Advertisement

अंदरखाने

सियासी दुनिया की हलचल
उमर अब्दुल्ला

जमीन खरीदने के नियम बदलकर डोमिसाइल का दिखावा भी खत्म कर दिया गया। जम्मू-कश्मीर को सेल पर लगा दिया गया है, इसकी बुरी मार गरीबों पर ही पड़ेगी- उमर अबदुल्ला (पूर्व मुख्यमंत्री तथा नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता)

याद आए मनमोहन

इस समय नॉर्थ ब्लॉक में नए फाइनेंस सेक्रेटरी को लेकर चर्चा जोरों पर है। ऐसे कयास हैं कि नया फाइनेंस सेक्रेटरी मनमोहन सिंह की परंपरा वाला होगा। यानी वह आइएएस नहीं होगा। शायद किसी अर्थशास्‍त्री की तलाश है, जिसकी सोच बाबुओं वाली न हो। इसकी बड़ी वजह लगातार गिरती अर्थव्यवस्था है। सो, प्रधानमंत्री किसी ऐसे की तलाश में हैं, जो मनमोहन सिंह जैसा कारनामा दिखाए। खैर कारनामा होगा या नहीं, यह तो वक्त बताएगा लेकिन फरवरी में रिटायर हो रहे मौजूदा फाइनेंस सेक्रेटरी ए.बी.पांडे की जगह कौन आता है, यह देखना है।

भाजपा को दिग्गी की जरूरत

मध्य प्रदेश में उपचुनाव का प्रचार जोरों पर है लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अभी भी मैदान से दूरी बनाए हुए है। कांग्रेस खास रणनीति के तहत ऐसा कर रही है। ऐसे में कांग्रेस से ज्यादा भाजपा परेशान चल रही है। उसकी परेशानी यह है कि वह दिग्विजय की बंटाधार और हिंदू विरोधी वाली छवि को चुनाव प्रचार में इस्तेमाल नहीं कर पा रही है। 2003 के चुनाव से लेकर अभी तक हर चुनाव में उनकी यह छवि भाजपा का मुख्य हथियार हुआ करती थी। भाजपा 2003 के पहले के बदहाल प्रदेश की छवि को याद दिलाकर कांग्रेस के खिलाफ माहौल बनाती थी, लेकिन इस बार दिग्विजय प्रचार में जा नहीं रहे हैं। ऐसे में एक नेता का कहना है कि उनकी छवि हमारे लिए ट्रंप कार्ड हुआ करती थी, लेकिन इस बार शायद समझदारी आ गई है। ऐसे में भाजपा को अपना ट्रंप कार्ड ही नहीं मिल रहा है, जो परेशानी का सबसे बड़ा सबब बन गया है।

बदले-बदले सिद्धू

लगता है, कांग्रेस पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू को साधने में कामयाब हो गई है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से नाराज रहने वाले सिद्धू दो साल बाद खुलकर कैप्टन के पक्ष में बोले। इससे सिद्धू की नाराजगी दूर होने के कयास लगाए जा रहे हैं। केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों की काट में जैसे ही विधानसभा में विधेयक पेश हुए, सिद्धू ने कैप्टन को किसानों के भगवान का दर्जा देने से भी गुरेज नहीं किया। रातोरात नरम पड़े सिद्धू के इन तेवरों से वे दल सकते में हैं, जो 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले सिद्धू को अपने पाले में लाने के लिए डोरे डाल रहे थे। चर्चा थी कि सिद्धू की भाजपा में वापसी हो सकती है। वे आम आदमी पार्टी के संपर्क मे भी थे। अब बदले-बदले सिद्धू ने कइयों के मंसूबे पर पानी फिर दिया है।

हार में जीत की उम्मीद

मध्य प्रदेश में भाजपा के कई दिग्गज विधायक जो मंत्री नहीं बन पाये है उन्हें उम्मीद है कि उपचुनाव के बाद उनका नंबर लग सकता है। यह उम्मीद इस आधार पर है कि सिंधिया खेमे के कई उम्मीदवार, जो मंत्री बनाये गये हैं, उनके हारने की संभावना है। ऐसे में मंत्री पद खाली होगा और उनका नंबर लग जायेगा। ऐसे कई वरिष्ठ विधायकों ने अपने समर्थकों को थोड़ा इंतजार करने को कहा है। ये वही लोग हैं जिनको सिंधिया समर्थकों के आने की वजह से मंत्री पद नहीं मिल पाया था और हाथ मलते रह गए थे।

सीन से गायब

मार्च में जब कोविड का प्रकोप शुरू हुआ था तो स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी काफी छाए हुए थे। हर तरफ उनकी चर्चा थी। कई अखबारों में तो उनके अब तक के सफर की भी काफी चर्चा हुई। चर्चाएं ऐसी थीं कि साहब 20-20 घंटे काम कर कोरोना के संक्रमण को रोकने में लगे हुए हैं। लेकिन पिछले कुछ दिनों से वे सीन से गायब हैं। कमान खुद स्वास्थ्य मंत्री ने संभाल ली है। सोशल मीडिया से लेकर दूसरे मीडिया में भी वही नजर आ रहे हैं।

यूपी की पुलिस

उत्तर प्रदेश के एक वीआइपी क्षेत्र में आने वाले थाने में एक मामला पहुंचा। खबर है कि गेहूं खरीदने के विवाद में दुकानदार और खरीदार के बीच मारपीट हुई थी। लेकिन खरीदार मुस्लिम था और दुकानदार हिंदू था। ऐसे में पुलिस ने खरीदार को केवल इस बात पर लॉकअप में डाल दिया। सफाई में थानेदार का कहना था कि भाई वीआइपी का क्षेत्र है कोई जोखिम नहीं ले सकते। धारा-151 के तहत बंद किया है, कल जमानत मिल जाएगी। अगले दिन ही जमानत हो पाई।

Advertisement
Advertisement
Advertisement