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6 मार्च 2023 · MAR 06 , 2023

मध्य प्रदेश: हर दल लुभाए दलित

साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर भाजपा और कांग्रेस दोनों की दलित वोटों और खासकर ग्वालियर-चंबल संभाग की सीटों पर नजर
जीत का रिमोटः रविदास जयंती के दिन भिंड में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान

इस वर्ष के अंत में तय चुनाव के मद्देनजर मध्य प्रदेश में दलित वोट बैंक की सियासत तेज हो गई है। रविवार 5 फरवरी को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने निवास स्थित सभाकक्ष में संत गुरु रविदास जी की जयंती पर उनके चित्र पर माल्यार्पण किया। फिर, दोपहर को वे भिंड जिले जा पहुंचे। वहां उन्होंने विकास यात्रा की शुरुआत की और कुछ देर बाद विकास यात्रा के रथों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया, जो जल्द ही सभी ग्रामों एवं शहरी वार्डों में जाएगी। सरकार का दावा है कि ये यात्राएं कर्मकांड भर नहीं होंगी, बल्कि यह जनता की जिंदगी बदलने का अभियान है। रविवार को ही, सरकार के इस आयोजन से तकरीबन 43 किलोमीटर दूर लगभग उसी समय एक मंच पर पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ संत रविदास जयंती मनाने के लिए ग्वालियर पहुंचे। उनके कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव, नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह और अन्य कई दिग्गज नेता मौजूद थे।

चुनावी माहौल में मुख्यमंत्री की ग्वालियर-चंबल अंचल के भिंड जिले में और ग्वालियर जिले में पूर्व मुख्यमंत्री की मौजूदगी के कई मायने निकाले जा रहे हैं। पहला, ये दोनों जिले ग्वालियर-चंबल अंचल में आते हैं, जहां दलित आबादी की बहुलता है। दूसरे, यहां विधानसभा की कुल 230 सीटों में 34 सीटें हैं। दूसरा, कुल 29 लोकसभा सीटों में से चार सीटें इस वर्ग के लिए आरक्षित हैं। राज्य की कुल आबादी में इस वर्ग की हिस्सेदारी लगभग 15 फीसदी है। 2013 के विधानसभा चुनाव में इस संभाग में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था। तब 34 में से 27 सीटें भाजपा को मिली थीं लेकिन वर्ष 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने 26 सीटों पर कब्जा कर लिया, जिससे राज्य में 15 वर्ष बाद कांग्रेस की सरकार बन गई थी। लेकिन 18 महीने तक चली कांग्रेस की कमलनाथ सरकार उस समय धाराशाई हो गई जब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की अगुआई में 22 विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ले ली। इसके चलते 2020 में उपचुनाव हुए और भाजपा ने एक बार फिर बढ़त हासिल कर सरकार बनाने में सफलता प्राप्त की।

इसलिए आने वाले चुनावों में भाजपा विकास यात्रा के जरिए बाजी पलटने की कोशिश कर रही है। इसी वजह से विकास यात्रा में कई महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखा गया है। विकास यात्रा का रूट सिर्फ प्रभारी मंत्री तय करेंगे। मंत्रीगण विकास यात्रा के पहले दो दिन सघन दौरा करेंगे। विकास यात्रा में जिला मुख्यालय के साथ विकासखंड स्तर तक दौरे होंगे। लोगों से संवाद स्थापित किया जाएगा। विकास यात्रा में सामाजिक संस्थाओं, स्वयंसेवी संस्थाओं तथा विभिन्न समाजों के प्रबुद्ध जन से भी चर्चा होगी और सबसे अहम यह कि लौटने के बाद मंत्रीगण अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।

सरकार ने इस यात्रा को लचीला बनाए रखा है, जरूरत पड़ने पर विकास यात्रा की अवधि को प्रभारी मंत्री अधिकतम 25 फरवरी तक बढ़ा भी सकते हैं। वैसे, सरकार ने इस यात्रा की अवधि 5 फरवरी से शुरू होकर 20 फरवरी तक रखा है।

इस विकास यात्रा का रोडमैप पिछले महीने मुख्यमंत्री निवास में बुलाई गई मंत्रिपरिषद की बैठक में तय किया गया। विकास यात्रा के संबंध में खुद मुख्यमंत्री चौहान ने जिला प्रशासन को आवश्यक व्यवस्था तथा समन्वय संबंधी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि निर्माण-कार्यों तथा कल्याणकारी योजनाओं के संबंध में राज्य स्तर पर जिले के लंबित प्रकरणों का प्राथमिकता से समाधान कराया जाए। जिले के उत्कृष्ट कार्यों के प्रचार तथा अन्य स्थानों पर उनके अनुकरण को प्रोत्साहित किया जाए। शिक्षण संस्थाओं, छात्रावासों, आंगनवाड़ी, विद्युत और पेयजल व्यवस्था, जल जीवन मिशन की बहाली के कार्यों का निरीक्षण भी विकास यात्रा में होगा।

ग्वालियर में कांग्रेस नेता पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ

ग्वालियर में कांग्रेस नेता पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ 

मुख्यमंत्री ने बताया, “यात्रा के दौरान हुए लोकार्पण और भूमि-पूजन जन-कल्याण की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। प्रदेश में यात्रा के माध्यम से वास्तव में सेवा का बड़ा कार्य संभव हुआ है। लाभार्थियों के साथ ही मुख्यमंत्री जन-सेवा अभियान में योग्य लोगों को लाभ दिया जा रहा है। कोई छूट गया है और योग्य है तो उसे भी योजनाओं का लाभ मिलेगा।”

वे आगे कहते हैं कि इस यात्रा के दौरान पात्र लोग भी निरंतर सामने आ रहे हैं और उनकी संख्या 40,956 है। इतनी संख्या में आवेदन मिलना इस बात का प्रमाण है कि योजनाओं के लिए पात्र लोग इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए पहली बार सामने आए। मुख्यमंत्री ने बताया कि प्राप्त आवेदनों में से 34, 234 आवेदन-पत्र स्वीकृत किए जा चुके हैं। इसके अलावा भी कोई अन्य पात्र व्यक्ति या दिव्यांग मिल जाते हैं तो उन्हें भी लाभान्वित किया जा रहा है। प्रयास यह है कि किस तरह लोगों की जिंदगी बेहतर बनाई जाए। चौहान कहते है कि विकास यात्रा सिर्फ कर्मकांड नहीं है। जो भी योग्य लोग मिलते हैं उन्हें लाभ पहुंचाना राज्य सरकार का उद्देश्य है। विकास यात्राएं विभिन्न योजनाओं का लाभ नागरिकों को दिलवाने का सशक्त माध्यम बन रही है।

विकास यात्राओं में 4088 लोकार्पण और 3049 विकास कार्यों के शिलान्यास हुए हैं और विकास यात्राएं जन-कल्याण का यज्ञ बन रही हैं। पिछले तीन दिन में यात्रा के नतीजों से भाजपा काफी संतुष्ट नजर आ रही है।

कार्यक्रम में अपने भाषण में मुख्यमंत्री ने संत रविदास जी के जन्म-स्थल को भी मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना से जोड़ने की घोषणा भी की और कहा कि तीर्थ-दर्शन योजना में मार्च माह से बुजुर्गो को अब हवाई जहाज से भी तीर्थ-दर्शन कराएंगे।

उधर, कांग्रेस ने भी पूरे घोड़े खोल दिए हैं। कमलनाथ ने प्रदेश सरकार की विकास यात्रा पर सवालिया निशान खड़े किए। उन्होंने कहा, “आज भाजपा सरकार विकास यात्रा नहीं, बल्कि निकास यात्रा निकाल रही है। शिवराज सिंह 190 महीने मुख्यमंत्री रहे और 215 महीने भारतीय जनता पार्टी की सरकार रही, इसीलिए शिवराज सिंह को लगभग 190 महीनों का हिसाब देना चाहिए।”

वे आगे कहते हैं, “भाजपा मुझसे प्रश्न पूछती है कि जब मैं 15 महीनों के लिए मुख्यमंत्री था, तब मैंने क्या किया। तो मेरा जबाब है कि इसमें से ढाई महीने तो आचार संहिता और लोकसभा चुनाव में चले गए, बाकी साढ़े 11 महीने का हिसाब देने को मैं तैयार हूं, और मध्य प्रदेश की जनता मेरी गवाह है।” कमलनाथ आरोप लगते हैं कि भाजपा राज में सिर्फ सत्यानाश हुआ और हमारे नौजवान, छोटे व्यापारियों और मध्य प्रदेश की जनता इस बात की गवाह है।

सरकार की विकास यात्रा पर कटाक्ष करते हुए कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष तथा ग्वालियर के संगठन प्रभारी डॉ. महेंद्र सिंह चौहान कहते हैं, “अगर सरकार ने जनता के लिए कुछ किया होता तो सरकार को विकास यात्रा निकालने की जरूरत कभी नहीं पड़ती। मध्य प्रदेश में भाजपा के विकास की तस्वीर इतनी साफ है कि लोग बेसब्री से इस तस्वीर को 7 महीने बाद बाद पलटने के लिए तैयार बैठे है।”

जाहिर है कि ग्वालियर-चंबल संभाग का दलित वोट बैंक दोनों ही दलों के लिए विशेष महत्व का बन गया है और दोनों पार्टियां दलित वोट बैंक को अपने पक्ष में करने में जुटी हुई हैं।

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