हाल ही प्रदेश के ग्वालियर कोर्ट में चपरासी, ड्राइवर, माली, सफाईकर्मी के 15 पदों के लिए 11,082 उच्च शिक्षित लोगों ने आवेदन किया। उज्जैन कोर्ट में चपरासी और ड्राइवर के 25 पदों के लिए 9,500 लोगों ने आवेदन किया। इन दोनों ही स्थानों पर आवेदन करने वालों में इंजीनियर और एमबीए डिग्रीधारी लोग थे। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि राज्य में बेरोजगारी की क्या स्थिति है। राज्य में इसी बेतहाशा बेरोजगारी के मुद्दे को मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस जोरशोर से उठा रही है। पार्टी प्रदेश के निकाय चुनावों में बेरोजगारी को बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी में है। इसके मद्देनजर सत्तारूढ़ भाजपा में हलचल शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया कि सरकार अगले दो साल में तीस लाख लोगों को रोजगार देगी।
दरअसल अगले दो साल काफी महत्वपूर्ण हैं। मध्य प्रदेश में नवंबर 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं। उसके पहले सरकार को नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव भी कराने हैं, जो दो वर्षों से टल रहे हैं। इन चुनावों में कांग्रेस रोजगार के मोर्चे पर सरकार की नाकामी को मुद्दा बनाने की तैयारी कर चुकी है। कोरोना संक्रमण और आर्थिक मंदी की वजह से कई लोगों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ रहा है तो दूसरी ओर नए रोजगार के अवसरों का सृजन काफी कम हो गया है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआइई) की रिपोर्ट के अनुसार देश में दिसंबर 2021 में बेरोजगारी दर 7.9 फीसदी तक पहुंच गई। मध्य प्रदेश में पंजीकृत बेरोजगार युवा 34 लाख के करीब हो चुके हैं।
रोजगार के मोर्चे पर कोई खास सरकारी पहल भी नहीं दिखी है और जो कार्यक्रम हैं भी तो उनके नतीजे कोई खास नहीं हैं। लेकिन अब जब लोगों की नाराजगी बढ़ती जा रही है और बेरोजगारी के मुद्दे पर कांग्रेस सक्रिय हुई जो शिवराज सरकार की नींद टूटी और सरकार ने फौरन रोजगार सृजन और तीस लाख रोजगार देने का वादा किया है। यही नहीं, सरकार प्रत्येक महीने रोजगार दिवस भी मनाएगी। शिवराज सिंह का कहना है कि हर महीने रोजगार मेले का आयोजन जिला और विकासखंड मुख्यालयों पर होगा, इसके अलावा निवेश लाने पर सरकार का फोकस रहेगा क्योंकि उससे ही सर्वाधिक रोजगार मिलता है।
नए रोजगार सृजन करने के अलावा सरकार में खाली पड़े पदों को भरने की भी बात चल रही है। खाली पद भरने और नए पदों पर नियुक्तियों के लिए चयन प्रक्रिया चल रही है। इसके साथ ही अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए स्व-सहायता समूह की 12 लाख महिलाओं को विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के लिए दो हजार करोड़ रुपये की क्रेडिट लिंकेज दी गई है।
कांग्रेस पार्टी ने शिवराज सरकार की इस घोषणा को खोखला बताया। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ने कहा, ‘‘पिछले 16 वर्षों से सरकार रोजगार को लेकर झूठे आश्वासन दे रही है। अब भी रोजगार मेले के नाम पर झूठे दावे किए जा रहे हैं। अगले दो साल में 30 लाख लोगों को रोजगार के झूठे सपने दिखाए जा रहे हैं। हर महीने एक लाख लोगों को रोजगार देने के दावे पिछले कई महीने से किए जा रहे हैं। खाली पदों पर भर्ती के झूठे वादे भी पिछले कई वर्षों से किए जा रहे हैं।’’
मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि राज्य सरकार वर्षों से केवल झूठी घोषणाएं और झूठे आंकड़ों की खेती कर रही है। कोरोना के पहले ही राज्य में रोजगार की स्थिति बहुत खराब थी। दो साल में कोरोना से बिगड़े हालात के बाद तो स्थिति भयावह हो गई है। सरकार तो असली तस्वीर दिखाना ही नहीं चाहती है। यही वजह है कि वर्ष 2016 के बाद से राज्य के आर्थिक सर्वेक्षण में बेरोजगारी के आंकड़े दिए ही नहीं जाते। उस वर्ष बेरोजगारों की संख्या 25 लाख के पार हो गई थी। राज्य सरकार को बेरोजगारी की भयावहता को समझना चाहिए और उसके लिए केवल घोषणा न करते हुए गंभीर प्रयास करने चाहिए। चुनावों में बेरोजगारी का मुद्दा बड़ा होगा तो सियासत में कैसे बदलाव आते है, आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा।