खूबसूरत समुद्र तट और रंगीन कसीनो वाले गोवा में चुनाव भी रंगीन हो उठा है। चुनाव से पहले बड़े पैमाने पर दलबदल का दौर चला तो प्रत्याशियों के ऐलान के बाद पार्टी छोड़ने और निर्दलीय चुनाव लड़ने वालों की कतार लग गई। वैसे तो सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस ही बड़ी पार्टियां हैं, लेकिन तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी भी मौजूदगी दर्ज कराने की कोशिश कर रही हैं। रोचक बात यह है कि कांग्रेस से जितनी तेजी से नेता तृणमूल में गए थे, उसी तेजी से अनेक नेता तृणमूल छोड़ चुके हैं। भाजपा को बगावत की चुनौती है तो दलबदल की मारी कांग्रेस प्रत्याशियों को शपथ दिलवा रही है कि चुनाव जीतने पर वे पार्टी नहीं बदलेंगे।
मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत का दावा है कि 40 सीटों वाली विधानसभा में भाजपा 22 से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज करेगी। लेकिन नेताओं की बगावत को देखते हुए यह आसान नहीं लगता। पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रीकर के बेटे उत्पल को उनके पिता की पारंपरिक सीट पणजी से टिकट नहीं दिया तो वे निर्दलीय प्रत्याशी बनकर उतर गए। स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने उन्हें समर्थन दिया तो शिवसेना ने भी उनके समर्थन में अपने उम्मीदवार का नाम वापस ले लिया है। पार्टी ने यहां मौजूदा विधायक अतांसियो मोंसेरेटे को उतारा है जो 2019 में कांग्रेस छोड़कर आए थे। भाजपा के गोवा चुनाव प्रभारी देवेंद्र फड़नवीस ने कहा है कि पार्टी ने उत्पल को दो अलग जगहों से चुनाव लड़ने का विकल्प दिया था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया।
भाजपा को और कई सीटों पर बगावत का सामना करना पड़ रहा है। मैंडरेम से पूर्व मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत परसेकर भाजपा से इस्तीफा देकर निर्दलीय लड़ रहे हैं। वे भाजपा चुनाव घोषणा पत्र समिति के भी प्रमुख थे। फड़नवीस के अनुसार पर्रीकर और परसेकर को पार्टी में वापस लाने की कोशिशें जारी हैं। सैंगुएम में उप-मुख्यमंत्री चंद्रकांत कावलेकर की पत्नी सावित्री कावलेकर भाजपा प्रत्याशी सुभाष फलदेसाई के खिलाफ खड़ी हैं। कंभरजुआ से भाजपा प्रत्याशी जैनिता मडकईकर को पार्टी के पुराने नेता रोहन हरमालकर निर्दलीय के रूप में चुनौती दे रहे हैं।
कांग्रेस 40 में से 37 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। प्रदेश पार्टी प्रमुख गिरीश चोडनकर का कहना है कि सिर्फ छह प्रत्याशी पूर्व विधायक हैं। पार्टी ने 31 नए और युवा प्रत्याशी उतारे हैं, इनमें 18 पहली बार चुनाव लड़ेंगे। उसने अपने प्रत्याशियों को मंदिर, मस्जिद और गिरजाघर ले जाकर शपथ दिलवाई है कि वे चुनाव जीतने के बाद पार्टी नहीं बदलेंगे। कांग्रेस ने 2017 में 17 सीटों पर जीत दर्ज की थी, लेकिन पिछले साल तक उसके 13 विधायक दलबदल कर गए।
कांग्रेस को उस समय बड़ा झटका लगा जब पूर्व मुख्यमंत्री प्रताप सिंह राणे ने अपनी पुरानी पोरियम सीट से नाम वापस ले लिया। भाजपा ने यहां उनकी बहू देविया राणे को उतारा है। उनके पति विश्वजीत राणे स्वास्थ्य मंत्री हैं। छह बार गोवा के मुख्यमंत्री रहे 87 वर्षीय प्रताप राणे पोयम से लगातार 11 बार चुनाव जीत चुके हैं। चर्चा है कि भाजपा ने देविया से पहले प्रताप राणे को ही ऑफर दिया था। राणे 1972 में पहली बार महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी के टिकट पर यहां से चुने गए थे। उसके बाद 2017 के चुनावों तक लगातार कांग्रेस उम्मीदवार रहे।
तृणमूल कांग्रेस ने शुरुआत तो जोरदार तरीके से की थी, लेकिन मतदान की तारीख 14 फरवरी करीब आने के साथ उसका असर कम होता जा रहा है। दिसंबर में गोवा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष और तीन बार के विधायक एलेक्सियो लोरेंको तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए थे, लेकिन महीने भर बाद ही वापस हो गए। कई और नेता पार्टी छोड़ चुके हैं। तृणमूल को बाहरी पार्टी और वोट कटवा के तौर पर देखा जा रहा है। लोरेंको ने अपने इलाके के मतदाताओं से ‘बाहरी पार्टी’ में शामिल होने के लिए माफी भी मांगी।
इस बार 301 प्रत्याशी मैदान में हैं। सबसे ज्यादा 13 प्रत्याशी उत्तर गोवा के सिओलीम में हैं। मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के इलाके सैंक्विलिम में 12 और दक्षिण गोवा के कंकोलिम में 10 प्रत्याशी हैं। यहां पांच दंपती भी भाजपा, कांग्रेस और तृणमूल के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं। देखना है कि वैलेंटाइन डे पर मतदान में लोग किसे अपना वैलेंटाइन चुनते हैं।