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27 जून 2022 · JUN 27 , 2022

मध्य प्रदेश: डेढ़ साल में कुपोषण मुक्त?

प्रदेश के एक-तिहाई कमजोर बच्चों को चुनावों के पहले सबल बनाने का अभियान मुख्यमंत्री ने छेड़ा, विपक्ष बता रहा इसे नौटंकी
सड़क पर सीएमः भोपाल में शिवराज सिंह चौहान

शायद यकीन करना मुश्किल हो मगर प्रचार से ही कामयाबी के इस दौर में सब मुमकिन है। फिर चुनाव सिर पर हों (2023 में विधानसभा और 2024 में लोकसभा) तो कुछ असामान्य करने का लोभ भी होता ही है। तो, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ‘एडाप्ट ऐन आंगनवाड़ी’ और सड़कों पर ठेला चलाकर खिलौने और अन्य सामग्रियों का दान बटोरने के अभियान पर निकल पड़े हैं। वैसे, कोई चाहे तो इन सच्चाइयों पर भी गौर कर सकता है कि मध्य प्रदेश में पांच साल की आयु के कुल बच्चों में करीब एक-तिहाई कुपोषण का शिकार हैं, जिसे 15 साल के अपने राज में न खत्म कर पाए मुख्यमंत्री अब ऐलानिया कह रहे हैं कि “अगले डेढ़ साल में राज्य से कुपोषण खत्म हो जाएगा।” राज्य की विपक्षी पार्टी कांग्रेस इसे मुख्यमंत्री की नई नौटंकी बता रही है।

चौहान ‘एडाप्ट ऐन आंगनवाड़ी’ अभियान की शुरुआत करने के बाद राजधानी भोपाल में सड़क पर हाथ ठेला लेकर खिलौने वगैरह इकट्ठा करने निकले और करीब एक किलोमीटर तक हाथ ठेला चलाया। लोगों का खूब समर्थन भी मिला। लोगों ने खिलौने, खेल-कूद सामग्री, टीवी स्क्रीन, कूलर, वॉटर केंपर, बर्तन, दरियां वगैरह मुख्यमंत्री को सौंपी। लगभग 10 ट्रक सामान आंगनवाड़ियों के लिए जुट गया, जिसे भोपाल जिले के 1,800 आंगनवाड़ी केंद्रों में बांटा गया। इससे आंगनवाडि़यों के लिए सामान के अलावा लगभग 2 करोड़ रुपये की धन राशि भी जुट गई। साथ ही बड़ी संख्या में आंगनवाडि़यों को गोद लेने के लिए भी लोग आगे आए। अभिनेता अक्षय कुमार ने ट्वीट कर अभियान का समर्थन किया और एक करोड़ रुपये और 50 आंगनवाडि़यों को गोद लेने की घोषणा की। मुख्यमंत्री राजधानी भोपाल के बाद इंदौर में भी इसी तरह ठेला लेकर सड़कों पर उतरे, वहां भी उन्हें ऐसा ही सहयोग मिला और लोगों ने खूब दान किया। फिलहाल राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव की आचार संहिता लग जाने के बाद इस अभियान को रोक दिया गया है। (शायद मुख्यमंत्री की नजर में स्थाीय निकायों के चुनाव भी हों, जो कई साल बाद हो रहे हैं और लोगों में नाराजगी के संकेत हैं)।

वैसे, मुख्यमंत्री ने कहा, “अगले डेढ़ साल में मध्य प्रदेश की धरती से कुपोषण का नामो-निशान मिटा देंगे, हर बच्चा स्वस्थ और पुष्ट होगा और आंगनवाडि़यां बच्चों के पोषण के साथ ही उनकी शिक्षा और संस्कार के केंद्र बनेंगी। जन-सहयोग से आंगनवाडि़यों को उत्कृष्ट बनाने के लिए शुरू हुआ यह अभियान जन-आंदोलन बनेगा।” उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अपने जन्म-दिवस और अन्य शुभ अवसरों पर तथा माता-पिता की स्मृति में आंगनवाड़ी केंद्रों में जाएं और वहां बच्चों को भोजन, मिठाई, दूध वगैरह बांटें।

मध्य प्रदेश में कुल 97,139 आंगनवाड़ी केंद्र हैं। यहां करीब 85 लाख बच्चे पंजीकृत है। ये केंद्र बच्चों के पोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, मगर इनमें संसाधनों का भारी अभाव है। हालात यह है कि करीब 64,000 केंद्रों में बिजली का कनेक्शन ही नहीं है। बड़ी संख्या में ऐसे केंद्र हैं, जहां कुर्सी-टेबल तक नहीं है। इन हालात के मद्देनजर मुख्यमंत्री यह समझ चुके हैं कि कुपोषण से अकेले सरकार नहीं लड़ सकती है, इसलिए निजी लोगों के हाथों में सौंपने और सामान के सहयोग से केंद्रों में संसाधनों का अभाव खत्म किया जाएगा।

चौहान के इस अभियान से एक नई बहस छिड़ गई है। कांग्रेस के प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता का सवाल है,  “मुख्यमंत्री को बच्चों के कुपोषण को खत्म करने की याद आई यह अच्छी बात है लेकिन पिछले पंद्रह साल से वे सरकार में हैं, अभी तक कुपोषण खत्म क्यों नहीं हो पाया?” वास्तव में इस ओर कभी गंभीर प्रयास ही नहीं किए गए।

हालांकि इस अभियान का तात्कालिक फायदा यह हुआ कि कुपोषण राजनीतिकों के बीच बहस का मुद्दा बन गया है। इसके अलावा बड़ी संख्या में लोग सामान दान कर रहे है और कई लोग आंगनवाड़ी को गोद लेने के लिए आगे आ रहे। इससे केंद्रों में संसाधनों का अभाव खत्म होगा। लगे हाथ मुख्यमंत्री की पार्टी भाजपा को 2023 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में फायदा मिलने की संभावना अलग है।

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