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खिलाड़ी छोटे, मगर असर नहीं खोटा

तमिलनाडु में द्रमुक और अन्ना द्रमुक के मोर्चों के बीच दो ध्रुवीय मुकाबले से हटकर तीन नेता एएमएमके के टीटीवी दिनकरन, एमएनएम के कमल हासन और नाम तामीजर काची के सीमन मैदान में हैं
दक्षिण की चुनौतीः एमएनएम चीफ कमल हासन

उन्हें बिगाड़ने वाला, वोट काटने वाला, छोटा खिलाड़ी और बेवजह खड़े होने वाला माना जाता है। लेकिन उन्हें बेमतलब मानकर नकारना मुश्किल है, क्योंकि या तो उनके पास जाति या समुदाय का प्रतिबद्ध वोट बैंक है या वे करिश्माई व्यक्तित्व के कारण जाने जाते हैं।

तमिलनाडु में द्रमुक और अन्ना द्रमुक के मोर्चों के बीच दो ध्रुवीय मुकाबले से हटकर तीन नेता एएमएमके के टीटीवी दिनकरन, एमएनएम के कमल हासन और नाम तामीजर काची के सीमन मैदान में हैं। ये नेता एक भी सीट जीत की उम्मीद पाले सभी 39 लोकसभा सीटों और 22 विधानसभा सीटों के उप-चुनाव में उतरे हैं। फिर भी उन्हें उम्मीद है कि उनका प्रभाव पड़ेगा। दिनकरन को लीजिए, चुनाव में उतरने का उनका एकमात्र उद्देश्य एआइडीएमके के लिए मुश्किलें पैदा करना और चिनम्मा शशिकला को धोखा देने के लिए उसके नेताओं को सबक सिखाना है। हालांकि, उन्हें नया चुनाव चिह्न गिफ्ट बॉक्स आखिरी समय में आवंटित किया गया, लेकिन टीवी और सोशल मीडिया की ताकत के सहारे उन्हें पूरे राज्य में इसे लोकप्रिय बनाने में कोई कठिनाई नहीं हुई। इसके बावजूद वह इस तमगे से बच नहीं सकते हैं कि वे जीतने के लिए नहीं, बल्कि अन्ना द्रमुक का माहौल बिगाड़ने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं।

पार्टी के प्रोपेगेंडा सेक्रेटरी थांगा तमिलसेलवन स्पष्ट करते हैं, “हां, हम बाधा डालने वाले हैं, अगर आप हमें ऐसा कहना चाहते हैं। हमारी मौजूदगी से लगभग हर जगह अन्ना द्रमुक की जीत में बाधा होगा” दिनकरन को लोकसभा की कम-से-कम आधा दर्जन सीटों पर थेवर समुदाय के मतदाताओं में मजबूत उपस्थिति से भी लाभ मिलेगा। अन्ना द्रमुक के इस पारंपरिक वोट बैंक में कटौती होने से उसे नुकसान होगा। आखिर अन्ना द्रमुक को कुछ सीटों पर करीब 10-12 फीसदी वोट मिलने की उम्मीद है। इस बात की भी संभावना है कि पार्टी द्रमुक के अल्पसंख्यक वोटों में भी सेंध लगाएगी, क्योंकि प्रतीत होता है कि दिनकरन ने अपने भाजपा विरोधी रुख के चलते युवा मुस्लिम मतदाताओं को रिझाया है। द्रमुक के नेतृत्व वाले मोर्चे में जगह पाने में नाकाम होने के बाद कमल हासन तुरंत ही द्रमुक और अन्ना द्रमुक दोनों को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर निशाना बनाने लगे। कमल की एमएनएम को शहरी क्षेत्रों में पांच से आठ फीसदी वोट मिलने की उम्मीद है और कई लोगों को लगता है कि अभिनेता से राजनेता बने कमल ने अन्ना द्रमुक और भाजपा की खुलकर आलोचना करना शुरू किया है, इसलिए उन्हें वह वोट मिल सकता है, जो द्रमुक मोर्चे के खाते में जा सकता था।

चार साल पहले एनटीके बनाने वाले निर्देशक सीमन 2016 के विधानसभा चुनाव में सभी 234 सीटों पर जमानत जब्त कराने के लिए ही चुनाव लड़े थे। इस हार से निराश हुए बगैर उन्होंने लोकसभा की 39 सीटों में से 20 सीटों पर महिला उम्मीदवारों को उतारा है। आखिर ये एकाकी खिलाड़ी भविष्य के लिए खेल रहे हैं। वे अपना वोटिंग अनुपात बढ़ाकर विधानसभा चुनाव के दौरान भावी गठबंधनों में बेहतर सौदेबाजी के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं।

चाणक्य डिजिटल मीडिया के सीईओ रंगराज पांडेय मानते हैं, “अगर कमल आठ फीसदी वोट पाने में सफल हो जाते हैं तो द्रमुक उन्हें नजरंदाज नहीं कर पाएगी। इसी तरह दिनकरन के प्रदर्शन पर ही अन्ना द्रमुक का भविष्य निर्भर होगा।

विधानसभा के उप-चुनाव के बाद अगर पार्टी बहुमत बनाए रखने में विफल होती है तो राज्य में मध्यावधि चुनाव हो सकते हैं। और, दिनकरन अपने वोट शेयर के अनुसार अन्ना द्रमुक के वोट बैंक में सेंध लगाने को तैयार होंगे।

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