“जब प्यार करे कोई, तो देखे केवल मन। नई रीत चलाकर तुम, ये रीत अमर कर दो”, करीब 40 साल पहले मशहूर गजल गायक जगजीत सिंह की यह गजल जिस नई रीत को अमर करने की बात कह रही थी, वह अब पलट गई है। प्यार अब ‘लव’ बन चुका है, और उसके साथ एक डराने वाला शब्द ‘जेहाद’ शामिल हो गया है। वैसे तो ‘लव जेहाद’ शब्द न आपको किसी साहित्य में मिलेगा और न ही कानून की किसी किताब में, लेकिन राजनीति में इसकी अच्छी खासी पैठ हो चुकी है, जो सीधे तौर पर लव पर पहरा रखने की बात करता है। यानी आप किससे प्यार करेंगे, किससे शादी करेंगे, बिना किसी डर के आपके लिए यह तय करना संभव नहीं होगा। इस पहरेदारी का डंडा उस वक्त आप पर तेजी से लहराएगा, जब आप किसी दूसरे धर्म के मानने वाले अपने साथी से शादी या निकाह का फैसला करेंगे।
पहरेदारी के लिए अब कानून भी शक्ल लेने लगा है। 24 नवंबर को उत्तर प्रदेश सरकार ‘लव जेहाद’ से संबंधित ‘विधि विरुद्ध धर्म समपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020’ लेकर आई। इसके तहत धोखे से धर्म बदलवाने पर 10 साल तक सजा का प्रावधान है। इसके अलावा, धर्म परिवर्तन के लिए दो महीने पहले जिलाधिकारी को सूचना देनी होगी। सूचना न देने पर छह महीने से तीन साल तक की सजा हो सकती है और 10 हजार रुपये तक जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
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अध्यादेश के बारे में जानकारी देते हुए मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा, “धर्म परिवर्तन करने पर 15,000 रुपये जुर्माने के साथ एक से पांच साल की जेल का प्रावधान है। अगर अनुसूचित जाति-जनजाति समुदाय की नाबालिगों और महिलाओं का जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाता है तो 25,000 रुपये जुर्माने के साथ तीन से दस साल की जेल होगी।” सिद्धार्थनाथ के अनुसार यह उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था सामान्य रखने और महिलाओं को इंसाफ दिलाने के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि बीते कुछ समय में 100 से ज्यादा ऐसी घटनाएं सामने आईं जिनमें जबरन या छल-कपट से धर्म परिवर्तित किया गया।
नए अध्यादेश के बाद इस तरह के ‘अपराध’ के पीड़ित व्यक्ति या उसके अभिभावक शिकायत दर्ज करा सकेंगे और आरोपी को गिरफ्तार किया जा सकेगा। एक बार मामला दर्ज होने के बाद आरोपी को कोर्ट से जमानत लेनी होगी। अहम बात यह है कि आरोपी के सहयोगियों पर भी समान धाराओं के तहत मुकदमा चलाया जा सकेगा। जाहिर है, सरकार का रवैया काफी सख्ती भरा है।
हालांकि 11 नवंबर को इलाहाबाद हाइकोर्ट का फैसला लव जेहाद के आरोपों के परिप्रेक्ष्य में एक नई लकीर खींचता है। मामला उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में रहने वाली हिंदू लड़की प्रियंका खरवार और मुस्लिम लड़के सलामत अंसारी का है। इन दोनों बालिगों ने पिछले साल अगस्त में घरवालों की मर्जी के खिलाफ प्रेम विवाह किया था। इसके विरोध में लड़की के माता-पिता ने लड़के के खिलाफ केस दर्ज कराया था। हाइकोर्ट ने आरोपों को रद्द करते हुए कहा, “लोगों के व्यक्तिगत संबंधों में हस्तक्षेप करना दो व्यक्तियों की स्वतंत्रता के अधिकार का पूरी तरह से हनन है। हम प्रियंका खरवार और सलामत अंसारी को हिंदू-मुस्लिम के रूप में नहीं देखते। हम उन्हें दो इनसान मानते हैं, जो अपनी इच्छा के अनुसार शांति और खुशी से एक साल से साथ रह रहे हैं। न्यायालय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्ति को मिले अधिकारों को मान्यता देता है।”
इसी तरह सितंबर 2020 में उत्तर प्रदेश सरकार ने कानपुर में अलग-अलग धर्म के लोगों के बीच हुई शादी के मामलों की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआइटी) का गठन किया था। 24 नवंबर को सौंपी गई एसआइटी रिपोर्ट के अनुसार 14 मामलों में लव जेहाद के एंगल से जांच की गई थी। मोटे तौर पर इन शादियों में किसी बड़े षड्यंत्र की बात सामने नहीं आई है। न ही यह बात साबित हुई कि शादी करने वाले मुस्लिम लड़के को विदेश से फंडिंग मिली है। रिपोर्ट के अनुसार आठ मामलों में यह पाया गया कि शादी करने वाली लड़कियां नाबालिग हैं। तीन अन्य मामलों में बालिग लड़कियों ने पुलिस के सामने बयान दिया कि उन्होंने अपनी मर्जी से शादी की है। तीन मामलों में मुस्लिम लड़कों ने अपनी पहचान छिपाई और फर्जी नाम से प्यार कर शादी की। इसी तरह, तीन मामलों में हिंदू लड़कियों ने कहा कि जबरन उनका धर्म परिवर्तन कराया गया है। तीन अन्य मामलों में लड़कियों का कहना है कि उनकी जबरन शादी कराई गई। अब इस जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
ऐसा नहीं कि लव जेहाद के नाम पर केवल उत्तर प्रदेश सरकार कानून लेकर आ रही है। दूसरे भाजपा शासित राज्य मध्य प्रदेश, हरियाणा, असम और कर्नाटक भी ऐसा ही कानून लाने की तैयारी में हैं। मध्य प्रदेश सरकार में गृह मंत्री नरोत्तम मिश्र ने कहा है, “आगामी विधानसभा सत्र में लव जेहाद के मद्देनजर विधेयक लाया जाएगा। विधेयक में ऐसा करने वालों के लिए पांच साल की सजा का प्रावधान होगा। आरोपी के खिलाफ गैर-जमानती धाराओं के तहत केस दर्ज होगा।” मिश्र के अनुसार लव जेहाद में सहयोग करने वाला भी मुख्य आरोपी की तरह ही देखा जाएगा और उसे बराबर का दोषी माना जाएगा। कानून में एक और प्रावधान होगा जिसके तहत शादी के मकसद से स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करने के लिए एक महीने पहले कलेक्टर के यहां आवेदन करना अनिवार्य होगा।
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उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए हरियाणा के मंत्री अनिल विज ने ट्वीट कर कहा, “उत्तर प्रदेश में लव जेहाद के गुनहगारों पर एक्शन के लिए योगी कैबिनेट ने कानून पर अंतिम मुहर लगा दी है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिंदाबाद। हरियाणा भी लव जेहाद पर शीघ्र कानून बनाएगा।” ऐसी ही तैयारी कर्नाटक सरकार भी कर रही है।
इससे पहले झारखंड की पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार ने धर्मांतरण के खिलाफ कानून (धर्म स्वतंत्र विधेयक 2017) लागू किया था। इस कानून के तहत किसी भी व्यक्ति को बलपूर्वक, कपट या प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन नहीं कराया जा सकेगा। आरोप साबित होने पर तीन साल जेल तथा 50 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है। धर्म परिवर्तन नाबालिग, महिला, अनुसूचित जाति या जनजाति का किया गया हो तो चार साल जेल और एक लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है। अगर कोई स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करना चाहता है तो उसे उपायुक्त (जिलाधिकारी) के पास आवेदन देकर सहमति लेनी होगी।
जब भाजपा शासित राज्य सरकारें अलग-अलग धर्म के लोगों की शादियों पर रोक लगाने के लिए कानून ला रही हैं, कम से कम पांच गैर-भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इसके खिलाफ बयान दिया है। लव जेहाद को भाजपा की साजिश बताते हुए कांग्रेस शासित राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, “भाजपा ने देश को हिंदू-मुस्लिम में बांटने के लिए लव जेहाद जैसा शब्द गढ़ा है। शादी किसी भी व्यक्ति का बेहद निजी मामला है, ऐसे में उस पर कानून लाना पूरी तरह से असंवैधानिक है। यह किसी भी न्यायालय में नहीं टिकेगा। प्यार में जेहाद की कोई जगह नहीं है।”
सवाल है कि लव जेहाद क्या है और क्या उस पर कोई कानून बन सकता है? उत्तर प्रदेश सरकार में पूर्व प्रमुख सचिव (न्याय) के. शर्मा कहते हैं, “लव जेहाद पर सीधे कानून की गुंजाइश ही नहीं है, क्योंकि एक तरफ हिंदू विवाह एक्ट है तो दूसरी तरफ मुस्लिम विवाह एक्ट है, और तीसरा विशेष विवाह कानून है। शादी को लेकर जब भी कोई विवाद होता है तो इन कानूनों के तहत ही उसे निपटाया जा सकता है। यही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि धोखा देकर शादी करने पर उसे अवैध करार दिया जा सकता है।” शायद इसीलिए उत्तर प्रदेश सरकार ने भी अपने अध्यादेश के नाम में लव जेहाद का उल्लेख नहीं किया है।
संवैधानिक प्रावधानों का उल्लेख करते हुए एआइएमआइएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का कहना है, “ऐसे कानून संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन होंगे। अगर ऐसा ही करना है तो स्पेशल मैरिज ऐक्ट को ही खत्म कर देना चाहिए। नफरत का यह दुष्प्रचार नहीं चलेगा। भाजपा बेरोजगार युवाओं को भटकाना चाहती है। हैदराबाद में बाढ़ आई थी, मोदी सरकार ने उस समय क्या मदद दी?”
दिल्ली सरकार की अतिरिक्त स्थायी वकील नंदिता राव अलग धर्म के लोगों के बीच शादियां रोकने के कानून को असंवैधानिक मानती हैं। उनका कहना है, “यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। संविधान में नागरिकों को उनके धर्म से बाहर भी शादी करने का अधिकार है, राज्य इस अधिकार पर हमला कर रहा है। कानून तो छोड़िए, इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करना भी भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध है।”
लव जेहाद की संवैधानिकता और उसके बढ़ते मामलों को साबित करने के लिए विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद कुमार बंसल कहते हैं, “16 सितंबर को हमने एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें देश भर के 170 मामलों को सूचीबद्ध किया गया है। इनमें छल-कपट, जबरन या प्यार के नाम पर हिंदू लड़कियों को फंसाया गया है।” लेकिन राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों में लव जेहाद का उल्लेख क्यों नहीं मिलता है, इस सवाल पर बंसल का कहना है, “जब लव जेहाद अपराध की कोई कैटेगरी ही नहीं है, तो उसका उल्लेख कहां से मिलेगा? इसकी असलियत जाननी है तो आपको अपराध ब्यूरो के रिकॉर्ड का विश्लेषण करना होगा। यह देखना होगा कि कितनी हिंदू लड़कियों के अपहरण के मामले दर्ज हैं जिनमें आरोपी मुसलमान हैं। उससे सारी तस्वीर साफ हो जाएगी।” बंसल के अनुसार जो मामले सामने आएंगे, वह समझिए असलियत के 0.1 फीसदी होंगे, क्योंकि पीड़ित के माता-पिता सामाजिक अपमान को देखते हुए मामला दर्ज करने से बचते हैं। साथ ही, कानून नहीं होने के कारण पुलिस का रवैया भी सहयोगात्मक नहीं रह जाता है।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील एम.ए. शमशाद के अनुसार वैसे तो लव जेहाद न तो कोई साहित्यिक शब्द है न ही वैधानिक, लेकिन इस समय देश के एक बड़े वर्ग को यह बेहद तेजी से प्रभावित कर रहा है। हिंदू लड़की से विवाह करने वाले भारतीय मुसलमान लड़के इसकी आड़ में अछूत हो गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के ही एक और वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे कहते हैं, “लव जेहाद शब्द अस्पष्ट और बेतुका है। इसे कानूनी रूप से परिभाषित नहीं किया जा सकता। जेहाद और लव, दोनों एक साथ नहीं हो सकते।” दवे के मुताबिक ऐसे कानूनों से पुलिस और राज्य को व्यक्ति की जिंदगी में हस्तक्षेप करने का ज्यादा अधिकार मिल जाएगा। कानूनी विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि राज्य सरकारों के दावों के विपरीत केंद्र सरकार ने फरवरी में लोकसभा में कहा कि लव जेहाद की कोई घटना सामने नहीं आई है। खबरों के मुताबिक एनआइए और महिला आयोग को भी अभी तक लव जेहाद का कोई सबूत नहीं मिला है।
शमशाद कहते हैं, “कानूनी रूप से सामान्य परिस्थितियों में अगर कोई व्यक्ति अपना धर्म परिवर्तन करता है, तो वह राज्य के लिए चिंता का विषय नहीं होना चाहिए। ठीक उसी तरह, अगर दो अलग-अलग धर्म के लोग आपस में विवाह करने का फैसला करते हैं तो उनके पास विशेष विवाह कानून-1954 के तहत ऐसा करने का हक होता है। इस कानून के तहत दोनों व्यक्तियों को अपना धर्म परिवर्तन करने की जरूरत नहीं होती है। कानून यह अधिकार भी देता है कि शादी के बाद अगर कोई व्यक्ति चाहे तो अपना धर्म परिवर्तन कर सकता है। यह किसी भी व्यक्ति के लिए मौलिक अधिकार जैसा है।” (आगे एम.आर. शमशाद का कॉलम विस्तार से पढ़ें)
विशेष विवाह कानून, 1954 होने के बावजूद व्यावहारिक दिक्कतें आती हैं। दिल्ली के राम सिंह यादव और परवीन ने चार साल की दोस्ती के बाद जब शादी का फैसला किया तो दोनों इस बात को लेकर स्पष्ट थे कि शादी के लिए धर्म नहीं बदलेंगे। लेकिन वे दिल्ली के द्वारका में एसडीएम के पास पहुंचे तो उनका सामना हकीकत से हुआ। राम बताते हैं, “हमने फरवरी के अंत में आवेदन किया था। वेरिफिकेशन के लिए गए तो एसडीएम ने शादी के फैसले पर दोबारा विचार करने के लिए कहा। चेतावनी दी कि हमारे घर नोटिस भेजे जाएंगे। उन्होंने राय दी कि लड़की को हिंदू बनाकर आर्य समाज मंदिर में शादी कर लूं।”
इसके बाद जब परवीन के पिता को नोटिस मिला तो हंगामा खड़ा हो गया। परवीन के घर से बाहर जाने पर रोक लग गई। बड़ी मुश्किल से दिल्ली हाइकोर्ट से उन्हें सुरक्षा मिली, तब जाकर मई में उन्होंने शादी की। राम कहते हैं, “अगर कानूनी प्रक्रिया को आसान बना दिया जाए तो कोई भी धर्म परिवर्तन नहीं करेगा।”
अलग धर्म के दंपतियों की मदद करने वाली संस्था ‘धनक फॉर ह्युमैनिटी’ के सह-संस्थापक आसिफ इकबाल कहते हैं, शादी के रजिस्ट्रेशन के लिए एक महीने से अधिक इंतजार करना पड़ता है, इसलिए परिवारवालों और प्रशासन को उन्हें परेशान करने का मौका मिल जाता है। धनक के पास हर साल करीब एक हजार मामले आते हैं। इकबाल के अनुसार, “लव जेहाद के राजनीतिक मुद्दा बन जाने के कारण अलग धर्मों में शादियां करने वाले काफी डरे हुए हैं। प्रशासन इस बारे में खुलकर बोलने लगा है, इससे पुलिस का भी हौसला बढ़ेगा। ऐसे दंपतियों को किराये पर घर भी नहीं मिलता है।”
धनक के पास ऐसा ही एक मामला राजस्थान का आया था। सलीम और पायल (नाम बदले हुए) को घर से भागना पड़ा था क्योंकि पायल के घरवाले उसकी शादी कहीं और करना चाहते थे। सलीम के अनुसार, “हम दोनों के परिवार हमारा धर्म परिवर्तन कराना चाहते थे। लेकिन हम ऐसा नहीं करना चाहते, क्योंकि ऐसा करने पर हम अपना प्यार खो देंगे। लड़की के परिवार ने सलीम के खिलाफ चोरी और अपहरण का केस दर्ज कराया है। दोनों विशेष विवाह कानून के तहत शादी का रजिस्ट्रेशन कराना चाहते हैं। सलीम कहते हैं, “अगर पुलिस राजस्थान लेकर गई तो घरवाले हमें अलग कर देंगे। लोग प्यार और धर्म को क्यों मिला देते हैं?”
जब दो अलग धर्म को मानने वाले व्यक्तियों के पास संवैधानिक अधिकार मौजूद है तो इस पर रोक की मांग विश्व हिंदू परिषद क्यों कर रही है, इस पर बंसल का कहना है, “मामला जितना सीधा दिखता है, उतना वास्तव में है नहीं। दुनिया के कई देशों में यह जेहाद का एक तरीका है। आबादी बढ़ाने के लिए गैर मुस्लिम लड़कियों को शिकार बनाया जाता है। इसमें लव के नाम पर वासना, बच्चे पैदा करना, विदेशी फंडिंग जैसे षड्यंत्र शामिल हैं। ऐसा करने के लिए बाकायदा पैसे भी मिलते हैं। कई जांच में इस बात का खुलासा हुआ है।”
ऐसे ही एक तथाकथित ‘षड्यंत्र’ की जांच केरल के मशहूर हादिया मामले (बॉक्स में पढ़ें क्या है हादिया केस) में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) को उन आरोपों की जांच करने के लिए कहा था जिनमें कहा गया था कि अंतरराष्ट्रीय साजिश के तहत हादिया का धर्मांतरण कराया गया। इसमें हादिया की मदद पॉपुलर फ्रंट्स ऑफ इंडिया (पीएफआइ) ने की थी। हालांकि बाद में एनआइए की जांच में ऐसी किसी साजिश की पुष्टि नहीं हुई।
समाजशास्त्री शिव विश्वनाथन के अनुसार लव जेहाद कोई नई बात नहीं। संघ परिवार इसे 2007 में कर्नाटक के तटीय इलाकों और 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों के समय आजमा चुका है। कर्नाटक में कुछ दक्षिणपंथी संगठनों की सफलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2008 में हाइकोर्ट ने तथाकथित धर्मपरिवर्तन की जांच कर्नाटक और केरल पुलिस को संयुक्त रूप से करने को कहा था। विश्वनाथन कहते हैं, “महामारी के समय संघ परिवार वैचारिक रूप से कठोर होता जा रहा है।”
ऐसे मामलों में छल-कपट की बात सुप्रीम कोर्ट की वकील मोनिका अरोड़ा भी मानती हैं। वे कहती हैं, “आम तौर पर दो बातें देखने को मिलती हैं। पहली, पहचान छिपाकर शादी की जाती है और दूसरी, शादी करने के लिए दबाव डालकर धर्म परिवर्तन कराया जाता है। दोनों ही मामलों में मौजूदा कानूनों में अस्पष्टता है। इसी का फायदा उठाकर लोग ऐसी शादियों को अंजाम दे रहे हैं। इन परिस्थितियों में नए कानून की आवश्यकता है, जिससे ऐसी प्रवृत्तियों को रोका जा सके।
अलग धर्म के लोगों के बीच आपस में शादी को लेकर राजनैतिक और संवैधानिक, दोनों स्तर पर बहस छिड़ गई है। राजनैतिक बहस में एक तरफ भाजपा है तो दूसरी तरफ अन्य पार्टियां। भाजपा नीत सरकारें इसे रोकने के लिए कानून बना रही हैं, लेकिन ये कानून संवैधानिक स्तर पर कितना टिक पाएंगे, यह तो समय ही बताएगा। अब देखना यह है कि आने वाले समय में यह मुद्दा क्या-क्या रंग लेता है।
(दिल्ली से प्रीता नायर, लखनऊ से आलोक पांडे, रांची से नवीन मिश्र और भोपाल से शमशेर सिंह)
तारा शाहदेव
राष्ट्रीय स्तर की शूटर तारा शाहदेव का मामला काफी चर्चित रहा है। शाहदेव ने आरोप लगाया था कि रंजीत सिंह कोहली नाम के शख्स ने उससे 2014 में शादी की थी। उसका मूल नाम रकीबुल हसन था। शादी के समय उसने यह बात छिपाई कि वह मुसलमान है। बाद में इस्लाम धर्म अपनाने के लिए रकीबुल उसे प्रताड़ित करने लगा। शाहदेव के आरोप के बाद गृह मंत्रालय ने भी झारखंड सरकार से रिपोर्ट मांगी। राज्य सरकार ने सीबीआइ जांच की अनुशंसा की। लंबे समय तक यह मामला पारिवारिक न्यायालय में चला। अदालत ने भी माना कि रकीबुल ने शाहदेव को प्रताड़ित किया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि किसी व्यक्ति को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने का हक किसी व्यक्ति के पास नहीं है। इस आधार पर शाहदेव को जून 2018 में तलाक की इजाजत मिल गई। सीबीआइ की विशेष अदालत ने जुलाई 2019 में इस प्रकरण में रंजीत कोहली की मां कौशल रानी, बिहार के गया सिविल कोर्ट के तत्कालीन न्यायिक दंडाधिकारी राजेश प्रसाद, झारखंड में सिविल कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायधीश पंकज श्रीवास्तव और रमन नाम के शख्स के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया। इन पर रकीबुल उर्फ रंजीत कोहली को भागने में मदद करने का आरोप है। मामला अब भी अदालत में है।
नवीन कुमार मिश्र
हादिया
हादिया हादिया लव जेहाद मामला 2017-18 में काफी सुर्खियों में रहा। इसकी सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2018 में केरल हाइकोर्ट के फैसले को पलट दिया था। कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा था कि हादिया बालिग है और उसने अपनी मर्जी से शादी की है। इस मामले में जांच एजेंसी एनआइए की भी एंट्री हुई थी, जिस पर कोर्ट ने बाद में रोक लगा दी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने खुद मामले की जांच एनआइए को सौंपी थी। अंतिम सुनवाई में कोर्ट ने शादी को जायज ठहराते हुए कहा कि जब एक लड़की अपनी मर्जी से शादी की बात कह रही है तो कोर्ट शादी को अवैध कैसे ठहरा सकता है? जस्टिस चन्द्रचूड़ ने तो यहां तक कहा कि जब हादिया को कोई दिक्कत नहीं तो फिर यह मामला क्यों?
24 साल की हादिया एक हिंदू महिला है और उसने दिसंबर 2016 में मुस्लिम लड़के से शादी की थी। शादी के बाद हादिया ने इस्लाम अपना लिया। मामला केरल हाइकोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने शादी को रद्द करते हुए हादिया को अपने माता-पिता के पास रहने के निर्देश दिए। हादिया के पति शफीन ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। वहां अपने हक में फैसला आने के बाद हादिया ने कहा था, “दूसरा धर्म अपनाने में हर्ज ही क्या है?” हादिया ने यह भी कहा कि पूरे मामले में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) ने उसकी काफी मदद की।
प्रशांत श्रीवास्तव
निकिता
हरियाणा में फरीदाबाद जिले के बल्लभगढ़ में 26 अक्टूबर को परीक्षा देकर लौट रही बी-कॉम की छात्रा निकिता की दिन-दहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बाद में पुलिस ने हत्या के आरोपी, नूंह से कांग्रेस विधायक आफताब अहमद के चचेरे भाई तौसीफ, दोस्त रेहान और एक मददगार अजहरुद्दीन को गिरफ्तार कर लिया। फिलहाल एसआइटी पूरे मामले की जांच कर रही है। सरकार ने मामले की सुनवाई फास्टट्रैक कोर्ट में किए जाने की मंजूरी दे दी है। निकिता की एक सहेली घटना की इकलौती चश्मदीद गवाह है।
आरोपी बल्लभगढ़ में निकिता के ही स्कूल में 12वीं कक्षा तक पढ़ा था। तभी से वह निकिता से एकतरफा प्यार करने लगा था। 2018 में उसने निकिता का अपहरण भी किया था। तब तौसीफ के खिलाफ थाने में मामला भी दर्ज हुआ था। तौसीफ और उसके परिवार वालों के माफी मांगने के बाद मामला खत्म हो गया। बाद में निकिता के बालिग होने के बाद तौसीफ ने एक बार फिर उसका पीछा करना शुरू कर दिया। पिछले कुछ समय से तौसीफ लगातार उस पर इस्लाम धर्म अपनाने और शादी करने के लिए दबाव डाल रहा था, लेकिन निकिता ने ऐसा करने से साफ इनकार कर दिया। तौसीफ फोन से या कॉलेज आते-जाते उससे संपर्क करने की कोशिश करता। बात नहीं बनती देख उसने गुस्से में निकिता की गोली मारकर हत्या कर दी।
प्रशांत श्रीवास्तव
किरण (परिवर्तित नाम)
बात इसी साल जनवरी की है। भोपाल के जहांगीराबाद में बारहवीं की छात्रा किरण को टैंकर चलाने वाले एक मुस्लिम लड़के से प्यार हो गया। किरण को उस लड़के ने अपनी पहचान हिंदू लड़के के रूप में बताई थी। लड़की के पिता का देहांत हो चुका था, उसकी मां मजदूरी करती थी। उसकी एक छोटी बहन और छोटा भाई भी था। किरण अठारह साल की हुई तो उस लड़के के साथ भाग गई। साथ में घर से पुश्तैनी गहने भी ले गई। पुलिस में शिकायत होने के बाद जांच हुई तो पता चला कि लड़का मुस्लिम था। बारह दिनों के बाद पुलिस ने राजगढ़ के करीब सारंगगढ़ में दोनों को गिरफ्तार किया। पकड़े जाने से पहले दोनों अजमेर घूमकर आ चुके थे। पुलिस को यह जानकर आश्चर्य हुआ कि लड़की का पासपोर्ट तक बन चुका था। इतना सब कुछ होने के बावजूद दोनों ने अभी तक शादी नहीं की थी। शुरुआत में लड़की घर आने को तैयार ही नहीं हो रही थी, वह लड़के के साथ ही रहना चाहती थी। पुलिस और घर वालों ने समझाया कि स्पेशल मैरिज एक्ट के अंतर्गत दोनों शादी कर लें तो उसके फायदे होंगे। तब जा कर लड़की घर आने को तैयार हुई। बाद में घर वालों के समझाने के बाद उसने अपने समाज में ही शादी कर ली।
शमशेर सिंह