हाल ही में इंग्लैंड में नॉटिंघम के ट्रेंट ब्रिज में कुल जमा चार गेंदे भारत के स्टार बल्लेबाज विराट कोहली के हालिया संघर्ष की कहानी हैं। आधुनिक क्रिकेट के महान खिलाड़ी माने जाने वाले दिग्गज ने महज 11 रन बनाए और भारत मेजबान से तीसरा टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच हार गया। हालांकि भारत टी-20 सीरिज जीत गया। पारी की शुरुआत करते हुए कोहली का सामना डेविड विल्ली से तीसरे ओवर में हुआ। पहली गेंद चुपचाप निकल गई, दूसरी को उन्होंने मिड-ऑन की ओर चौके के लिए उछाल दिया। लेकिन तीसरी गेंद पर तो मानो कोहली का क्लास चस्पा हो गया, उन्होंने गेंदबाज के सिर के ऊपर से उठा दिया और गेंद मैदान के बाहर जा टपकी।
यह ऐसा हैरान करने वाला शॉट था कि सौ बार भी देखे तो जी नहीं भरता! बल्लेबाज की यादें सैलाब की तरह उमड़ने लगीं, जो कभी धरती के हर कोने के गेंदबाजों को अपने स्ट्रोक से मात कर दिया करते थे। उस शॉट को देख खेल के कद्रदान खुशी से झूम उठे। उनके करोड़ों फैन के कान में वह कहावत गूंजने लगी कि ‘क्लास तो सदाबहार है, फॉर्म फौरी।’
उस शॉट की टाइमिंग और प्लेसमेंट इतना सटीक था कि लोग सोचने लगे कि ‘दिल्ली डायनामाइट’ अब फटेगा और लंबी पारी खेलेगा। अफसोस! वह शायद लिखा नहीं था और दिवानों की खुशी अगले ही पल छू-मंतर हो गई। विल्ली के मुट्ठियों से अगली गेंद निकली तो कोहली के फैन फिर वैसे ही क्लासी शॉट का ख्वाब देखने लगे। लेकिन यह क्या! गेंद बल्ले से टकराकर ऑफ साइड के फिल्डर के हाथों में जा बैठी और भारतीय स्टार छह गेंदों की पारी समेटकर मुंह लटकाए विदा हो गए। ऐसा ही कुछ लॉडर्स में 15 जुलाई को इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे एकदिवसीय में 16 रनों की पारी में भी घटा। ये रन पिछले कुछ सीजन से कोहली के संघर्ष की कथा कहते हैं।
कोहली के लिए सैकड़ा का सूखा तकरीबन ढाई साल से जारी है। हालांकि पिछले तीन साल के दौरान कुछ यादगार पारियां जरूर खेलीं मगर वे लंबे वक्त पहले और थोड़ी हैं। इससे इनकार नहीं कि 33 साल के खिलाड़ी का सभी फॉर्मेट में ट्रैक रिकॉर्ड शानदार रहा है। 102 टेस्ट और 49.53 के तगड़े औसत से 8,074 रनों का खजाना बटोरने वाले कोहली अब तक 27 सैकड़ा मार चुके हैं। कोहली ने 261 एकदिवसीय पारियों में 57.87 के मार्के के औसत से 43 शतकों के साथ 12,327 रन बटोरे हैं। सौ से बस एक कम टी-20 अंतरराष्ट्रीय में उन्होंने 3,308 रन (औसत 50.12) बनाए हैं मगर एक भी सैकड़ा नहीं जड़ पाए हैं।
किसी क्रिकेटर का ऐसा शानदार रिकॉर्ड और रनों के आंकड़े हों तो उसे राष्ट्रीय टीम से हटा देने का फैसला वाकई भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) के चयनकर्ताओं के लिए मुश्किल होता है। बतौर कप्तान कोहली ने देश को नंबर 1 टेस्ट रैंकिंग दिलाई, मगर 2022 में कप्तानी छोड़ने के बाद से उन्हें अपना वह फॉर्म हासिल नहीं हो पाया, जिससे उन्होंने ‘रन मशीन’ का खिताब पाया। खराब फॉर्म की वजह से पूर्व भारतीय खिलाड़ियों की ओर से कोहली को राष्ट्रीय टीम से हटाने की आवाजें उठने लगीं, जिसमें 1983 का विश्व कप जीतने वाले कप्तान कपिल देव भी हैं। कोहली ने नवंबर 2019 से किसी फॉर्मेट में सैकड़ा नहीं जड़ा है। 70 अंतरराष्ट्रीय सैकड़ा लगा चुके उनकी हैसियत के खिलाड़ी के लिए यह खराब फॉर्म है। पिछले तीन साल से कोहली का एकदिवसीय औसत गिरता गया है। 2020 में नौ मैच में 431 (47.89) रन बनाए जबकि 2021 में तीन मैच में सिर्फ 129 (43.00) रन ही बना पए। 15 जुलाई को इंग्लैंड के खिलाफ एकदिवसीय मैच तक 2022 में सात मैच में कुल जमा 158 रन ही बनाए। पिछले तीन साल में 19 मैच में सर्वाधिक रन 89 ही रहा है।
उन्होंने 2020-2022 में 18 टेस्ट खेले और सर्वाधिक स्कोर 79 ही रहा। उनका 2020 में औसत 19.33 से 2022 में 31.43 तक पहुंचा, जबकि 2021 में 28.21 था। 2020-2022 में 24 टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच में उनका प्रदर्शन मिलाजुला रहा है। 2021 में 10 मैच में उनका औसत 74.75 तक पहुंचा, जो 2020 में 36.88 से काफी बेहतर था। हालांकि इस चार टी-20 में उनका निराशाजनक औसत 20.25 रहा। इसी ऊंच-नीच से महान खिलाड़ियों, कप्तानों, एनॉलिस्ट और फैन उनकी आलोचना में आवाज उठाने लगे।
स्टार क्रिकेटरों का ऊंच-नीच से गुजरना कोई नई बात नहीं है। सचिन तेंडुलकर, राहुल द्रविड़ और दूसरे महान खिलाड़ियों को भी ऐसे दौर से गुजरना पड़ा है। लेकिन वापस फॉर्म लौटा लाने की अपनी लगन और संकल्प से वे उठ खड़े होते रहे हैं। मेजबान वेस्ट इंडीज के खिलाफ आगामी सीरिज में उन्हें आराम देने के चयनकर्ताओं के फैसले से यह बड़ा सवाल उभर आया कि क्या कोहली इस साल के आखिर में ऑस्ट्रेलिया में होने वाले टी-20 विश्व कप स्पर्धा के लिए प्रबंधकों की योजना में शामिल हैं? उन्हें पहले भी वेस्ट इंडीज के खिलाफ एकदिवसीय सीरिज में आराम दिया गया था। वेस्ट इंडीज दौरे में ‘जबरन’ आराम कोहली के लिए बल्लेबाजी को नए सिरे से निखारने और भारत के टी-20 विश्व कप अभियान से पहले मजबूत होकर उभरने का अच्छा मौका होगा।
उम्मीद करनी चाहिए कि कोहली का खराब फॉर्म अल्पकालिक हो। कभी तेंडुलकर की विरासत को आगे बढ़ाने वाले के रूप में चर्चित कोहली को बस एक अच्छे शतक की दरकार है, जिससे उनका फॉर्म और एकाग्रता लौट आएगी। उनमें अच्छे-से अच्छे गेंदबाज पर हावी होने की काबिलियत है।
कोहली आक्रामकता और जुनून के लिए चर्चित हैं। दक्षिण अफ्रीका में सीरिज हारने के बाद 2022 में कोहली ने कप्तानी छोड़ दी। उसके पहले वे टी-20 कप्तानी छोड़ चुके थे और एकदिवसीय कप्तान के पद से भी हटा दिए गए। कप्तानी का बोझ हटने के बावजूद वे फॉर्म नहीं पा सके। तमाम आलोचनाओं के बावजूद उन्हे मौजूदा कप्तान रोहित शर्मा और बीसीसीआइ अध्यक्ष सौरभ गांगुली का समर्थन हासिल है।
2014 में इंग्लैंड के दौरे में उनका प्रदर्शन निराशाजनक रहा था। जिम्मी एंडरसन ने ऑफ साइड से बाहर जाती गेंदों पर उन्हें लगातार छकाया था। इससे सबक लेकर उन्होंने 2014-15 में ऑस्ट्रेलिया दौरे में गजब प्रदर्शन किया। उन्होंने चार टेस्ट में चार शतक के साथ 86.5 के औसत से 692 रन बनाए। उनमें ऐसे गजब स्ट्रोक खेलने की भरपूर क्षमता है, जिसे देखने को भारतीय क्रिकेट फैन लालायित हैं।
(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार और ओमान के मस्कट स्थित स्पोर्ट्स मीडिया कंसल्टेंट हैं। विचार निजी हैं)