जबान संभाल के
हालांकि कंगना रनौत इस गेम की पुरानी खिलाड़ी हैं, लेकिन जावेद अख्तर भी अनाड़ी नहीं हैं, यह कंगना को मालूम नहीं था। मेंटल है क्या, माफ कीजिए जजमेंटल है क्या स्टार ने अख्तर साहब पर एक इंटरव्यू में कई आरोप लगाए। इस पर भी अख्तर साहब मानहानि का मुकदमा न करते, तो क्या सिमरन को गले लगाते। 2020 का मामला कंगना की माफी के साथ खत्म हो गया। इसके बाद शायद उन्हें ‘उठाई जबान लगा दी तालू से’ कहावत का अर्थ समझ आ गया होगा।
सब जायज
शांति धारावाहिक से ग्लैमर जगत में पैर जमाने वाली मंदिरा बेदी वाकई बहुत सारे जूतों में पैर डाले रखती हैं। टीवी प्रेजेंटर, फिटनेस एक्सपर्ट, अभिनेत्री... इतना कुछ करने के बीच में उन्होंने जूते में पैर डाला वह सिंड्रेला का सैंडिल भले ही न था लेकिन यह इंद्रधनुषी जूता उन्होंने खुद रंगा है। इससे पहले किसी को पता नहीं था कि वे आर्ट ऐंड क्राफ्ट में भी दिलचस्पी लेती हैं और पेटिंग उनका पैशन है। सुनहरे फीतों वाले इस जूते की सुंदरता से ज्यादा जनता को चिंता इस बात की थी कि ये दुरंगे क्यों हैं। कौन है, जो एक पैर में नीला और दूसरे पैर में पीला जूता पहनता है। यह तो मंदिरा जानें, फैशन में सब चलता है।
पुराने का अफसोस
सामंथा रूथ प्रभु बीत गई सो बात गई में लगता है यकीन नहीं करती हैं। दो बातों का अफसोस उनकी बातों में रह-रह कर झलकता रहता है। एक तो यह कि उन्होंने नागा चैतन्या से शादी कर बड़ी भूल कर दी। तलाक के बाद नागा की दूसरी शादी भी हो चुकी लेकिन सामंथा यह बात भूलने को तैयार नहीं। दूसरी बात, उन्हें लगता है उन्हें किसी बेहतर फिल्म से करिअर की शुरुआत करनी थी। तब शायद उनके पास बेहतर काम होता।
कमी के बावजूद
इस बार ऑस्कर अवॉर्ड में भीड़ में कमी देखी गई। लेकिन अभी भी इसका जलवा कम नहीं हुआ है। इस बार अनोरा फिल्म ने ऑस्कर में धूम मचा दी। इस फिल्म में मुख्य भूमिका निभाने वाली मिकी मैडिसन ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का खिताब जीतने के साथ-साथ एक और रेकॉर्ड कायम किया। मैडिसन जेन जी की पहली अभिनेत्री हैं, जिन्होंने इस प्रतिष्ठित अवॉर्ड को अपने नाम किया है।
हम भी मैदान में
फिल्मों में शर्मिला टैगोर सिर्फ एक नाम ही नहीं, बल्कि भावना का नाम है। उनके पोते-पोती सारा अली खान और इब्राहिम खान के बॉलीवुड में कदम रखने के बाद भी उनका क्रेज कम नहीं हुआ है। पिछले दिनों यह बात एक बार फिर सिद्ध हो गई, जब उनकी दो फिल्में नायक और आराधना को फिर से थिएटर में रिलीज किया गया। नायक को सत्यजीत राय ने निर्देशित किया था और यह शर्मिला के शुरुआती दिनों की बांग्ला फिल्म है। बावजूद इसके बड़ी संख्या में दर्शक वहां मौजूद रहे।