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5 अगस्त 2024 · AUG 05 , 2024

कारोबारः संकट में एडटेक कारोबार

ऑफलाइन केंद्रों के सहारे भी नहीं टिक पा रहा है प्रौद्योगिकी आधारित ऑनलाइन शिक्षा का बाजार, विलय की खबरें तेज
एजुकेशन सेक्टर में मंदी

शिक्षा प्रौद्योगिकी की कंपनी अनअकेडमी ने हाल ही में अपने अलग-अलग विभागों से करीब 250 कर्मचारियों की छंटनी कर दी। इसमें 150 लोग सेल्स, मार्केटिंग और टेक्नोलॉजी की टीम में थे। हाल के वर्षों में यह कंपनी की तीसरे दौर की छंटनी है। मार्च 2023 में कंपनी ने अपने कार्यबल में कथित रूप से 12 प्रतिशत की कटौती कर दी थी, जो 380 कर्मचारियों के आसपास था। उससे पहले अप्रैल 2022 में कंपनी ने अनुबंधित और पूर्णकालिक 1000 लोगों को नौकरी से निकाला था। हालिया छंटनी को कंपनी के एक प्रवक्ता ने अनिवार्य बताते हुए कहा कि यह कंपनी के लक्ष्यों और नजरिये के लिहाज से जरूरी था क्योंकि कंपनी अब मुनाफा कमाने की क्षमता और टिकाऊ वृद्धि पर खुद को केंद्रित कर रही है। इसके बाद कंपनी के संस्थापक गौरव मुंजाल ने ट्विटर पर बताया कि मुनाफे और वृद्धि के हिसाब से यह साल कंपनी के लिए सबसे अच्छा रहने वाला है, ‘‘हमारे आगे अभी बहुत साल हैं। हम लोग लंबी दौड़ के लिए अनअकेडमी को तैयार कर रहे हैं। अफवाहों पर ध्यान मत दीजिए।’’

अनअकेडमी में हुई यह छंटनी हाल ही में मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी करवाने वाले कंपनी के मंच प्रेपलैडर में कटौती का नतीजा है, जिसमें 145 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला गया है। प्रेपलैडर में बीते तीन साल में यह तीसरी छंटनी है। अनअकेडमी ने 2020 में प्रेपलैडर को पांच करोड़ डॉलर में खरीदा था।

अनअकेडमी ने 2010 में एक यूट्यूब चैनल के रूप में अपनी शुरुआत की थी। इसे इंजीनियरिंग के एक छात्र गौरव मुंजाल ने खोला था और ‘देश में शिक्षा को लोकतांत्रिक बनाना’ इसका उद्देश्य बताया था। चैनल से यह एक डिजिटल मंच में तब्दील हुआ। इसका शुरुआती विचार एक ऐप बनाने का ही था ताकि तीन से चार घंटे में सीखी जाने वाली चीज को तीन से चार मिनट में सीखा जा सके। मुंजाल ने एक ब्लॉग में 2015 में लिखा था कि ‘‘यह ऐप बनाने का खयाल सीखने को बहुत आसान बना देगा।’’

समय के साथ यह कंपनी दस लाख से ज्यादा उपयोगकर्ताओं तक फैल गई और 2017 में इसकी चार हजार लाइव कक्षाएं चल रही थीं। फिर तेजी से इसके दैनिक उपयोगकर्ताओं की संख्या दो लाख से ज्यादा हो गई। अब इसके तीन ऐप तीन परीक्षाओं नीट, जेईई और यूपीएससी के लिए हैं और उन पर काफी पाठ्य सामग्री मौजूद है।

कंपनी की पहुंच 2020 में बढ़ी जब लोग लॉकडाउन के दौरान अपने घरों में कैद हो गए। ऐसे में ऑनलाइन कक्षाओं का लाभ उठाकर प्रौद्योगिकी आधारित शिक्षा वाला कारोबार तेजी से बढ़ा। उद्यमी इसमें पूंजी लगाने लगे और निजी इक्विटी वाले भी निवेश करने लगे। माना जाता है कि एडटेक सेक्टर में 2.2 अरब डॉलर का निवेश हुआ है।

सितंबर 2020 में जब अनअकेडमी ने 15 करोड़ डॉलर की पूंजी इकट्ठा की, तो वह युनिकॉर्न कंपनी का दर्जा पा गई। इसकी बाजार पूंजी का मूल्यांकन 1.45 अरब डॉलर हो गया। इसमें फेसबुक, ब्लूम वेंचर्स, नेक्सस पार्टनर्स, जनरल अटलांटिक और सिकोइया कैपिटल ने पैसा लगाया। कंपनी का राजस्व 2019 के 22 करोड़ से बढ़कर 86 करोड़ हो गया। इसके बाद ही कंपनी ने क्रिएट्रिक्स, प्रेपलैडर, कोडशेफ और नियोस्टेंसिल का अधिग्रहण किया। ये कंपनियां गेट, मेडिकल प्रवेश परीक्षा, कोडिंग और सरकारी नौकरियों की तैयारी करवाती थीं।

कोविड महामारी के कारण लगाया गया लॉकडाउन खुलने के बाद जैसे ही ऑफलाइन पढ़ाई-लिखाई दोबारा पटरी पर आई, एडटेक सेक्टर घाटे में जाने लगा। अटकलें लगाई जाने लगीं कि महामारी के दौरान आसमानी ऊंचाइयां छूने वाला यह कारोबार अब टिक भी पाएगा या नहीं।

इस क्षेत्र में 2022 के बाद से छंटनी और लागत कटौती लगातार जारी है। सबसे बड़ा उदाहरण बाइजू नाम की एडटेक कंपनी है। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के अनुसार एडटेक कंपनियों की फंडिंग में तीव्र गिरावट आई है। यह 2022 के 2.6 अरब डॉलर से गिरकर 2023 में करीब 30 करोड़ डॉलर पर आ चुकी है।   

बदले हुए हालात में बाइजू, अनअकेडमी और फिजिक्सवाला ने रणनीति बदली और शहरों में अपनी दुकानें खोलने लगे। अनअकेडमी ने 2022 में अपनी पहली दुकान दिल्ली में खोली। कंपनी के पार्टनर और सीएमओ करन श्रॉफ इस विस्तार के बारे में बताते हैं, ‘‘भारत में लोगों को भरोसा तब पैदा होता है जब आपका ब्रांड बाहर दिखाई दे। हम अपने ग्राहकों के लिए यही करना चाहते थे।’’  

मुंजाल ने एक अखबार को बताया था कि उन्होंने ऑनलाइन शिक्षण की ताकत को बढ़ा-चढ़ा कर आंकने की गलती कर दी थी, ‘‘मुझे नहीं लगता कि अपनी दुकान खोले बगैर कोई एडटेक कंपनी भारत में बड़ी बन सकती है। ऑनलाइन धंधा अब घट रहा है लेकिन ऑफलाइन बहुत तेजी से बढ़ा है।’’

अनअकेडमी ने 2020 में कई नए मंच खरीदे थे। यह सिलसिला 2022 तक जारी रहा। 2018 से 2022 के बीच कंपनी ने 12 अधिग्रहण किए और कई नए उत्पाद बाजार में उतारे। एक अखबार के अनुसार ऐसे कई उत्पाद अब या तो खत्म हो चुके हैं या बमुश्किल बचे हुए हैं।

मुंजाल इस बात को नहीं मानते, हालांकि वे इस बात को स्वीकार करते हैं कि उनकी कंपनी ने कुछ ज्यादा ही पैर फैला लिए थे। मुंजाल लगातार कहते रहे कि वे कंपनी के मूल धंधे पर ही बने रहेंगे और फिलहाल जारी दो-तीन प्रोजेक्ट को ही चलाएंगे।

वित्त वर्ष 2022 में अनअकेडमी ने कुल 1678.15 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज करवाया। यह बीते वर्ष के मुकाबले 2848 करोड़ कम था। कंपनी का राजस्व वित्त वर्ष 2022 के 719 करोड़ रुपये के मुकाबले 26 प्रतिशत बढ़कर 907 करोड़ रुपये हो गया था। अपने खर्च घटाने के लिए 2022 के बाद से इसने कुल 2000 के आसपास कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया। 

हाल ही में एनट्रैकर ने रिपोर्ट दी है कि अनअकेडमी, के12 टेक्नोे के साथ विलय के बारे में विचार कर रही है। के12 ऑर्चिड इंटरनेशनल स्कूल को चलाने वाली कंपनी है। रिपोर्ट के अनुसार अगर यह विलय हो गया तो दोनों कंपनियों की संयुक्त क्षमता में आधी-आधी हिस्सेदारी होगी। दोनों में ही पीक XV का निवेश है। इसके अलावा, तीन साल पहले अनअकेडमी ने ऑर्चिड स्कूल में निवेश किया था।

इस बीच एक खबर के मुताबिक अनअकेडमी ने संभावित विलय या पूर्ण अधिग्रहण की मंशा से कई निवेशकों से बात की है। इनमें फिजिक्सवाला, ऐलेन कोचिंग, के12 टेक्नो और अन्य बड़ी कोचिंग कंपनियां हैं। यह बातचीत कथित रूप से शुरुआती चरण में ही है। के12 वाला सौदा इसलिए नहीं पट रहा क्योंेकि उसका एक निवेशक केदार कैपिटल अनअकेडमी में दिलचस्पी नहीं ले रहा। केदार के एक प्रवक्ता ने इस बात से इनकार करते हुए मॉर्निंग कॉनटेक्स्ट को बताया, ‘‘केदार कैपिटल अनअकेडमी के संबंध में किसी भी चर्चा का हिस्सा नहीं रहा और उसने के12 को कोई सलाह इस मामले में नहीं दी है।’’  

सवाल है कि अनअकेडमी अब अपने दम पर टिक पाएगी या नहीं। मुंजाल मानते हैं कि ऐसा मुमकिन है। ट्विटर पर उनके लिखे संदेश पर उन्हें ओला के संस्थापक भविश अग्रवाल सहित कई लोगों का समर्थन मिलता दिखा है। मुंजाल ने तमाम आशंकाओं को दूर करने के लिए मार्क ट्वेन की एक तस्वीर ट्विटर पर पोस्ट की थी जिस पर लिखा था, ‘‘मेरी मौत की बातें कुछ ज्यादा ही अतिरंजित है।’’

गौरव मुंजाल

मुझे नहीं लगता कि अपनी दुकान खोले बगैर कोई एडटेक कंपनी भारत में बड़ी बन सकती है

गौरव मुंजाल, संस्थापक, अनअकेडमी

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