संतों की तपोभूमि
उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित कैंची धाम ऋषि-मुनियों की साधना स्थली रही है। पिछले कुछ दशकों में इसकी ख्याति संत नीब करौरी बाबा के कारण हुई है। यहां एप्पल कंपनी के को फाउंडर स्टीव जॉब्स, फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग, क्रिकेट खिलाड़ी विराट कोहली, अनुष्का शर्मा, प्रीटी जिंटा भी आ चुकी हैं। कैंची धाम के संत सोमवारी गिरी महाराज भी चर्चित रहे हैं।
राजनैतिक हस्तियां और विदेशी भक्त
नीब करौरी महाराज ने 15 जून 1964 में कैंची धाम में हनुमान मंदिर की स्थापना की थी। मंदिर के लिए भूमि तत्कालीन वन मंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने आवंटित की थी। उद्योगपति घनश्याम दास बिड़ला ने आर्थिक सहयोग दिया था। नीब करौरी महाराज के भक्तों की सूची में देश विदेश की कई नामी हस्तियां रही हैं। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री, पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा भी कैंची धाम पहुंच चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी नीब करौरी बाबा की महिमा का बखान कर चुके हैं। सत्तर के दशक में जब हिप्पी आंदोलन चरम पर था, तब कई देशों से लोग कैंची धाम पहुंचे थे। उनके लिए नीब करौरी बाबा के नाम का उच्चारण कठिन होता था इसलिए वे उन्हें ‘नीम करोली बाबा’ बुलाते थे। इन भक्तों ने अपने अनुभव साझा करते हुए किताबें लिखीं। इस वजह से बड़ी संख्या में विदेशी भक्त कैंची धाम आने लगे।
फल-सब्जियां बहुतायत
कैंची धाम का वातावरण फलों और सब्जियों की पैदावार के लिए बहुत अनुकूल है। यहां उगने वाले आम, लीची, नाशपाती और पहाड़ी फल प्लम, खुबानी, आड़ू की देश-विदेश में भारी मांग है। सब्जियों में ब्रोकली, शिमला मिर्च देश के कई भागों तक पहुंचाई जाती है। यहां के लोगों के आय का मुख्य साधन खेती है। बीते कुछ वर्षों में लोगों ने होम स्टे कारोबार में भी रुचि दिखाई है।
समृद्ध सांप्रदायिक सौहार्द और खानपान
सांप्रदायिक सौहार्द कैंची धाम क्षेत्र की ताकत है। मूल रूप से लोग हिंदी भाषी हैं। लोकभाषा कुमाऊंनी पिछले कुछ वर्षों में हाशिए पर चली गई थी लेकिन युवा पीढ़ी इसे फिर जीवित करने के प्रयास करती दिखाई देती है। पारंपरिक पहाड़ी भोजन भट्ट की दाल, मडुवे की रोटी, भांग की चटनी, आलू के गुटके के प्रति विशेष अनुराग है। ककड़ी का रायता, मट्ठे की झोली, बुरांश का जूस आकर्षण का केंद्र हैं।
जैव विविधता और वन बाहुल्य क्षेत्र
वन संपदा, जैव विविधता, वनस्पति और जड़ी-बूटियों के कारण कैंची धाम में वातावरण सुरम्य रहता है। चारों ओर मौजूद पहाड़, जंगल, नदी, हरे-भरे वृक्ष, झरने, देवत्व का एहसास कराते हैं। पक्षियों की कई प्रजातियां यहां नजर आती हैं। देश का पहला मॉस गार्डन कैंची धाम के पास हल्द्वानी के नैनीताल जिले में स्थित है। तितलियों की कई प्रजातियां यहां पाई जाती हैं। यहां औषधीय गुणों से भरपूर कई फल और फूल उपलब्ध रहते हैं।
उत्तरवाहिनी शिप्रा नदी
देश की अधिकांश नदियां दक्षिण वाहिनी यानी उत्तर से दक्षिण दिशा की तरफ बहती हैं। लेकिन कैंची धाम में शिप्रा उन चुनिंदा नदियों में है, जो उत्तरवाहिनी है। यह कैंची धाम की भौगोलिक स्थिति के कारण है। इस नदी का वर्णन स्कंद पुराण के मानसखंड में किया गया है। शिप्रा नदी को लेकर एक किस्सा बड़ा मशहूर है। किंवदंती है कि एक बार कैंची धाम में भंडारे के लिए जब घी खत्म हो गया तो नीब करौरी बाबा ने शिप्रा नदी के जल को घी में बदल दिया था।
बदला मिजाज
बहुत पुरानी बात नहीं है, जब कैंची धाम में गिने-चुने पर्यटक आते थे। न पक्की सड़क थी, न मूलभूत सुविधाएं। स्कूल, अस्पताल के लिए कई किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी। विकास कोसों दूर था। लेकिन आध्यात्मिक स्थल के रूप में लोकप्रिय होते ही कैंची धाम का कायाकल्प हो गया। आज देश के विभिन्न राज्यों के लोगों ने कैंची धाम में जमीन खरीद ली है। देश के कोने-कोने से आकर लोग कैंची धाम में बस रहे हैं। लोग सुकून, शांति, ठहराव की अहमियत पहचान कर कैंची धाम को अपना घर बना रहे हैं।
शक्ति पीठ
कैंची धाम के पास कई शक्ति पीठ हैं। भगवान शिव का जागेश्वर धाम, अद्भुत चुंबकीय शक्ति वाला कसार देवी मंदिर, शक्तिपीठ नयना देवी मंदिर, स्वामी विवेकानंद की तपस्थली काकड़ीघाट जैसे स्थान कैंची धाम के निकट हैं। इसके अलावा उत्तराखंड के चार धाम का रास्ता भी कैंची धाम से होकर जाता है। इसी बहाने बद्रीनाथ, केदारनाथ जाने वाले तीर्थयात्री कैंची धाम के भी दर्शन कर लेते हैं।
पहुंच मार्ग
यहां पर आने वाले भक्तों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। भक्तों को असुविधा न हो इसकेलिए प्रशासन हर संभव इंतजाम कर रहा है। बड़ी संख्या में लोग आने की वजह से यहां जाम की समस्या बहुत आम है। इससे बचने के लिए बाइपास रोड का निर्माण किया जा रहा है। बहुमंजिला पार्किंग और हैलीपैड के निर्माण से भी भक्तों को राहत मिलेगी। रेल से आने वाले यात्री कैंची धाम से नजदीक रेलवे स्टेशन काठगोदाम उतर सकते हैं। काठगोदाम के लिए देश भर से ट्रेन उपलब्ध हैं। इसके बाद बस या टैक्सी के माध्यम से कैंची धाम पहुंचा जा सकता है। नजदीकी एयरपोर्ट पंतनगर है। कैंची धाम ऐसा अलौकिक अनुभव है, जिसे हर भक्त अनुभव करना चाहता है।