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जनादेश'21/पश्चिम बंगालः ‘कोबरा’ मिथुन कितने कारगर

तृणमूल के ‘बंगाल की बेटी’ नारे के जवाब में भाजपा ने ‘बंगाल के बेटे’ मिथुन चक्रवर्ती को मैदान में उतारा
नई पारीः कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में मिथुन भाजपा में शामिल हुए

कोलकाता का ब्रिगेड परेड ग्राउंड भव्य राजनैतिक रैलियों के लिए विख्यात है। यह 7 मार्च को फिर उसी भव्यता का गवाह बना। उस दिन यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के शीर्ष नेता और मिथुन चक्रवर्ती मौजूद थे। भाजपा के हजारों समर्थकों की मौजूदगी में मिथुन ने कहा, "मुझे पता है कि आप मेरा वो डायलॉग सुनने के लिए इंतजार कर रहे हैं... मारबो एखाने, लाश पोरबे शशाने (मारूंगा यहां और लाश गिरेगी श्मशान में)... आज मैं आपको कुछ नया देने जा रहा हूं।” थोड़ी देर चुप रहने के बाद मिथुन बोलते हैं, “आमी जलढोराओ नोई, बलीबोराओ नोई, अमि जात गोखरो। एक छोबोलेई छबि। एबार एटाई होबे बांग्लाय।” इसका अर्थ है- मैं न तो जलधर सांप हूं और न ही विषहीन सांप; मैं असली कोबरा हूं। एक बार काटते ही तुम्हारी तस्वीर टंग जाएगी। इस बार बंगाल में यही होने वाला है।

मिथुन चक्रवर्ती के सिनेमाई भाषण के कुछ ही मिनटों के बाद, पीएम मोदी के भाषण से पता चला कि चक्रवर्ती के भाजपा का दामन थामने से पार्टी में कितना जोश भर गया है। मोदी ने कहा, "आज हमारे पास बंगाल के बेटे मिथुन चक्रवर्ती हैं।" साफ था कि भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस के 'बंगाल की बेटी' (ममता बनर्जी) नारे की काट निकालने की कोशिश की है। तृणमूल ने भाजपा की काट के लिए चुनाव को बंगाली बनाम बाहरी बनाने का दांव चला है। इसलिए भाजपा को एक विश्वसनीय बंगाली चेहरे की तलाश थी। रैली के बाद जब मिथुन से पत्रकारों ने पूछा कि क्या वे पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं? तो उन्होंने इस कयास को मजबूत करते हुए कहा "चीजें किस तरह से सामने आती हैं, यह कौन जानता है?"

भाजपा सूत्रों के अनुसार केंद्रीय नेतृत्व चाहता था कि मिथुन चुनाव लड़ें, लेकिन 16 मार्च तक कुछ तय नहीं हुआ था। उम्मीदवार बनने के लिए मिथुन को 31 मार्च तक पश्चिम बंगाल में मतदाता बनना होगा, क्योंकि उसके बाद आठ चरण के मतदान के अंतिम दौर की अधिसूचना जारी हो जाएगी। एक वरिष्ठ भाजपा नेता कहते हैं, “पार्टी ने उनके संभावित सीएम उम्मीदवार के रूप में चर्चा नहीं की है। पार्टी के पास दूसरे भी कई नाम हैं। पर यह निश्चित है कि पार्टी चुनाव में उनकी एक बड़ी भूमिका चाहती है।"

बंगालियों पर मिथुन का गहरा प्रभाव है। 71 वर्षीय मिथुन ने लंबे समय तक बॉलीवुड स्टार होने के अलावा, समानांतर फिल्मों और पॉप आधारित बी-ग्रेड की फिल्मों में अभिनय किया है। वे बंगाल में परोपकारी कार्यों के लिए सम्मान के नजर से देखे जाते हैं। थैलेसीमिया के खिलाफ जागरूकता और रक्त दान अभियान ने उन्हें काफी लोकप्रियता दिलाई है।

मिथुन के भाजपा में शामिल होने के बाद, टीएमसी के वरिष्ठ नेता और ममता के करीबी फिरहाद हाकिम ने कटाक्ष करते हुए कहा, "वे राजनीति में उतने ही बहुमुखी हैं जितना अभिनय में।" मिथुन 1970 के दशक में नक्सल आंदोलन से जुड़े और वाम मोर्चा शासन के दौरान उनके लिए प्रचार किया। ममता के सत्ता में आने के बाद उनके करीब हो गए। 2014 में टीएमसी ने उन्हें राज्यसभा सदस्य भी बनाया।

साल खत्म होते-होते उनका नाम शारदा चिटफंड घोटाले में आ गया और प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें दागी कंपनियों के साथ लेन-देन के मामले में सम्मन जारी कर दिया। उसके बाद उन्होंने 2015 में ईडी को 1.19 करोड़ रुपये लौटा दिए और दिसंबर 2016 में राज्यसभा से इस्तीफा देकर टीएमसी से दूर हो गए।

खुद को कोबरा सांप बताते हुए मिथुन ने तृणमूल पर सीधे कोई हमला नहीं किया। बस इतना कहा, “मैं किसी को दोष नहीं देना चाहता। वह मेरा एक बुरा फैसला था।” अभी तक उन्होंने ममता पर भी सीधा हमला नहीं किया है। बस इतना कहा है कि राज्य में शासन व्यवस्था पूरी तरह से गड़बड़ा गई और उसमें आमूल-चूल बदलाव की जरूरत है।

राजनीति में अनुभव की कमी उनके साक्षात्कारों में साफ दिखती है। वे कई अहम मुद्दों पर जवाब देने से बचते हैं। भाजपा में क्यों गए, इसका भी विशेष कारण नहीं बता सके। यहां तक कि प्रधानमंत्री के उस दावे को भी नहीं समझा सके कि बंगाल को 'सोनार बांग्ला' बनाएंगे। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि भाजपा जिस फायदे के लिए उन्हें लेकर आई है, क्या वह उसे दिला पाएंगे। टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने मिथुन को खारिज करते हुए कहा, "वे कोई आइकान नहीं हैं।"

हालांकि भाजपा काफी उत्साहित है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष कहते हैं, “बंगाल का सबसे सफल आदमी बदलाव की बात कर रहा है, तो क्या उनकी बात का असर नहीं होगा?” मिथुन के कोबरा वाले बयान की सोशल मीडिया पर काफी आलोचना हुई। बर्धवान जिल में टीएमसी का एक पोस्टर लगा है, जिसमें लिखा है, “घर में कॉर्बोलिक एसिड जरूर रखें, एक जहरीला सांप घूम रहा है।” हालांकि मिथुन कहते हैं, “पिक्चर अभी बाकी है।”

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