भारतीय क्रिकेट का इतिहास लीजेंड से भरा है। रणजीत सिंह जी, उनके भतीजे दिलीप सिंह जी, सैयद मुश्ताक अली या विजय हजारे जैसे नामों के बिना घरेलू क्रिकेट की कल्पना नहीं की जा सकती थी। फिर ऐसे खिलाड़ी आए जिन्होंने खेल की दिशा ही बदल दी। विपरीत धारा में चलने के लिए मशहूर सुनील गावस्कर, कपिल देव, सचिन तेंडुलकर, सौरव गांगुली जैसे खिलाड़ियों में प्रतिभा और दृढ़ता का अटूट संगम दिखा। उनकी अगली पीढ़ी ने भी इस बात का ख्याल रखा कि भारतीय क्रिकेट में लीगेसी बनी रहे।
‘जेंटलमैन का खेल’ कहे जाने वाले क्रिकेट में आइपीएल की चमक के सामने भले ही बाकी सब फीका पड़ गया हो, महेंद्र सिंह धोनी, विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे कप्तानों ने भारत के प्रभुत्व को मजबूती ही दी है। आज भारत क्रिकेट का ऐसा पड़ाव बन चुका है जहां हर कोई आना चाहता है। लेकिन खिलाड़ियों का एक वर्ग ऐसा भी है जिन्हें उनका हक नहीं मिला। उन्होंने भी इन लीजेंड के बराबर मेहनत की, लेकिन उनका संघर्ष आज भी जारी है। यह कहानी भारतीय महिला क्रिकेट की है, यह कहानी मिताली राज की है। उनसे पहले गार्गी बनर्जी, डायना एडुलजी, शांता रंगास्वामी, पूर्णिमा राव, अंजुम चोपड़ा जैसी लीजेंड हुईं जिन्होंने महिला क्रिकेट की मौजूदगी का एहसास कराने के लिए सब कुछ किया। फिर मिताली राज का आगमन हुआ जिन्होंने 1999 में सिर्फ 16 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखा और भारतीय महिला क्रिकेट की रूपरेखा बदल दी। ऐसा नहीं कि भारतीय महिला क्रिकेट को पुरुष खिलाड़ियों या दूसरे देशों की महिला खिलाड़ियों के बराबर दर्जा मिल गया, लेकिन परिस्थितियों में काफी सुधार जरूर हुआ है।
मिताली के बारे में सचिन ने लिखा, “बीते 23 वर्षों में महिला क्रिकेट को आपका योगदान अतुलनीय है। आप युवा खिलाड़ियों की प्रेरणा हैं”
मिताली के भारतीय टीम में शामिल होने के छह साल बाद 2005 में बीसीसीआइ ने महिला टीम को अपने बैनर में शामिल किया। उनके साथ कॉन्ट्रैक्ट में और 11 साल लगे। यह संयोग नहीं कि आइपीएल शुरू होने के करीब डेढ़ दशक बाद भी बीसीसीआइ इसका महिला वर्जन लाने में हिचक रहा है। वर्ष 2017 में आइसीसी महिला वर्ल्ड कप के फाइनल में भारत की 9 रनों से हार के बाद मिताली ने अपने संघर्ष के बारे में बताया था जिसका सामना वास्तव में देश की हर महिला क्रिकेटर को करना पड़ता है। उन्होंने कहा था, “अब भले हम बीसीसीआइ के अधीन हैं, लेकिन एक समय हमें वे बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल पाती थीं जो किसी भी खिलाड़ी के लिए जरूरी हैं। भारतीय टीम का सदस्य होने के बावजूद मैंने हैदराबाद से दिल्ली तक ट्रेन में बिन आरक्षण वाले डिब्बे में सफर किया।” इसकी तुलना भारत के उन पुरुष क्रिकेटरों से कीजिए जो विदेश दौरों पर परिवार के साथ जाते हैं और रहने की बेहतर व्यवस्था न होने पर हंगामा खड़ा कर देते हैं। मिताली के अनुसार चुनौतियों ने महिला क्रिकेटरों को मानसिक रूप से मजबूत बनाया। आप उन भारतीय महिला क्रिकेटरों की फेहरिस्त देख लीजिए जो विश्व पटल पर अपनी मौजूदगी का एहसास करा रही हैं।
मिताली के नाम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सर्वाधिक रन बनाने का रिकॉर्ड
मिताली ने हर फॉर्मेट में रनों का अंबार लगाने के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया है। उन्होंने कुल 10868 रन बनाए हैं। सबसे अधिक मैचों में कप्तानी और लगातार 109 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने का रिकॉर्ड उनके नाम है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनका करिअर 22 साल 274 दिनों का रहा और इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय टीम का नेतृत्व भी किया। ये आंकड़े बताते हैं कि वे सर्वोच्च सम्मान की हकदार हैं। इतने लंबे करिअर में उन्होंने कई असाधारण मुकाम हासिल किए। उन्होंने छह एकदिवसीय विश्व कप में हिस्सा लिया। अभी तक सिर्फ दो खिलाड़ी ऐसा कर पाए हैं- जावेद मियांदाद और सचिन तेंडुलकर।
बुधवार, 8 जून को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा करते हुए उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “हर सफर की तरह इस सफर का भी अंत होना चाहिए।” उन्होंने कोई विश्व कप तो नहीं जीता लेकिन 16 वर्ष की उम्र में जिस सफर की शुरुआत की थी उसने नई पीढ़ी की खिलाड़ियों के लिए विश्व फतह का मार्ग खोल दिया है।
मिताली आगे बढ़कर नेतृत्व प्रदान करने वाली खिलाड़ी रही हैं। कप्तान के रूप में उन्होंने सभी फॉर्मेट में 6546 रन बनाए। इस लिहाज से इंग्लैंड की चार्लोट एडवर्ड्स (6728) के बाद वे दूसरे नंबर पर हैं। बतौर कप्तान उन्होंने 60 बार 50 रनों से ज्यादा स्कोर किया जो महिला क्रिकेट का रिकॉर्ड है। एकदिवसीय में लक्ष्य का पीछा करते हुए जिन मैचों में भारत ने जीत दर्ज की, उनमें उनकी बैटिंग का औसत 109.05 है। 1000 से अधिक रन बनाने वाले महिला या पुरुष क्रिकेटरों में यह सर्वाधिक है।
यह सही है कि एकदिवसीय मैचों में उनके आंकड़े बेहतर हैं। इसका कारण यह है कि उन्होंने करीब 23 साल के करिअर में सिर्फ 12 टेस्ट मैच खेले। उन्होंने 2002 में टॉनटन में इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे टेस्ट मैच में 214 रन बनाए, जो तब तक महिला क्रिकेट का सर्वोच्च स्कोर था।
मिताली ने भारत के लिए आखिरी मैच न्यूजीलैंड में खेले गए आइसीसी महिला विश्व कप टूर्नामेंट में 27 मार्च 2022 को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेला। उन्होंने 84 गेंदों में 68 रन बनाए और टॉप स्कोरर रहीं। उनकी सबसे अच्छी सराहना लिटिल मास्टर ने की। सचिन ने लिखा, “बीते 23 वर्षों में भारतीय महिला क्रिकेट को आपका योगदान अतुलनीय है। भारत के लिए खेलने की इच्छा रखने वाली युवा खिलाड़ियों की आप प्रेरणा हैं।” सचमुच उनका करियर ‘क्रिकेट के भगवान’ को चुनौती देने वाला है।
सबसे उम्दा बल्लेबाज
• मिताली ने 232 एकदिवसीय में 7805 रन बनाए। अन्य किसी महिला क्रिकेटर ने 6000 का आंकड़ा भी नहीं छुआ। एकदिवसीय में 71 बार 50 से अधिक का स्कोर किया जिनमें 8 शतक हैं।
• मिताली का करिअर 22 साल 274 दिनों का रहा। दो महिला क्रिकेटरों का अंतरराष्ट्रीय करिअर मिताली से लंबा है। नीदरलैंड की कैरोलिन डि फाउ जिनका करिअर 1991 से 2018 तक 26 साल 361 दिनों का रहा। श्रीलंका की चमानी सेनेविरत्ना ने 1997 में श्रीलंका की तरफ से खेलना शुरू किया। 2018 से वे संयुक्त अरब अमीरात के लिए खेल रही हैं। उनका करिअर 24 साल 155 दिनों का है।
• मिताली ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में लगातार नौ मैचों में 50 से अधिक रन बनाए। यह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में किसी भी महिला या पुरुष क्रिकेटर का रिकॉर्ड है।
• मिताली ने रिकॉर्ड 155 एकदिवसीय मैचों में भारतीय टीम की कप्तानी की। उनके नाम कप्तान के रूप में सबसे अधिक जीत (89), सबसे अधिक रन (5319) और सर्वाधिक 50 से अधिक रन (52 बार) बनाने का रिकॉर्ड है।
• मिताली की कप्तानी में भारत ने 109 मैच जीते। यह इंग्लैंड की चार्लोट एडवर्ड्स (142) और ऑस्ट्रेलिया की मेघन लैनिंग (128) के बाद सबसे अधिक है।
• दोहरा शतक लगाने के दिन उनकी उम्र 19 साल 256 दिन थी। इस तरह वे महिला टेस्ट क्रिकेट में सबसे कम उम्र में दोहरा शतक लगाने वाली खिलाड़ी बनीं।
• 1999 में आयरलैंड के खिलाफ अपना पहला एकदिवसीय मैच खेलते हुए मिताली ने 114 रन बनाए। उस दिन उनकी उम्र 16 साल 205 दिन थी। आयरलैंड की एमी हंटर ने अक्टूबर 2021 में यह रिकॉर्ड तोड़ा जब उन्होंने 16वें जन्मदिन पर एकदिवसीय में शतक जमाया।