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कश्मीर: कश्मीर में 'पीएमओ'

गुजरात से आया ठग चार महीने तक जेड प्लस सुरक्षा में संवेदनशील क्षेत्रों में क्या खोजता रहा
कैसे मिली जेड प्लसः हत्थे चढ़ने से पहले जेड प्लस सुरक्षा में किरण पटेल (बीच में)

बीते 20 मार्च को श्रीनगर की एक अदालत में किरण भाई पटेल नाम के एक गुजराती बहुरूपिये की जमानत याचिका का केस आया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सरकारी वकील से पूछा, “कैसे मुमकिन है कि इस आदमी को कश्मीर में जेड प्लस सुरक्षा मिल गई, जबकि कुछ वक्त पहले निजी सुरक्षाकर्मी के लिए आवेदन करने के बाद भी मुझे अभी तक सरकार से मंजूरी नहीं मिली है।” इस बात पर सबकी हंसी छूट पड़ी। अदालत ने पटेल को जमानत नहीं दी। लेकिन गुजराती ठग के साथ किए गए वीवीआइपी बरताव पर घाटी का राजनीतिक नेतृत्व भड़का हुआ है।

पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला कहते हैं, “जो सरकार लोगों के वोट से चुनी जाती है, वह पीएमओ के अफसर को नहीं बल्कि लोगों को खुश रखने की कोशिश करती है।” उनका कहना है कि मौजूदा सरकार के मन में लोगों के लिए कोई अहसास नहीं है। उमर तंज कसते हुए कहते हैं, “भले ही कोई पीएमओ का फर्जी अधिकारी क्यों न हो, अगर वह जम्मू-कश्मीर से खुश होकर लौटता है तो सरकार को संतुष्टि मिलती है।”

जम्मू-कश्मीर पुलिस के मुताबिक श्रीनगर में खुद को प्रधानमंत्री कार्यालय का वरिष्ठ अधिकारी बताने के आरोप में 3 मार्च को पटेल को गिरफ्तार किया था। पुलिस का कहना है कि सीआइडी शाखा ने सूचना दी थी कि कश्मीर में एक बहुरूपिया घूम रहा है।

पुलिस ने जब पटेल को गिरफ्तार किया, उस वक्त  वह डल झील के सामने स्थित ग्रैंड ललित होटल में जेड प्लस सुरक्षा के साथ ठहरा हुआ था। अक्टूबर 2022 से ही वह खुद को पीएमओ का अतिरिक्त निदेशक (स्ट्रेटजी ऐंड कैम्पेन) बताता रहा है। पुलिस ने उसके पास से 10 विजिटिंग कार्ड और दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं। पटेल का वेरिफाइड ट्विटर हैंडल डॉ. किरण जे. पटेल के नाम से है। उसके बाॅयो में लिखा है, पीएचडी (कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी, वर्जीनिया), एमबीए (आइआइएम, त्रिच्चि), एमटेक (कंप्यूटर साइंस), बीई कंप्यूटर (एलडी इंजीनियरिंग), थिंकर, स्ट्रेटेजिस्ट, एनालिस्ट, कैंपेन मैनेजर।

पिछली कश्मीर यात्रा में पटेल के साथ तीन व्यक्ति और थे। एक व्यक्ति का नाम अमित पंड्या है, जो गुजरात का निवासी है। वह गुजरात के मुख्यमंत्री कार्यालय में जनसंपर्क अधिकारी हितेश पंड्या का बेटा है। बाद में हितेश पंड्या ने इस्तीफा दे दिया। अन्य दो व्यक्तियों की पहचान जय सीतापारा (गुजरात निवासी) और त्रिलोक सिंह (राजस्थान) के रूप में हुई है। तीनों कथित ‘पीएमओ टीम’ का हिस्सा थे।

पटेल पहली बार अक्टूबर 2022 में कश्मीर आया था। उसने भाजपा के प्रवक्ता मंजूर अहमद भट से मुलाकात की थी। भट ने आउटलुक को बताया कि उसने उन्हें दिल्ली से फोन किया और खुद को पीएमओ का वरिष्ठ अधिकारी बताया था। भट बताते हैं, “फोन पर उसने मुझसे कहा कि वह श्रीनगर में मुझसे मिलना चाहेगा। वह जम्मू-कश्मीर में चुनावों के बारे में कुछ जानना चाहता था। मैंने कहा कि कश्मीर में स्थिति सामान्य है और लोग चुनाव चाहते हैं।”

भट जब ग्रैंड ललित पहुंचे तो पटेल के सुरक्षा मजमे को देखकर हैरान रह गए। उन्हें भरोसा हो गया कि यह आदमी पीएमओ से है। वे बताते हैं, “उसके पास जेड प्लस सुरक्षा थी। पुलिस भी वहां मौजूद थी। उसने मुझसे चुनाव संबंधी विवरण मांगा। मैंने उसे ब्रीफ कर दिया।” भट का कहना है कि पटेल के कमरे से बाहर निकलने के बाद उसने उनसे दोबारा संपर्क नहीं किया।

तथ्यों के हिसाब से देखें, तो जेड प्लस सुरक्षा जिसको मिली होती है उसके साथ 55 सुरक्षाकर्मियों का समूह होता है। इसमें 10 राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के हथियारबंद कमांडो होते हैं। पिछली सूचना के अनुसार देश में केवल 40 वीआइपी श्रेणी के व्यक्तियों को यह सुरक्षा मिली हुई है। 2020-21 के आंकड़ों के मुताबिक एक व्यक्ति की जेड प्लुस सुरक्षा पर प्रतिमाह 33 लाख रुपये का खर्च आता है। 

अक्टूबर से अब तक की गई कश्मीर की चार यात्राओं के दौरान पटेल कश्मीर के लगभग सभी जिलों में जा चुका है। मध्य कश्मीर के बडगाम जिले के अपने दौरे में पटेल निरीक्षण के लिए पर्यटन स्थल दूधपथरी गया था। पटेल ने वहां वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। सूत्रों का कहना है कि बैठक के दौरान उसने दूधपथरी के अधिकारियों से बार-बार पूछा कि बडगाम के डीसी बैठक में क्यों मौजूद नहीं हैं। उसने कहा कि वह उन्हें सबक सिखाएगा और तबादला करावा देगा।

बडगाम के डिप्टी कमिश्नर सैयद फखरुद्दीन हामिद कहते हैं, “मेरे अधीनस्थों ने जब मुझे उसके बारे में बताया तो मैंने पीएमओ के उच्च अधिकारियों से बात की और सूचना दी कि वह मेरा तबादला करवाने की धमकी दे रहा है। मैंने पुलिस से इस मामले की जांच करने को कहा।”

पटेल ने श्रीनगर से करीब 150 किलोमीटर दूर उत्तर में स्थित उड़ी सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पास के संवेदनशील सीमावर्ती इलाकों का भी दौरा किया था।

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी इसे “महज गलती” बता रहे हैं। कुछ सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पटेल और उसके सहयोगियों को एक उपायुक्त द्वारा सिफारिश किए जाने के बाद सुरक्षा दी गई थी।

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कश्मीर) विजय कुमार ने कश्मीर में संवाददाताओं से कहा कि पटेल को जेड प्लस सुरक्षा प्रदान करने का निर्णय एक ‘गलती’ थी और दोषी अधिकारियों को दंडित किया जाएगा।

कुमार ने श्रीनगर में एक खेल आयोजन के दौरान कहा, “पटेल को सुरक्षा प्रदान करना खुफिया विफलता नहीं, बल्कि गलती थी जिसकी जांच की जा रही है। जिस भी अधिकारी ने बिना जांच पड़ताल के इस ठग को सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दिया है, उससे सख्ती से निपटा जाएगा।”

पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पूछते हैं, “यह कैसे संभव है।” उनका कहना है, उनकी पार्टी के नेताओं को अनुरोध और दलीलों के बावजूद सुरक्षा नहीं मिलती जबकि आतंकवादी हमलों के लिए वे सबसे संवेदनशील हैं।

उमर कहते हैं, “एक आदमी गुजरात से आता है और अधिकारियों से कहता है कि वह पीएमओ से है। कोई उससे कुछ नहीं पूछता। पीएमओ को फोन करना जरूरी नहीं समझा जाता। मान लिया एक बार गुमराह हो गए लेकिन यह किस तरह की नाकारा सरकार है? उन्होंने उसे बुलेटप्रूफ वाहन दिया। एस्कॉर्ट वाहन दिए। पांच सितारा होटल में कमरा दिया। वह हर दिन अधिकारियों के साथ बैठक करता रहा। ये अधिकारी जो हमारे फोन नहीं उठाते हैं, इस जालसाज के तलवे चाटते रहे। वे उससे पीएमओ में अपनी सिफारिश लगवा रहे थे। वह गुलमर्ग गया और वहां के होटलों का निरीक्षण किया। वह नियंत्रण रेखा पर उड़ी गया। उसे सीमावर्ती क्षेत्रों का दौरा और निरीक्षण करवाया गया। पता नहीं उसके साथ कौन-कौन सी गोपनीय चीजें साझा की गई हैं।”

उनका कहना है कि वे राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और अच्छी तरह जानते हैं कि उपायुक्त के हाथ में किसी को सुरक्षा देने का अधिकार नहीं होता है।

उमर कहते हैं, “सुरक्षा प्रदान करने का निर्णय पुलिस मुख्यालय में लिया जाता है।”

उनका कहना है कि किसी व्यक्ति को सरकारी वाहन दिया जाना चाहिए या नहीं, इसका निर्णय सचिवालय में लिया जाता है। उन्होंने बताया, “पांच सितारा होटल का बिल डीसी मंजूर नहीं करता, प्रोटोकॉल विभाग से मंजूरी के बाद वित्त विभाग करता है। अगर यह नाकारापन नहीं तो और क्या है।” उमर कहते हैं, “यह आदमी तो पकड़ा गया, लेकिन हम नहीं जानते ऐसे और कितने लोग अभी बाहर घूम रहे हैं।”

बड़ा सवाल यह है कि पटेल को जेड सुरक्षा किसने दी, वह पहली बार कश्मीर कैसे पहुंचा, सरकार ने उस पर कैसे भरोसा किया और उसकी देखभाल के लिए दिल्ली से किसने फोन किया। कोई भी इन सवालों का जवाब नहीं दे रहा है। जम्मू और कश्मीर की सुरक्षा प्रणाली अभूतपूर्व है और यह मानना मुश्किल है कि कोई आदमी पांच महीने तक सिस्टम को मूर्ख बना सकता है और वरिष्ठ लोकसेवकों और पुलिस अधिकारियों से मिलता रह सकता है। पटेल के खिलाफ गुजरात में जालसाजी की तीन एफआइआर पहले ही दर्ज थीं, इसके बावजूद वह सोशल मीडिया पर कश्मीर में विभिन्न स्थानों का निरीक्षण करते हुए अपनी वीडियो पोस्ट कर रहा था। सबके सामने होने के बावजूद किसी ने उसे नहीं पकड़ा।

भट बताते हैं कि श्रीनगर हवाई अड्डे पर उसके आगमन को ‘पीएमओ प्रतिनिधिमंडल’ के रूप में फ्लैश किया गया था। वह कहते हैं, “जाहिर है इस किस्म की व्यवस्था के साथ कोई आए तो कोई भी मान लेगा कि वह पीएमओ से है। मैं जनप्रतिनिधि हूं और इसी हैसियत से उसने मुझसे मिलने की मांग की थी।” भट हालांकि उस व्यक्ति का नाम नहीं बताते जिसने पटेल को उनसे मिलवाया था।

अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर में दिल्ली का पूर्ण नियंत्रण कायम है। हर दिन नए-नए नियम-कानून सामने आ रहे हैं। जम्मू-कश्मीर की पुलिस और नौकरशाही को अहसास हो चुका है कि अब सारी शक्तियां केंद्र के पास हैं, लिहाजा वे दिल्ली से आने वाले किसी भी व्यक्ति को गले लगाने को तैयार रहते हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का कहना है कि ऐसा इसलिए है कि जम्मू-कश्मीर में खुफिया एजेंसियों ने “सुरक्षा की आड़ में कश्मीरियों की कमाई को भी जुर्म ठहराकर उन्हें प्रताडि़त करने में अपनी ऊर्जा झोंक दी है।” वह कहती हैं, “यही एजेंसियां ‘नया कश्मीर’ का झूठ फैलाने के लिए दर्जनों स्थानीय किरण पटेलों को पैदा करती हैं और उन्हीं के द्वारा छली जाती हैं।”

उमर अब्दुल्ला 

“यह कैसे संभव है? जेड प्लस दी गई। पता नहीं, कौन-सी गोपनीय सूचनाएं साझा की गईं”

उमर अब्दुल्ला, पूर्व मुख्यमंत्री, नेशनल कांफ्रेस

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