औपनिवेशिक दिनों से ही देश में उच्च शिक्षा में कोई बदलाव नहीं आया। काफी हद तक इसमें, दशकों से अध्ययन-अध्यापन का ढर्रा एक जैसा ही चलता आ रहा है। लेकिन अब इसमें नए प्रयोग शुरू हो गए हैं और प्राचीन भारतीय परंपराओं से लेकर पश्चिम के नए कला रूपों के समन्वय की प्रक्रियाएं चल पड़ी हैं। ब्रितानियों के एक खास प्रकार और तयशुदा पाठ्यक्रम से पहले भारत में उदारवादी कलाओं की स्वतंत्र और पुरानी परंपरा रही है। ऐसे समय में जब इंटरनेट क्रांति ने विलियम ब्लेक की भविष्यवाणी, “हथेली में अनंत संसार” को सच कर दिया है, यह प्रतिमान और बदलाव का समय है। लिबरल आर्ट्स के बाद क्या, जैसा कि एक बार अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था, “लिबरल आर्ट्स कॉलेज में पढ़ाई जाने वाली शिक्षा का मूल्य यह नहीं है कि प्रचलित तथ्यों को ही जाना जाए, बल्कि कुछ अलग तरह से सोचने की शक्ति विकसित करने में है, जिसे किताबों से नहीं सीखा जा सकता।”
चिलचिलाती गर्मी में दिल्ली से सोनीपत में स्थित अशोका यूनिवर्सिटी जाते हुए कोई भी कॉलेज के दिनों की यादों में खो सकता है। अशोका यूनिवर्सिटी की प्रिंसिपल एडवाइजर, मालविका सरकार कहती हैं, “मौजूद विषयों में मानविकी में पारंपरिक ज्ञान, समाज विज्ञान, प्राकृतिक और गणितीय विज्ञान शामिल हैं, लेकिन पाठ्यक्रम और पाठ्यक्रम संरचना के लिहाज से अशोका यूनिवर्सिटी का अनुभव किसी भी अन्य भारतीय विश्वविद्यालय से काफी अलग है।”
अशोका में, छात्रों को पता चलता है कि यह यूनिवर्सिटी शिक्षा का आधुनिक, इंटरैक्टिव रूप प्रदान करती है। छात्रों का कहना है कि अशोका पाठ्यक्रमों से इतर महत्वपूर्ण सोच और संवाद दोनों को प्रोत्साहित करती है। उदाहरण के लिए एक विषय में ऑनर्स को दूसरे सामान्य पाठ्यक्रम से जोड़ा जा सकता है। पाठ्यक्रमों में इस तरह का ‘समन्वय’ पश्चिमी, विशेष तौर पर अमेरिकी मॉडल से लिया गया अंतर-विषयक दृष्टिकोण है। अशोका में पढ़ रही दिल्ली विश्वविद्यालय से इकोनॉमिक्स में स्नातक सिमरन थपलियाल कहती हैं, “अशोका यूनिवर्सिटी में प्रयोगात्मक पाठ्यक्रम बहुत अच्छा रहा। यहां मैंने जो भी सीखा वह व्यावहारिक था। मेरे साथी इस बात से सहमत होंगे कि अन्य प्रतिष्ठित कॉलेजों में शिक्षा बहुत सीमित है। अशोका आपको स्वतंत्रता और लचीलापन देती है।”
हैदराबाद के पास, गोलकुंडा किले में नौजवानों का एक समूह, स्थानीय लोगों, पर्यटकों और एएसआइ अधिकारियों से ढेरों सवाल पूछ रहा है। यह विश्वविद्यालय में प्रवेश प्रक्रिया का एक हिस्सा है। प्रवेश साक्षात्कार के बाद उन्हें अपने अनुभवों के बारे में एक, “डूब कर लिखा गया” निबंध लिख कर देना है। इसी तरह के पर्यटन अन्य शहरों के आवेदकों के लिए आयोजित किए जाते हैं-बेंगलूरू में उल्सोर झील में, दिल्ली में कनॉट प्लेस और चेन्नै के दक्षिण चित्र में। लिबरल आर्ट्स वाले क्रिया विश्वविद्यालय के “तल्लीनता कोर्स में दाखिले” में आपका स्वागत है, जिसने इसी साल अगस्त में अंडरग्रेजुएट बैच के लिए पहली बार अपने दरवाजे खोले हैं।
क्रिया विश्वविद्यालय के डीन एडमिशन अब्दुल कलाम कहते हैं, “निबंध प्रवेश प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि यह उम्मीदवारों को उनके परिवेश से जुड़ने की क्षमता का निर्धारण करता है। हम प्रवेश परीक्षा आयोजित नहीं करते। बल्कि उन्हें बहुत से दूसरे काम करने को देते हैं। जैसे, किसी भी एक विषय पर निबंध, ग्रुप डिस्कशन और फिर कोई फैकल्टी मेंबर उनका इंटरव्यू लेता है। लेकिन यह दूसरा चरण है। ऑनलाइन एप्लीकेशन के पहले चरण में उम्मीदवारों को अपनी इच्छाओं और पाठ्येतर गतिविधियों का वीडियो या ऑडियो भेजना पड़ता है। 12वीं बोर्ड के उनके नंबरों को केवल 35 फीसदी महत्व दिया जाता है। अर्थशास्त्री और क्रिया विश्वविद्यालय के कुलपति, सुंदर रामस्वामी कहते हैं कि केवल स्क्रीनिंग से आपको अगले तीन वर्षों के लिए अच्छा कच्चा माल मिल जाता है। वे कहते हैं, “इसलिए हम सावधानी से मार्गदर्शक सिद्धांत बनाते हैं। इसे हम, ‘इंटरव्यूवन लर्निंग’ कहते हैं जो विषयों को चुनने में लचीलापन देता है और मूल्य प्रणाली बनाता है।
वास्तव में, नव उदारवादी कला विश्वविद्यालयों की कक्षाओं का दौरा करना छात्रों को यह एहसास कराता है कि वे बाकी से कितने अलग हैं। ठीक उसी तरह जिस तरह पाठ्यक्रमों को प्रोफेसरों की भागीदारी के लिए आयोजित किया जाता है। थपलियाल कहती हैं, “हम किसी भी समय अपने प्रोफेसरों को बुला सकते हैं, वे हमेशा हमारी मदद करने के लिए तत्पर हैं। मैंने अर्थशास्त्र के साथ बहुत बंधन महसूस किया। मैं अन्य क्षेत्रों के बारे में अधिक जानना चाहती हूं। अशोका में मुझे मिली यंग इंडिया फेलोशिप के जरिए मुझे अन्य विषयों का ज्ञान प्राप्त करने में मदद मिली।”
रामस्वामी समझाते हैं कि नैतिकता, अनुशासन का इतिहास, लेखन और संचार का महत्व, डेटा का उपयोग, बड़े अनुत्तरित प्रश्न और डिजाइन सोच को सीखने की प्रक्रिया में कड़ी मेहनत की जाती है। वे कहते हैं, “उदाहरण के लिए, गणित के छात्र को तकनीकी लेखन के महत्व का एहसास होगा और विषय के इतिहास का भी, क्योंकि दोनों आपस में जुड़े हुए हैं।” वे ध्यान दिलाते हैं कि इससे छात्रों को भी, असंबंधित विषयों को अपने प्रमुख विषय तक पहुंचाने की स्वतंत्रता मिलती है। रामस्वामी कहते हैं, “कहा जाता है कि सी.वी. रमन का सबसे अच्छा पेपर मृदंगम के ध्वनि शास्त्र पर था। निश्चित रूप से उनके भीतर के संगीतज्ञ ने उन्हें इतना अच्छा भौतिकशास्त्री बनाया। अगर आप छात्रों के भीतर की कुछ दूसरी बातों को बाहर निकालेंगे तो वे अच्छा प्रदर्शन कर पाएंगे। प्रमुख विषय के रूप में गणित पढ़ने वाले की इकोनॉमिक्स और संगीत की दुनिया से दोस्ती हो जाए तो वह शानदार गणितज्ञ होगा।”
नव उदारवादी कला विश्वविद्यालयों में अग्रणी अशोका के साथ क्रिया की तुलना करने के बारे में पूछे जाने पर वे कहते हैं, “अशोका शुद्ध उदार कला आंदोलन है, जबकि क्रिया का उद्देश्य उदार कलाओं को अगले स्तर तक ले जाना है। ऐसा करने के लिए, नृत्य, थिएटर, संगीत आदि सिखाने के लिए ललित कला के शीर्ष कलाकारों को तैयार किया गया है। क्रिया की स्थापना और इसे विशिष्ट स्थान पर पहुंचाने से पहले कोर टीम ने दुनिया भर के 16 विश्वविद्यालयों और कॉलेजों का अध्ययन किया था।
क्रिया विश्वविद्यालय अनुभवों के साथ वास्तविक दुनिया की लगाम थाम कर पारगम्य सीमाएं बनाने में यकीन करता है। कुलपति कहते हैं, “दुनिया जटिल है और हम पाठ्यक्रम में बाहरी वातावरण के अनुभव चाहते हैं। इसलिए छात्रों को कॅरिअर, बातचीत, एक्जीक्यूटिव, पत्रकार और दूसरे तरह के विशेषज्ञों का अनुभव दिया जाता है। तीन साल की अवधि वाला स्नातक कार्यक्रम, जो स्टॉक विकल्प है, क्रिया चौथे साल का एडवांस विकल्प प्रदान करती है। यह उनके लिए है जो स्नातक पर चौथा साल लगाना चाहते हैं। इससे छात्र विदेशों में एक साल के स्नातकोत्तर कार्यक्रम के लिए भी आवेदन कर सकते हैं। यहां तक कि अन्य कॉलेजों से इस उन्नत पाठ्यक्रम में स्नातक के लिए लेटरल इंट्री पर भी विचार किया जा रहा है।
लेकिन क्रिया से तीन साल की डिग्री खत्म करने के बाद छात्र क्या उम्मीद रखें? रामस्वामी जवाब देते हैं, “उन्हें पता होना चाहिए कि सही तरीके से सवाल कैसे पूछे जाएं, अलग ढंग से कैसे सोचें, जिज्ञासु रहें, बातचीत की क्षमता रहे और कोर्स से इतर दो विषयों में अंतरसंबंद्ध स्थापित कर पाएं।”
अशोका में अनिवार्य रूप से, संकाय शिक्षण और अनुसंधान पर समान ध्यान दिया जाता है, वे लोग छात्रों को अपने काम के माध्यम से ज्ञान में योगदान देने के लिए सशक्त बनाते हैं। इससे शोधार्थियों का एक समूह बनता है। उदाहरण के लिए, अशोका अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं और बहुमुखी अनुसंधान सहायता प्रदान करती है। सभी शैक्षणिक पाठ्यक्रमों के लिए यहां लाइब्रेरी सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। अशोका अकादमिक समुदाय, संकाय और परियोजना अध्येता, शीर्ष वैश्विक विश्वविद्यालयों की तरह बाहर के शोधकर्ताओं के साथ सहयोगात्मक कार्य के लिए एक अनुसंधानपरक वातावरण बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
अशोका का मानना है कि शोध विश्वविद्यालय की सच्ची बुनियाद युवा दिमागों के लिए अनुसंधान के माध्यम से देश और दुनिया का ज्ञान उत्पादित करने की प्रतिबद्धता है। भारत में शिक्षा दशकों से खंडित थी। विश्वविद्यालयों में अध्यापन होता था और शोध का उच्च काम शोध संस्थानों में।
अशोका यूनिवर्सिटी का उद्देश्य है कि अच्छे अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों का अनुसरण करते हुए, शोध विश्वविद्यालय का निर्माण हो। अशोका में इकोनॉमिक्स की छात्रा निहारिका यादव कहती हैं, “अशोका ने मुझे जीवन के प्रति समग्र दृष्टिकोण दिया है। इकोनॉमिक्स ने मुझे ‘हमारे देश की गरीबी’ को समझने का मौका दिया। कह सकते हैं कि यह दृष्टिकोण इतिहास, समाजशास्त्र और नृविज्ञान के दृष्टिकोण से आया है। साथ ही बातचीत की संस्कृति में भी उदारता आई। यहां पढ़ाने का तरीका संवादात्मक है। यहां सोसाइटी और क्लब छात्र ही चलाते हैं। हर हफ्ते सेमिनार और डिबेट होता है...यही सब अशोका को अलहदा बनाता है।”
इन स्कूलों द्वारा अभ्यास के लिए मांगी गई उदार कलाओं की आवश्यकता है। मौजूदा वास्तविक समस्याओं के लिए वास्तविक समाधानों की आवश्यकता है। कई विषयों के लिए उपकरणों और अवधारणाओं की जरूरत है। शिव नाडार यूनिवर्सिटी की कुलपति रूपमंजरी घोष कहती हैं, “व्यापाक आधार शिक्षा में मदद करता है। व्यावहारिक समस्या हल करने के लिए इंजीनियर होता है लेकिन उसके संदर्भ को समझे बिना समाधान नहीं कर सकता।”
घोष आगे कहती हैं, “सभी नव उदारवादी अध्ययन कार्यक्रमों का अंतिम लक्ष्य, छात्रों को पाठ्यक्रम की सीमा और बाधाओं से मुक्त होकर सोचने-समझने की शिक्षा देना है। व्यावसायिक डिग्री छात्र को सिर्फ एक कॅरिअर के लिए तैयार करती है। जो विकल्प गायब हो रहे हैं- लिबरल स्टीज उन्हें कुशलता प्रदान करती है।” इसीलिए मांग भी बढ़ रही है।
लिबरल स्टडीज के फायदे
- महत्वपूर्ण सोच, संचार और सहयोग को बढ़ावा देता है, 21वीं सदी के प्रमुख कौशल, जो किसी भी कॅरिअर में छात्रों को लाभान्वित करता है।
- सबसे बड़ी चुनौतियों (गरीबी, पर्यावरणक्षरण आदि) का सामना कर रही पृथ्वी की प्रकृति बहुविषयक है। लिबरल आर्ट्स और विज्ञान में एक व्यापक-आधार शिक्षा विषयों के बीच अंतर को जोड़ने में मदद करती है और स्नातकों को प्रभावी समस्या हल करने में सक्षम बनाती है।
- छात्र चुनौतियों से निपटने के दौरान विभिन्न नजरिए और विभिन्न दृष्टिकोणों को बाहर लाने में सक्षम होते हैं।
- यह जीवन शिक्षा है जो किसी एक विषय तक सीमित नहीं है। लिबरल आर्ट्स ग्रेजुएट विचारों में खुले और कॅरिअर के प्रति मेहनती होते हैं और अपनी प्रोफेशनल जिंदगी बेहतर चलाते हैं।
- यह छात्रों को हमारे आसपास के बदलते परिवेश से निपटने में मदद करता है।