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आवरण कथा/ओटीटी स्टारडम/बुल्लू कुमारः आजकल थिएटर वालों की मांग है

दो बार बिहार से मुंबई गए लेकिन काम न मिलने की वजह से लौट आए
बुल्लू कुमार

पंचायत वेब सीरीज में ‘माधव बकरीवाला’ का किरदार निभाकर अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाब हुए बुल्लू कुमार के लिए यह सफर आसान नहीं था। दो बार बिहार से मुंबई गए लेकिन काम न मिलने की वजह से लौट आए, लेकिन आज ये कामयाब स्टार बन चुके हैं। उनसे खास बातचीत के संपादित अंश:

 

पहली बार अभिनय के क्षेत्र में कब आए? अब तक किन फिल्मों में काम किया है?

छोटा था तो गांव में नाटकों में हिस्सा लेता था। बड़ा हुआ तो पटना में थिएटर करने लगा। मैं 2005 से अभिनय के क्षेत्र से जुड़ा हुआ हूं। मैंने एक फिल्म गुटर गूं में काम किया लेकिन उसके बाद मुझे कोई और काम नहीं मिला। कुछ समय बाद मुझे एक वेब सीरीज ग्रहण में काम करने का मौका मिला। हालांकि, इस दौरान मेरी कोई खास पहचान नहीं थी। मैं पंचायत के बाद लोगों की नजर में आया।

पंचायत में माधव का रोल आपको कैसे मिला? आपको लगा था इस रोल के बाद आपकी किस्मत बदल जाएगी?

मुझे पंचायत-2 में एक छोटा सा रोल मिला था। हालांकि, इस दौरान मुझे ज्यादा लोगों ने पहचाना नहीं। मुझे उम्मीद भी नहीं थी कि मुझे पंचायत-3 में रोल मिलेगा। लेकिन इस बार मुझे बड़ा रोल मिला जिसे मैंने पूरी ईमानदारी से निभाया। पंचायत-3 के बाद मुझे लोगों के मैसेज आने लगे कि हमने आपका काम देखा और हमें बहुत पसंद आया।

यह सफर कितना कठिन था?

लगातार तीन साल तक थिएटर करने के बाद 2008 में मुझे लगा कि मुझे इसी फील्ड में करियर बनाना है। मैं 2011 में मुंबई गया, लेकिन काम नहीं मिलने की वजह से वापस पटना आ गया। फिर, 2013 में मुंबई गया, लेकिन काम नहीं मिला तो वापस लौटा। लॉकडाउन के बाद फिर मुंबई गया और छोटे-बड़े रोल मिलने लगे, जिससे खर्चा चल रहा था। मुंबई में बहुत कम कास्टिंग डायरेक्टर होंगे जिनके दरवाजे मैंने नहीं खटखटाए।

पंचायत में ही कई ऐसे कलाकार हैं, जिनका पहला प्यार थिएटर था। थियेटर से कितनी मदद मिलती है?

आजकल कैरेक्टर आर्टिस्ट की मांग बहुत बढ़ गई है। पहले जब दो घंटे की फिल्में बनती थीं, तो सिर्फ एक हीरो पर फोकस होता था। लेकिन आज वेब सीरीज के दौर में कैरेक्टर आर्टिस्ट पर भी फोकस किया जा रहा है। कास्टिंग डायरेक्टरों की मांग है कि इस रोल के लिए थिएटर से जुड़ा कोई व्यक्ति चाहिए, क्योंकि थिएटर में आप कई बार अकेले ही डेढ़ घंटे का एक रोल करते हैं। जब आपको फिल्मों में 2-4 मिनट का सीन शूट करना होता है तो आप उसे बहुत आसानी से और बेहतर तरीके से कर सकते हैं। यही वजह है कि आजकल थिएटर वालों की मांग बढ़ गई है।

अपने भविष्य के प्रोजेक्ट के बारे में बताइए?

आने वाले समय में मेरी दो फिल्में रिलीज होने वाली हैं। एक संजय मिश्रा के साथ जाइए आप कहां जाएंगे और दूसरी फिल्म है, वृंदावन।

 

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