आजादी के दौर से जारी तमाम श्रम कानूनों के बदले केंद्र सरकार ने चार नई श्रम संहिता- वेतन संहिता 2019, औद्योगिक संबंध संहिता 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 और कामकाजी सुरक्षा, स्वास्थ्य तथा कार्य स्थितियां संहिता 2020 को 21 नवंबर, 2025 से लागू कर दिया है। पांच साल पहले ये विधेयक जब संसद में लाए गए थे, तब श्रम और रोजगार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संतोष गंगवार ने राज्यसभा में कहा था कि ये विधेयक श्रम बल कल्याण के लिए “गेम चेंजर” होंगे, जिससे संगठित और असंगठित क्षेत्र के 50 करोड़ से ज्यादा कामगारों को फायदा होगा। सरकार का दावा है कि ये श्रम सुधार हैं और इसके जरिए देश में श्रम व्यवस्था को आधुनिक बनाया जा सकेगा, कारोबारी प्रक्रिया आसान होगी, और कामगारों के हक मजबूत होंगे। ये संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों में लागू हो गए हैं और काम के घंटे, छुट्टी और सामाजिक सुरक्षा जैसे हकों में बदलाव कर दिए गए हैं।
हालांकि देश के दस बड़े मजदूर संघों ने श्रम संहिता को कामगारों के साथ “धोखाधड़ी” बताया है। लगभग सभी मजदूर यूनियनों ने इन कानूनों को वापस लेने की मांग की। इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआइटीयूसी), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआइयूटीयूसी), हिंद मजदूर सभा (एचएमएस), सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू), ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी), सेल्फ एम्प्लॉयड विमेंस एसोसिएशन (सेवा), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (एआइसीसीटीयू), लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (एलपीएफ) और यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (यूटीयूसी) वगैरह ने नौकरी पर रखने और निकालने के नियमों, छंटनी, नौकरी की निश्चित अवधि और हड़ताल के अधिकार में भारी कटौती के लिए बहुत विरोध जताया है। लेकिन आरएसएस से जुड़े भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने इसका स्वागत किया। उसने इसे निष्पक्ष, सबको साथ लेकर चलने वाला और मजबूत श्रम फ्रेमवर्क बनाने में “मील का पत्थर” बताया है। सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस ने हाल में भुवनेश्वर में विरोध मार्च निकाला, जिसमें सैकड़ों मजदूरों ने हिस्सा लिया और नए कानूनों की प्रतियां जलाई गईं। ट्रेड यूनियनों ने लगातार इन कथित सुधारों का विरोध किया है और पिछले पांच साल में कई बार देश भर में विरोध प्रदर्शन और भारत बंद का आयोजन किया जा चुका है।
हालांकि, कई ट्रेड यूनियनों ने इन नए कानूनों के खिलाफ विरोध किया है। नए नियम कंपनियों के लिए कर्मचारियों को रखने और निकालने की खुली छूट देते हैं। इन नियमों के जरिए छंटनी की मंजूरी के लिए कंपनियों के आकार की सीमा अब 100 से बढ़ाकर 300 कर दी गई है। पहले 100 कर्मचारियों वाली कंपनियों को भी छंटनी की मंजूरी लेनी पड़ती थी, अब 300 कर्मचारियों वाली कंपनियां भी इससे बाहर हैं। इससे सदियों से बने मजदूरों के हक से पिंड छुड़ा लिया गया है। मजदूरों के ये हक लंबे संघर्ष और समानता को ध्यान में रखकर बनाए गए थे। देखना है ये सुधार कैसे खुलते हैं।
खास बदलाव
न्यूनतम वेतन
न्यूनतम वेतन का दायरा सभी क्षेत्रों तक बढ़ा दिया गया है। केंद्र अब राष्ट्रीय आधार वेतन तय करेगा और कोई भी राज्य सरकार उससे कम वेतन या मेहनताना तय नहीं कर सकती, ताकि पूरे देश में मजदूरों के लिए एक जैसा न्यूनतम मानक पक्का हो सके।
ग्रेच्युटी
तय समय अवधि के कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी पाने की अवधि पांच साल से घटाकर लगातार सर्विस के एक साल कर दी गई है। ग्रेच्युटी एकमुश्त रकम होती है, जो नियोक्ता कर्मचारियों को लंबी सर्विस के लिए देते हैं।
गिग वर्कर्स
पहली बार, गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा प्रावधान के तहत लाया गया है। उनके जीवन, डिसेबिलिटी और स्वास्थ्य बीमा के लिए फंड में एग्रीगेटरों को अपने सालाना कारोबार का एक प्रतिशत जमा करना होगा।
वेतन की बदली परिभाषा
“वेतन” की नई परिभाषा में कुल तनख्वाह का कम से कम 50 प्रतिशत बेसिक वेतन होना जरूरी है। इससे कुछ कर्मचारियों के महीने में हाथ में आने वाली रकम घट सकती है, लेकिन वेतन के एक बड़े हिस्से पर अब प्रोविडेंट फंड और ग्रेच्युटी मिलेगी।
अपॉइंटमेंट लेटर जरूरी
अपॉइंटमेंट लेटर अब सभी सेक्टर में जरूरी है, जिसमें अनौपचारिक भर्ती भी शामिल है। इससे वेतन और सामाजिक सुरक्षा के हक का दस्तावेजी सबूत मिलता है।
आने-जाने के दौरान दुर्घटना
घर और कार्यस्थल के बीच यात्रा करते समय होने वाली दुर्घटना को नौकरी के मद में जोड़ दिया गया है, ताकि कर्मचारी मुआवजे के हकदार हो सकें।
समय पर तनख्वाह
तय समय में वेतन देना जरूरी है, जैसे महीने का वेतन अगले महीने के सात दिनों के अंदर देना होगा, और नौकरी से निकालने या इस्तीफे पर वेतन दो दिनों के भीतर देना एकदम अनिवार्य होगा।
महिलाओं की रात्रि पाली
महिलाओं को अब सभी जगहों पर रात्रि पाली (सुबह 6 बजे से पहले और शाम 7 बजे के बाद) में काम करने की छूट है, बस शर्त यह है कि वे राजी हों और नियोक्ता जरूरी सुरक्षा के उपाय पक्का करें।
मीडिया कर्मी
पत्रकार, ओटीटी वर्कर, डिजिटल क्रिएटर, डबिंग आर्टिस्ट और क्रू मेंबर को अब सैलरी, काम के घंटे और हक की डिटेल वाले औपचारिक अपॉइंटमेंट लेटर मिलने चाहिए।
छुट्टी और ओवरटाइम
सालाना सवैतनिक छुट्टी की अवधि 240 दिन से घटाकर 180 दिन कर दी गई है। सामान्य घंटों से देर तक काम करने वाले कर्मचारियों को उन घंटों के लिए मेहनताना, वेतन दर से दोगुना मिलना चाहिए।
सालाना स्वास्थ्य जांच
40 साल और उससे ज्यादा उम्र के सभी कर्मचारियों को मुफ्त सालाना स्वास्थ्य जांच या टेस्ट की सुविधा मुहैया करानी होगी।