंद्रों में हाल में गोलीबारी हुई।
अलबत्ता अध्ययन में गजा स्वास्थ्य मंत्रालय के कुछ आंकड़ों की पुष्टि हुई। मसलन, मारे गए लोगों में महिलाएं, बच्चे, और बुज़ुर्ग शामिल हैं। अध्ययन के मुताबिक जंग की हिंसा में मारे गए 75,200 लोगों में 56.2 फीसदी महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग ही हैं। उनमें अंतरराष्ट्रीय मदद या रसद के लिए लाइन में लगे लोगों पर गोलीबारी में मारे गए लोगों की तादाद भी भारी है। वहां खाने की चीजों, दवाई, इलाज की दूसरी चीजों का ही घोर अभाव नहीं है, जिनसे जख्मी लोग भी मौत के शिकार हो रहे हैं। अंततरराष्ट्रीय मदद में रोड़े अटकाने और मदद के लिए कतारबद्ध लोगों पर गोली चलाकर मार डालने की खबरें भी व्यापक हैं, जिनसे अंतरराष्ट्रीय बिरादरी भी हिल उठी है। 30 जून को इज्राएल के रक्षा मंत्री ने स्वीकार किया कि रसद के लिए लाइन में लगे लोगों पर गलती से गोलीबारी हुई थी, जो आगे नहीं होगी।
अध्ययन के मुताबिक, जंग की हिंसा में गजा की आबादी के करीब 3.6 फीसदी लोगों की मृत्यु हुई। उसमें कहा गया है कि गजा स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के कम होने की बड़ी वजह अफरातफरी और अराजकता का माहौल के अलावा सारी मौतों की रिपोर्ट न हो पाना हो सकती है। अध्ययन में यह भी कहा गया है कि हमारे आंकड़े भी कमतर हो सकते हैं क्योंकि अफवाहों के आधार पर कुछ भी दर्ज न करने की नीति अपनाई। संभव है, "भुखमरी से ही 62,413 लोग मर गए हों।"
लेकिन इज्राएल के हमले कम नहीं हो रहे हैं। मौतों के आंकड़े भयावह कत्लेआम की तरह हैं। ईरान के साथ लड़ाई में गजा खबरों से ओझल हो गया था, लेकिन वहां जंगबंदी के ऐलान के बाद जैसे ही नेतन्याहू पर मुकदमे और देश के भीतर उनसे मोहभंग की खबरें आने लगीं तो फिर हमले और धमकियां जारी हो गईं। कई विश्लेषकों का मानना है कि नेतन्याहू ने गजा को अपनी सरकार बचाने और आलोचनाओं से उबरने का जरिया बना लिया है। अब देखना है, ट्रम्प क्या डील करवा पाते हैं और क्या गजा के लोगों को इस कत्लेआम से राहत मिल पाती है या फिर कोई और संकट इंतजार कर रहा है।