पिछड़े नेताओं की आकांक्षा अमूमन एक प्रदेश की जाति-विशेष के नेता बने रहने से आगे बढ़ ही नहीं पाई, ऐसे नेतृत्व के चलते देश में पिछड़ी जातियों के उभार की क्रांतिकारी संभावनाएं छीज गईं
कभी पिछड़ों, शोषितों की बेबाक आवाज बनकर उभरे लालू प्रसाद यादव ने वह स्वर्णिम मौका गंवाया, जो विरले को ही मिलता है
समाजवाद और सामाजिक न्याय से कॉरपोरेटवाद और ‘सैफई साम्राज्य’ की ओर बढ़ी सपा ने साख गंवाई
तमिलनाडु और केरल में पिछड़े और दलित वर्गों की चेतना ने ही हिंदुत्व की ताकतों को दूर रखा
महिला क्रिकेट टीम विश्वकप में भले ही हार गई हो लेकिन इसने भारत में लाखों क्रिकेट प्रेमियों का दिल जीत लिया, यही उसकी जीत है
पहले सरकारें फिल्मों से नाराज होती थीं मगर अब तो सेंसर बोर्ड और खास दर्शक समूह भी राजनैतिक विचारधारा के उग्र पहरुए बन बैठे
अपनी अनोखी पृष्ठभूमि के कारण महामहिम कोविंद के कदम देश को दे सकते हैं एक नई दिशा
जेलों में पूरे ऐशो-आराम के इंतजाम के लिए चाहिए बस पावर और पैसे का मेल मगर यह मुट्ठी भर को ही नसीब
मुगलकाल से कपड़े के लिए प्रसिद्ध रहे मध्यप्रदेश के बुरहानपुर की धड़कन गुम, हजारों मजदूर बेरोजगार
बड़े से छोटे उद्यमी, व्यापारी, दुकानदार सभी हलकान, काम ठप और ट्रांसपोर्टर बैठे खाली
बसपा नेता ने उत्तर भारत की राजनीति में दिए नए समीकरण के संकेत
यह रियल एस्टेट सेक्टर के लिए कठिन समय है। कीमतें गिर रही हैं और बिक्री में मंदी का दौर है। लेकिन निवेशक होशियार हैं और संभव है कि मकान खरीदने वालों के चेहरे पर फिर मुस्कान लौटे
साहित्य जगत ने परंपरा का बोझ अकेले प्रेमचंद पर लाद कर उनके समकालीनों के साथ किया अन्याय
संगीत देश, काल, जाति, धर्म, संप्रदाय सभी सीमाओं का अतिक्रमण करता है क्योंकि वह सार्वकालिक है लेकिन शास्त्रीय संगीत के बारे में इतिहास अलग ढंग से लिखा गया