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कामयाबी के इश्तिहार

नरम-गरम
नरम-गरम

भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज ने हाल के दिनों में बहुत धुआंधार कामयाबियां हासिल की हैं। कई मैचों में शानदार जीत हासिल की और शानदार बैटिंग की। पर मिताली राज को इस मुल्क में अब भी बहुत कम लोग जानते होंगे। मिताली राज को लोग तब फुलटू जानेंगे, जब वह किसी गोरेपन की क्रीम का इश्तिहार करती हुई बता रही होंगी कि फलां क्रीम उन्हें गोरा बनाए रखती है या वह किसी कोल्ड ड्रिंक को पीते हुए बता रही होंगी कि यही कोल्ड ड्रिंक उन्हें खेल के लिए फिट रखता है। मिताली कामयाब हुई हैं मेहनत और लगन से क्रिकेट खेलकर। पर वह हमें बताएंगी किसी गोरेपन की क्रीम के बारे में या कोल्ड ड्रिंक के बारे में। विराट कोहली भी यही कर रहे हैं। खेल के प्रति विराट के समर्पण ने विराट को यहां पहुंचाया पर वह बताते हैं कि फलां क्रीम उन्हें गोरा बनाती है।

विराट क्रिकेटर हैं तो क्रिकेट के बारे में बताएं। नई पीढ़ी को प्रेरित करने वाली अपनी मेहनत, लगन के बारे में बताएं। पर वह कोल्ड ड्रिंक के बारे में बताने लगते हैं। वह जियोनी मोबाइल फोन के बारे में बताने लगते हैं। डिप्रेशन से लड़कर संघर्ष कर कामयाब हुई अभिनेत्री दीपिका पादुकोण हमें एक टेलीफोन नेटवर्क के बारे में बताने लगती हैं। उस नेटवर्क के कर्मचारी उस नेटवर्क का प्रयोग नहीं करते क्योंकि उन्हें नेटवर्क पर भरोसा नहीं है। पर दीपिका राष्ट्र को भरोसा दिलाने में जुटी रहीं कि वह नेटवर्क कितना शानदार है। वह अपने संघर्ष के बारे में न बताकर टेलीफोन नेटवर्क के बारे में बताती हैं। किसी भी फील्ड के बंदे या बंदी की कामयाबी तब ही सुनिश्चित मानी जा सकती है, जब वह गोरेपन की क्रीम के बारे में बताने लगे या किसी कोल्ड ड्रिंक की गुणवत्ता के बारे में अपनी राय दे। इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गनाइजेशन यानी इसरो के वैज्ञानिकों ने कम लागत में उपग्रह लांच कर कई कामयाबियां हासिल की हैं, पर उन वैज्ञानिकों को देश तब तक पूरा कामयाब नहीं मानेगा,  जब तक वह वैज्ञानिक गोरेपन की क्रीम का प्रचार न करने लगें। कोई भी व्यक्ति कामयाब तब ही माना जाएगा,  जब वह हर तरह के इश्तिहारों में आए। अगर आप कामयाब हैं तो फिर आपके पास इश्तिहार क्यों नहीं हैं। आप गोरेपन की क्रीम या कोल्ड ड्रिंक क्यों नहीं बेच रहे हैं। कोल्ड ड्रिंक का विज्ञापन कामयाबी के स्टैंडर्ड के लिए सेट हो गया है। जो भी बड़ा आदमी है, उसने इस मुल्क में कोल्ड ड्रिंक जरूर बेचा है। फिर भले ही वह सचिन तेंदुलकर हों या शाहरुख खान। जो कोल्ड ड्रिंक न बेच पाया वह सचिन और शाहरुख के लेवल का कामयाब नहीं माना जाएगा। कामयाबी, बेचने की काबिलियत से आती है। अपनी फील्ड में कामयाब होना भी उसी दिशा में एक कदम होता है। इतनी मेहनत-मशक्कत के बाद भी मिताली राज अगर गोरेपन की क्रीम और कोल्ड ड्रिंक के काबिल नहीं मानी गईं तो पक्के तौर पर आरोप लगाया जा सकता है कि उनकी उपेक्षा की जा रही है। सबसे अद्भुत मामला अमिताभ बच्चन का है। स्वच्छ भारत अभियान से लेकर कल्याण ज्वैलर्स तक, गुजरात टूरिज्म से लेकर कंपोस्ट खाद तक वह इतना कुछ बेच रहे हैं कि सौ साल बाद पूछा जाएगा कि जब अमिताभ बच्चन इतने सारे आइटम बेचने की काबिलियत रखते थे तो वह पहले फिल्मों में एक्टिंग क्यों किया करते थे।

 

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