‘‘केंद्र आंकड़ेबाजी छोड़कर वैक्सीन दे, वरना तीसरी लहर में हम बच्चों को बचा नहीं पाएंगे, ऐसा हुआ तो देश कभी माफ नहीं करेगा’’
अशोक गहलोत, मुख्यमंत्री, राजस्थान
डिप्टी सीएम का तोहफा
उत्तर प्रदेश में चुनावों से पहले मंत्रिमंडल में फेरबदल के कयास हैं। ऐसी चर्चा है कि दिल्ली से पहुंचे एक नौकरशाह को बड़ी जिम्मेदार मिल सकती है, जो सरकारी नौकरी छोड़कर कुछ महीने पहले भाजपा में शामिल हुए हैं। उनके पास प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र बनारस की भी जिम्मेदारी है। ऐसा माना जा रहा है कि बनारस में जिस तरह कोविड पर काबू पाने में उन्होंने भूमिका निभाई है उससे आलाकमान भी खुश है। ऐसे में उन्हें डिप्टी सीएम जैसा पद मिल सकता है। हालांकि जब जनवरी में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली थी तभी से अहम जिम्मेदारी मिलने की बातें चल रही हैं।
सरकार बहादुर समझते नहीं
गठबंधन सरकार में जब सहयोगी पार्टी के ही नेता सरकार की खिंचाई करने लगें तो इरादे पर शक होने लगता है। बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल पूर्व मुख्यमंत्री और उनकी पार्टी सरकार की टांग खिंचाई में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। अब कोरोना वैक्सीन के दूसरे डोज पर प्रधानमंत्री की तस्वीर देखी तो मिर्ची लग गई। सवाल प्रधानमंत्री की तस्वीर का नहीं, अपनी सरकार की खिंचाई का है। इसके पहले वे कोरोना में देवदूत बने एक पूर्व सांसद की गिरफ्तारी का भी खुलकर विरोध कर चुके हैं। उन्हेें तो आपत्ति लॉकडाउन पर भी है। कहते हैं, लॉकडाउन से पहले गरीबों को मुफ्त राशन, बेरोजगारों को पांच हजार रुपये मासिक बेरोजगारी भत्ता मिलना चाहिए था। दरअसल उन्हें और कुछ नहीं, अपने लिए सदन की सदस्यता चाहिए, सरकार बहादुर हैं कि समझते नहीं।
धमकी का फायदा
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने हाल में धमकी दी कि भाजपा उनके विधायकों के खिलाफ राजनीतिक साजिश न करे, वरना हनी ट्रैप की सीडी उनके पास है। इस बयान के बाद भाजपा में खलबली मच गई है। भाजपा की ओर से कमलनाथ पर हमले किए जाने लगे और सीडी को सार्वजनिक करने की मांग होने लगी लेकिन अंदर से भाजपा के कई बड़े नेता परेशान बताए जाते हैं। वे किसी तरह से इस मामले को दबाना चाहते हैं। ऐसा नहीं हुआ तो कई लोगों के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है। यही वजह है कि कमलनाथ की धमकी के बाद कांग्रेस विधायक के मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।
तैयारियों का राज
कांग्रेस से भाजपा में आए एक नेता के बड़े चर्चे हैं। आजकल वे शिक्षा व्यवस्था कैसी हो, इस पर न केवल अखबारों में लेख लिख रहे हैं, बल्कि उस पर काफी पढ़ाई भी कर रहे हैं। भारतीय शिक्षा पद्धति के तरीकों को पार्टी के मातृ संगठन के नजरिए से भी समझने में लगे हुए है। नेता जी में आए इस बदलाव के कई कयास लगाए जा रहे हैं, खासकर जब केंद्र में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं जोरों पर हैं। अब यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा कि पढ़ाई का क्या राज है।
तोहफा पड़ा भारी
अधिकारी विदा होते हैं तो उन्हें समारोह आयोजित कर तोहफे दिए जाते हैं। साहब डीजीपी के पद से रिटायर हुए। मगर रिटायरमेंट के कई माह के बाद उन्हेंं सरकार से तोहफा मिला। तोहफा घर से बेदखल करने का है। दरअसल पत्नी के नाम पर 50 डिसमिल जमीन पर उनका व्हाइट हाउस है। सरकार ने जमीन की खरीद को ही गैर-कानूनी घोषित कर दिया। अब मकान सहित जमीन से बेदखल होने की नौबत है। हालांकि वे अकेले नहीं हैं। उनके साथ वर्दी वाले कई और लोग हैं।
समय का फेर
मध्य प्रदेश के एक वरिष्ठ नेता की कहां तो नजर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर थी, लेकिन पश्चिम बंगाल की हार ने सब पर पानी फेर दिया। अब तो मंत्री बनने में भी भाग्य नहीं साथ दे रहा है। राज्य में दो नेताओं का मंत्री बनना लगभग तय है लेकिन कोरोना की वजह से इंतजार लंबा होता जा रहा है। अहम बात यह है कि मुख्यमंत्री भी दोनों को मंत्री बनाना चाहते हैं, खासकर बंगाल गए नेता को, क्योंकि अब उनके मंसूबे शांत हो गए हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री को भी कोई खतरा नहीं, लेकिन समय का फेर है।