काशी विश्वनाथ मंदिर, केदारनाथ और अयोध्या नगरी के विस्तार के बाद मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकाल मंदिर के क्षेत्र का विस्तार किया गया। राज्य सरकार ने इसके उद्घाटन कार्यक्रम को भव्य बनाने की कोशिश की। राज्य के सभी शिवालयों में महाकाल के इस कार्यक्रम को दीपोत्सव के रूप में मनाने की व्यवस्था राज्य सरकार ने की थी। सरकार का इस अवसर को पर्व के रूप में स्थापित करने का प्रयास दिखाता है कि भाजपा के लिए मंदिरों का जीर्णोद्धार कितना महत्वपूर्ण हो गया है। भाजपा इसे सांस्कृतिक प्रादुर्भाव का नाम दे रही है लेकिन वास्तव में मकसद बड़े राजनीतिक लाभ का है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को शायद इसकी उपयोगिता की उम्मीद होगी।
उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकारों के बाद मंदिरों के जीर्णोद्धार को राजनीतिक लाभ में बदलने की बारी अब मध्य प्रदेश सरकार की है। उज्जैन के महाकाल परिसर के विस्तार का यह पहला चरण पूरा हुआ है। इसके बाद दूसरे चरण के विस्तार पर तेजी से काम चल रहा है। इसके अलावा महादेव के एक अन्य मंदिर ओंकारेश्वर में भी इसी तरह का काम चल रहा है। इसके करीब ही महेश्वर में शंकराचार्य की विशाल प्रतिमा स्थापित कर शंकर परिसर का निर्माण किया जा रहा है। सतना जिले में चित्रकूट के विस्तार की योजना पर भी काम हो रहा है, जहां राम ने अपने वनवास के शुरुआती दिन बिताए थे। इस तरह से राज्य सरकार प्रसिद्ध धर्मस्थलों के विस्तार को बहुत व्यापक स्तर पर अंजाम दे रही है।
लाइट से जगमग महाकाल लोक
वास्तव में यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की योजना है जिसे मध्य प्रदेश की सरकार अमली जामा पहना रही है। संघ देश में हिंदू संस्कृति के कथित उत्थान के लिए अलग-अलग स्तरों पर कई काम कर रहा है। उनमें से एक देश के सभी प्रसिद्ध तीर्थों का जीर्णोद्धार है। हिंदी पट्टी के राज्यों में भाजपा की सरकारें इसमें जुट गई हैं। मध्य प्रदेश सरकार कुछ ज्यादा ही तेजी से अमल कर रही है। भाजपा प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल कहते हैं, ‘‘सरकार यह काम राजनीतिक लाभ के लिए नहीं कर रही, वह तो इसके बाय प्रोडक्ट के रूप में स्वयं ही होता है। इस तरह के कार्यों से राज्य को कई स्तरों पर लाभ होता है। उस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलता है, रोजगार के नए अवसर सृजित होते हैं। इन सब का लाभ राज्य की अर्थव्यवस्था को मिलता है।’’
विपक्ष भी इस तरह के कार्यों के असर को बखूबी समझता है। कांग्रेस के शासनकाल में भी कमलनाथ सरकार ने ऐसी योजनाओं को आगे बढ़ाया था। कांग्रेस के प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता कहते हैं, ‘‘कमलनाथ सरकार ने अपने कार्यकाल में आध्यात्मिक क्षेत्र में व्यापक काम किए थे। उन्होंने ही महाकाल परिसर के विस्तार की रूपरेखा तैयार की। उसी समय इस परिसर की पुरानी संपत्तियों को खाली करवाने के लिए 300 करोड़ रुपये का आवंटन किया। इसके अलावा ओंकारेश्वर के विस्तार के लिए ओम सर्किट, क्षिप्रा और ताप्ती नदियों के विकास के लिए न्यास का गठन किया।’’
वास्तव में राजनीतिक दलों के लिए यह रास्ता बड़ा लाभकारी होता है किंतु इसे समझा भाजपा ने ही है। यही वजह है कि भाजपा को इसका सीधा फायदा भी मिल रहा है। मध्य प्रदेश में एक साल बाद विधानसभा चुनाव होंगे। जानकार इसे भाजपा की दूरगामी और प्रभावी सोच का परिणाम बताते हैं। राजनीति के जानकार ओम द्विवेदी कहते हैं, ‘‘इसमें दो राय नहीं कि मंदिरों के जीर्णोद्धार का काम व्यापक और दूरगामी प्रभाव पैदा करता है। भाजपा के हिंदुत्व के एजेंडे को ऐसे कामों से मजबूती मिलती है और आम लोगों में यह संदेश जाता है कि भाजपा के सत्ता में आने के बाद ही यह काम हो रहा है। पार्टी इसका प्रचार भी खूब करती है। इससे बड़ी जनसंख्या तक भाजपा का यह काम पहुंच जाता है, जिसका सीधा फायदा पार्टी को चुनावों में मिलता है।’’
महाकाल विस्तार में 793 करोड़ खर्च
महाकाल परिसर के विस्तार के दो चरणों में महाकाल कॉरीडोर के साथ पहला चरण पूरा हो चुका है। कॉरीडोर में भगवान शिव और उनसे संबंधित प्रसंगों की कुल 199 मूर्तियां स्थापित की गई हैं। इस कॉरीडोर के निर्माण में कुल 793 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। निर्माण के लिए केंद्र सरकार ने 271 करोड़ रुपये दिए हैं और 421 करोड़ रुपये मध्य प्रदेश सरकार ने लगाए हैं।
महाकाल परिसर का विस्तार 20 हेक्टेयर में किया जा रहा है। इस तरह महाकाल मंदिर परिसर उत्तर प्रदेश के काशी विश्वनाथ कॉरीडोर से चार गुना बड़ा होगा जाएगा। काशी विश्वनाथ कॉरीडोर पांच हेक्टेयर में फैला है। कॉरीडोर के प्रथम चरण पर करीब 316 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। दूसरा चरण भी एक साल के अंदर पूरा हो जाएगा। पहले महाकाल परिसर सिर्फ दो हेक्टेयर का था, अब पूरा कॉरिडोर 47 हेक्टेयर का हो जाएगा।
महाकाल कॉरीडोर पौराणिक सरोवर रुद्रसागर के किनारे विकसित किया जा रहा है। यहां भगवान शिव, देवी सती और दूसरे धार्मिक प्रसंगों से जुड़ी करीब 200 मूर्तियां और भित्तिचित्र बनाए गए हैं। श्रद्धालु हरेक भित्तिचित्र स्कैन कर के इसकी कथा सुन सकेंगे। सप्तर्षि, नवग्रह मंडल, त्रिपुरासुर वध, कमल ताल में विराजित शिव, 108 स्तंभों में शिव के तांडव का अंकन, शिव स्तंभ, भव्य प्रवेश द्वार पर विराजित नंदी की विशाल प्रतिमाएं मौजूद हैं।
महाकाल कॉरीडोर में देश का पहला नाइट गार्डन भी बनाया गया है। पहले चरण में महाकाल पथ, रूद्र सागर का सुंदरीकरण, विश्राम धाम आदि के काम पूरे किए जा चुके हैं। त्रिवेणी संग्रहालय के पास से महाकाल पथ का बड़ा द्वार बनाया गया है। विस्तार के बाद महाकाल मंदिर के सामने का मार्ग 70 मीटर चौड़ा हो गया है। दूसरे चरण में महाराजवाड़ा परिसर विकास, रुद्रसागर जीर्णोद्धार, छोटा रूद्र सागर तट, रामघाट का सुंदरीकरण, पार्किंग एवं पर्यटन सूचना केंद्र, हरि फाटक पुल का चौड़ीकरण, रेलवे अंडरपास, रूद्रसागर पर पैदल पुल, महाकाल द्वार एवं प्राचीन बेगम बाग मार्ग का विकास होगा। देखना है, इससे लोग चुनाव में भाजपा के प्रति कितने मेहरबान होते हैं। आखिर 2023 में विधानसभा के बाद 2024 के शुरू में लोकसभा के चुनाव भी है।