एक ऐसा हादसा, जब गर्मी और उमस के बीच एटा के सरकारी अस्पताल में पड़ी लाशों को देखकर वहां तैनात एक पुलिसवाले को दिल का दौरा पड़ गया, लेकिन संसद चलती रही; जिसमें पलक झपकते ही सौ से ज्यादा लोग कुचलकर मारे गए, लेकिन टीवी पर प्रधानमंत्री का भाषण चलता रहा; जहां परिजन अपनों की लाशों को लेकर भटकते रहे, लेकिन डॉक्टर नदारद रहे; जहां आयोजन से जुड़े 22 लोगों पर एफआइआर हुई, लेकिन असली दोषी का नाम नहीं लिखा गया।
हाथरस, वर्तमान भारत का महज एक प्रतीक है। सितंबर 2020 में यह प्रतीक एक जघन्य गैंगरेप कांड से जागा था। 2 जुलाई 2024 को यह बेवजह मासूमों की थोक में हुई मौत से जागा है।
पुलिस की नौकरी से तीन दशक पहले कथित रूप से इस्तीफा देकर ‘भोले बाबा’ बने कासगंज जिले के सूरज पाल उर्फ नारायण हरि धवल सूटबूटधारी प्रवचक हैं। वे दलित समुदाय से आते हैं। उनके अनुयायी भी ज्यादातर दलित हैं। इस बाबा की ‘चरण रज’ लेने के चक्कर में 120 से ज्यादा लाशें बिछ गईं।
प्रवचन सभा में अस्सी हजार की अनुमति के बावजूद ढाई लाख लोग उमड़े, तो प्रशासन की बदइंतजामी के चलते बाबा के सेवादारों ने वॉटर कैनन चला दिया। भगदड़ मची। लोग एक-दूसरे को रौंदते हुए बाबा के चरणों की धूल लेने के लिए आगे बढ़ते रहे। लाशों को छोड़ बाबा फरार हो गया। जिनकी सांसें बची थीं, वे ऑक्सीजन सिलेंडर और डॉक्टर के अभाव में मर गए।
आपाधापी में प्रशासनिक जांच बैठा दी गई और मृतकों को दो-दो लाख का मुआवजा दे दिया गया। नेताओं ने सांत्वना भरे औपचारिक बयान दे दिए। अब संसद जारी रहेगी। टीवी भी हाथरस को भूल जाएगा, जैसे उसने भूलगढ़ी को भुला दिया।
बरसों पहले 1862 में जदुनाथजी ब्रजरतनजी महाराज नाम के एक पुष्टिमार्गी बाबा ने एक पत्रकार करसनदास मूलजी के ऊपर इसलिए मुकदमा किया था क्योंकि उन्होंने अपने अखबार ‘सत्यप्रकाश’ में महिला भक्तों द्वारा बाबा की ‘चरण सेवा’ की परंपरा के खिलाफ लिखा था। पत्रकार मुकदमा जीत गया। उसे अंग्रेजी प्रेस ने ‘भारत का मार्टिन लूथर’ कहा। बाद में स्वामी दयानंद सरस्वती ने करसन के काम को आगे बढ़ाते हुए फर्जी बाबाओं वाले रूढि़वादी पुष्टिमार्ग को ‘सच्चेे’ हिंदू धर्म का विरोधी कहा।
सच्चे और फर्जी हिंदू पर बहस- राहुल गांधी के संसद में दिए भाषण के बहाने- पूरे देश में आज भी चल रही है। वैसे ही, जैसे बाबाओं की ‘चरण सेवा’ और उसके चक्कर में होने वाली मौतें मुसलसल जारी हैं। करसनभाई के संघर्ष पर वेब सीरीज ‘महाराज’ महज मनोरंजन है, सीखने की चीज नहीं। वैसे ही, जैसे 2024 हाथरस के लिए एक अंक है, समयांतर नहीं। अमृतकाल तक आते-आते भारत का समाज शायद 1862 से भी पीछे चला गया है।
दर्जनों हाथरस
2 जुलाई 2024: उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक धार्मिक जुटान के दौरान 120 से ज्यादा लोगों की मौत और कई घायल
31 मार्च 2023: इंदौर में रामनवमी के हवन के दौरान एक प्राचीन बावड़ी की छत गिरने से कम से कम तीन दर्जन लोगों की मौत
1 जनवरी 2022: जम्मू के वैष्णो देवी तीर्थ में भगदड़ से कम से कम 12 लोगों की मौत और एक दर्जन से ज्यादा घायल
14 जुलाई 2015: आंध्र प्रदेश के राजामुंदरी में पुष्करम महोत्सव के दौरान गोदावरी नदी के तट पर भगदड़ में 27 लोगों की मौत और 20 घायल
3 अक्टूबर 2014: पटना के गांधी मैदान में दशहरा उत्सव के दौरान भगदड़ में 32 लोगों की मौत और 26 घायल
13 अक्टूबर 2013: मध्य प्रदेश के दतिया जिले में नवरात्रि उत्सव के दौरान रतनगढ़ के मंदिर में हुई भगदड़ में 115 लोगों की मौत और 100 से ज्यादा घायल
8 नवंबर 2011: हरिद्वार में हर की पौड़ी में भगदड़ में कम से कम 20 लोगों की मौत
14 जनवरी 2011: केरल के इडुक्की जिले स्थित पुलमेडु में भगदड़ के कारण सबरीमाला मंदिर के कम से कम 104 दर्शनार्थियों की मौत और 40 से ज्यादा घायल
4 मार्च 2010: उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में कृपालु महाराज के राम जानकी मंदिर में मुफ्त भोजन और कपड़े लेने के दौरान हुई भगदड़ में 63 लोगों की मौत
30 सितंबर 2008: राजस्थान के जोधपुर स्थित चामुंडा मंदिर में बम धमाके की अफवाह के कारण हुई भगदड़ में 260 लोगों की मौत और 60 से ज्यादा घायल
3 अगस्त 2008: हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के नैना देवी मंदिर में पत्थर गिरने की अफवाह के बाद हुई भगदड़ में 162 लोगों की मौत और 47 घायल
25 जनवरी 2005: महाराष्ट्र के सतारा में मंधार देवी मंदिर में फिसलनदार सीढ़ी पर कुछ दर्शनार्थियों के गिरने से हुई भगदड़ में 340 लोगों की मौत और सैकड़ों घायल
27 अगस्त 2003: महाराष्ट्र के नासिक में कुम्भ मेले के दौरान हुई भगदड़ में 39 लोगों की मौत और 150 के आसपास घायल