Advertisement

प्रवासी भक्तों को चुनावी बुलावा

मोदी की सत्ता में वापसी के लिए सैकड़ों भाजपा समर्थक प्रवासी भारत पहुंचे, कई महीनों से सोशल मीडिया और गांव-शहरों की छान रहे खाक
दूर देश मेंः लंदन में कार रैली को झंडी दिखाते भाजपा समर्थक

दशक भर पहले लंदन गए आइटी पेशेवर 47 वर्षीय संतोष गुप्ता ने इन दिनों भारत में डेरा जमा रखा है। उनका मिशन है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सत्ता में वापसी। इसके लिए अपने व्यस्त कामकाज से उन्होंने छह महीने की छुट्टी ले रखी है। इसी मिशन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए 70 वर्षीय रमेश शाह भी अपने वतन में हैं। अलग-अलग काम कर रहे गुप्ता और शाह ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ भाजपा (ओएफबीजेपी) से जुड़े हैं। सत्ताधारी दल के इस विदेशी प्रकोष्ठ की पूरी दुनिया में 25 इकाइयां हैं। आम चुनाव में भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने के लिए सैकड़ों एनआरआइ देश में प्रचार कर रहे हैं। अपनी 30 सदस्यीय टीम के साथ गुप्ता नवंबर से ही भारत में डटे हैं। उनके अलावा ओएफबीजेपी की ब्रिटेन इकाई से जुड़े 300 और पेशेवर भी भारत में काम कर रहे हैं। बेंगलूरू, मुंबई, दिल्ली और पुणे के कई कॉलेजों में गुप्ता की टीम छात्रों से संवाद कर चुकी है। उनकी मानें तो जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय को छोड़कर अन्य जगहों पर टीम को छात्रों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है।

गुप्ता के अनुसार उनकी टीम पहली बार वोट डालने जा रहे लोगों पर मुख्य रूप से फोकस कर रही है। गुप्ता का कहना है, “जब हम भारत की बदलती छवि की बात करते हैं तो युवा मतदाता प्रभावित होते हैं। हम उन्हें बताते हैं कि कैसे मोदी के नेतृत्व में भारत वैश्विक ताकत बनकर उभरा है।”

वैसे, जिस देश में 90 करोड़ वोटर हों, वहां इस तरह का अभियान एक छोटे हिस्से को ही प्रभावित कर पाता है। लेकिन, भाजपा जानती है कि चुनाव में यह तबका उसके लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। बहुत सारे लोगों को लगता है कि मोदी को दूसरा कार्यकाल मिल सकता है, लेकिन जानकारों का मानना है कि विपक्ष से कड़ी चुनौती मिल रही।

छात्रों के बीच बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है। इसे गुप्ता भी कबूल करते हैं। लेकिन, उनकी टीम युवा मतदाताओं को ‘मेक इन इंडिया’ और मोदी सरकार की अन्य उपलब्धियों से होने वाले फायदों के बारे में बताती है। जो संदेह जताते हैं उन्हें वे इंफोग्राफिक्स और रोजगार के आंकड़ों का हवाला देकर संतुष्ट करने की कोशिश करते हैं।

गुप्ता का मानना है कि केवल भाजपा ही देश का विकास कर सकती है। उन्होंने छह महीने के लिए अपनी कंसल्टेंसी फर्म बंद कर दी है और इसके कारण होने वाले नुकसान को लेकर चिंतित नहीं हैं। वे कहते हैं, “यह एक बड़े मकसद के लिए है।” मतदाताओं तक पहुंचने के लिए उनकी टीम फोन और सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल कर रही है।

विदेश से देश में संदेशः ब्रिटेन के बर्मिंघम में प्रवासियों के बीच प्रचार

जानकारों का मानना है कि दुनिया में सबसे प्रभावशाली तबकों में से एक माने जाने वाले भारतीय प्रवासी चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। खबरें ये भी हैं कि 2014 में प्रवासी भारतीय भाजपा के लिए सबसे बड़े दानदाता थे। 2014 के चुनाव में इनकी प्रभावशाली भूमिका के चलते ही इस बार भी भाजपा उनकी क्षमताओं का व्यापक तौर पर इस्तेमाल कर रही है। भाजपा के विदेशी प्रकोष्ठ के प्रमुख विजय चौथाईवाले के अनुसार, 27 देशों के 6,000 से अधिक प्रवासियों ने सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर और जमीनी चुनाव प्रचार के लिए पार्टी से संपर्क किया था। चौथाईवाले कहते हैं, “मित्रों, परिजनों और परिचितों का व्हाट्सएेप ग्रुप बनाकर कई लोग मोदी को फिर से जिताने की अपील कर रहे हैं।”

ओएफबीजेपी के कार्यकर्ता विदेश में भी मोदी के लिए कैंपेन कर रहे हैं। ब्रिटेन इकाई के संयोजकों में से एक सुरेश मंगलागिरि बीते तीन महीने से लंदन में दूसरे दौर का कैंपेन आगे बढ़ा रहे हैं। खुद की आइटी फर्म चलाने वाले इस पेशेवर का कहना है कि वे देशहित में ऐसा कर रहे हैं। हैदराबाद से ताल्लुक रखने वाले मंगलागि‌रि बीते 17 साल से लंदन में रह रहे हैं और उनका मानना है कि मोदी ने प्रवासी भारतीयों की तकदीर बदल दी है। वे कहते हैं, “प्रवासियों की आज जैसी पहचान है, वैसी पहले कभी नहीं रही। यह मोदी की करिश्माई अपील के कारण मुमकिन हो पाया है।” उनका कहना है कि नीरव मोदी और विजय माल्या के मामलों से प्रधानमंत्री की लोकप्रियता पर कोई असर नहीं पड़ा है। वे कहते हैं, “मोदी के डर के कारण ही वे देश से भागे हैं।”

मंगलागि‌रि के दिन की शुरुआत सुबह सात बजे हो जाती है। ट्विटर और फेसबुक को खंगालने के बाद वे दिन भर प्रचार कार्यक्रमों को अंतिम रूप देने, सोशल मीडिया टीम के साथ समन्वय करने और योजनाओं को अंजाम तक पहुंचाने वाली कोर टीम के ‘कार्यकर्ताओं’ से संवाद करते हैं। ब्रिटेन में रहने वाले भारतीयों की तादाद करीब 14 लाख है और ये देश में काफी दखल रखते हैं। इसलिए, कैंपेन की योजनाएं पिछले साल अगस्त की शुरुआत में ही तैयार कर ली गई थीं। मंगलागि‌रि ने बताया, “करीब पांच हजार कार्यकर्ता प्रचार में लगे हैं।”

मंगलागि‌रि ने बताया कि लोगों तक पहुंचने के लिए ब्रिटिश इकाई ने मार्च की शुरुआत में बाइक और कार रैली निकाली थी। कई शहरों से गुजरी इन रैलियों को शानदार प्रतिक्रिया मिली थी। अब ब्रिटिश इकाई ‘कवि सम्मेलन’, ‘यूके रन फॉर मोदी’, ‘ए टाउन हॉल विद स्टूडेंट्स’ और ‘डांस ऑफ डेवलपमेंट’ जैसे कार्यक्रमों के आयोजन कर रही है। भाजपा की अमेरिकी इकाई भी भारतीय समुदाय के लोगों को लुभाने में जुटी है। जमीनी अभियान के प्रभारी जॉर्जिया के चिकित्सक डॉ. वासुदेव पटेल ने बताया कि मोदी ने दुनिया के नक्शे पर भारत को और अधिक प्रतिष्ठित किया है। पटेल 1984 में अमेरिका गए थे और वे प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों का हवाला देते हैं। गुजरात के मेहसाणा से ताल्लुक रखने वाले पटेल कहते हैं, “मैं 1975 से मोदी के साथ काम कर रहा हूं।” उनकी टीम अमेरिका के कम से कम 20 शहरों में हर हफ्ते ‘चाय पे चर्चा’ कैंपेन चला रही है। पटेल कम से कम रोज दो घंटे सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं और घर लौट रहे दोस्तों से संवाद करते हैं। उन्होंने बताया, “हर हफ्ते कम से कम 150 पेशेवरों का समूह वर्ल्ड कोका कोला सेंटर या टाइम्स स्क्वायर जैसी नामचीन जगहों पर जुटता है और मोदी सरकार पर छोटे-छोटे वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में पोस्ट करता है।” 6,000 की सदस्यता वाली अमेरिकी इकाई ने योजनाओं को पूरा करने के लिए अलग से टीम बना रखी है। भारतीय समुदाय के बीच समर्थन को बढ़ाने के लिए विभिन्न अमेरिकी राज्यों में कार रैली भी आयोजित की जा रही है। पटेल ने बताया कि सीनेटर और गवर्नर्स भी अब भारत की बढ़ती ताकत को स्वीकार कर रहे हैं। वे कहते हैं, “पुलवामा हमले के बाद हमने जो कैंडल मार्च निकाला उसमें हजारों लोग शामिल हुए। बिना न्योते के एक सीनेटर भी शामिल हुए।”

गुजरात के अरावली से ताल्लुक रखने वाले रिटायर्ड इंजीनियर रमेश शाह पत्नी के साथ भारत के गांवों की खाक छान रहे हैं। वे नवंबर से झारखंड, गुजरात समेत कई राज्यों में जा चुके हैं। उन्होंने बताया, “मोदी की तरह कोई और प्रधानमंत्री प्रवासियों के साथ नहीं जुड़ा। वे इस उम्र में भी मुझे काम करने को प्रेरित करते हैं। आज मजबूत नेतृत्व के कारण ही मैं खुद को ताकतवर महसूस करता हूं।”

Advertisement
Advertisement
Advertisement