‘‘हजारों बार जमाना यहां से गुजरा है, नई-नई सी है कुछ तेरी रहगुजर फिर भी’’
अत्यंत लोकप्रिय, प्रतिभाशाली गायक केके उर्फ कृष्णकुमार कुन्नथ ने विशिष्ट शैली में रोमांटिक, उदास, पार्टी सांग्स, यारी-दोस्ती सभी मूड के ब्लॉकबस्टर गाने गाए। केके का योगदान संगीत जगत में अलग-सा है क्योंकि उन्होंने संगीत-गायन का औपचारिक प्रशिक्षण लिए बिना ही सर्वश्रेष्ठ धुनें गाईं। यारो, दोस्ती बड़ी ही हसीन है की अपार लोकप्रियता ने लोगों को उनकी रूहानी, जादुई आवाज का दीवाना कर दिया। केके की सर्वथा अलग आवाज हर उम्र के लोगों को पसंद आई। उन्होंने चार्टबस्टर दिए और हर नए गाने के साथ, उनके दीवानों की संख्या में भरपूर इजाफा होता गया।
केके की रूहानी आवाज में ऑटो-ट्यून मुक्त गानों का परिचय नब्बे के दशक में रेडियो के माध्यम से हुआ। उनके गानों ने बचपन की दोस्ती, स्कूल क्रश, पहला प्यार, प्यार के आगे लड़खड़ाने, दिल टूटने, स्कूल से विदाई और कॉलेज जीवन का बखूबी प्रतिनिधित्व किया। केके रेडियो, टेप-रिकॉर्डर, टीवी, ब्लूटूथ से वाइफाइ तक की यात्रा में समान रूप से लोकप्रिय रहे। उनके गाने, युवाओं को कठिन समय से बाहर निकालने में मददगार हुए, इसीलिए उस पीढ़ी ने उन्हें रूह को सुकून देता देवदूत-फरिश्ता और थेरेपिस्ट माना। केके हर एहसास गीतों में बयां करते हुए, करोड़ों दिलों की सिम्फनी बन गए। उनकी क्रिस्टल क्लियर आवाज ने हेडफोन्स के माध्यम से सैंकड़ों की हृदयगत भावनाओं को सहलाया-दुलारा।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी, उत्कृष्ट गायक केके ने सुमधुर आवाज में विभिन्न शैलियों में अविस्मरणीय गीत गाए। केके का गाना, ‘तड़प तड़प के’ काफी पसंद किया गया। उनके अतिशय लोकप्रिय चुनिंदा गाने हैं - ‘तू ही हकीकत’, ‘तू आशिकी है’, ‘तू जो मिला’, ‘जिंदगी दो पल की’, ‘तू ही मेरी शब है’, ‘मैंने दिल से कहा’, ‘हां तू है’, ‘कोई कहे’, ‘सच कह रहा है, ‘बस एक पल’, ‘दिल इबादत’, ‘आंखों में तेरी’, ‘जरा सी दिल में’, ‘दर्द में भी ये लब’ तथा अन्य कई। आवारापन-बंजारापन में जीवनदर्शन के सुंदर बोलों को उन्होंने मधुर स्वरों से सजाया।
केके की सुरीली लेकिन बोल्ड आवाज की कई गायकों ने प्रशंसा की। केके ने फिल्मों में ब्रेक मिलने से पहले करीब 35000 जिंगल्स गाए। उन्होंने हिंदी, गुजराती, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, मराठी, बांग्ला भाषाओं में गाने गाए। केके की उत्कृष्टता को बेहद कम आंका गया, विडंबना है कि इतने उम्दा कलाकार को वह सम्मान नहीं मिला, जिसके वे हकदार थे। उनके गाने अनंतकाल तक प्रशंसकों के दिलों में बसे रहेंगे। उनकी मंत्रमुग्ध करती मधुर आवाज के प्रशंसक अलग ही हैं, अत: उन्हें किसी पुरस्कार की जरूरत नहीं, बल्कि अवॉर्ड को उनकी आवाज की जरूरत थी। केके इतने विनम्र, महान थे कि अपनी सफलताओं का श्रेय कभी खुद न लेकर, सम्मानपूर्वक अपने साथ जुड़े हर व्यक्ति को श्रेय देते थे।
केके का दो दिनी कार्यक्रम के लिए कोलकता जाना, सोमवार को विवेकानंद कॉलेज और 31 मई की काली रात को गुरुदास कॉलेज के लिए नजरुल मंच पर लाइव कार्यक्रम होना। कार्यक्रम के बाद होटल पहुंचते ही तबीयत बिगड़ने के फलस्वरूप गिरना, उन्हें सीएमआरआइ ले जाया जाना, जहां चिकित्सकों का त्वरित चेकअप के उपरांत उन्हें मृत घोषित करना, इस तरह केके का दुनिया को अलविदा कह देना। उनके यूं अकस्मात जाने के बाद उनके गाने के बोल उन्हीं के लिए दोहराए जाएंगे..
‘‘तुम तो अभी थे यहीं, कुछ भी ना सुना,
कब का था गिला, कैसे कह दिया अलविदा’’
‘‘सोचा ना सुना, तूने क्यों भला कह दिया, अलविदा,
कोई पूछे तो जरा, क्या सोचा और कहा अलविदा
अलविदा-अलविदा, अब कहना और क्या,
जब तूने कह दिया अलविदा...’’
केके के संगीत के प्रति लगाव और जूनून का यह आलम था कि अपने अंत से पहले भी वे प्रशंसकों के लिए गा रहे थे। उन्होंने इस गाने में ऐसे भाव गाए जो उनकी ही जिंदगी पर लागू हो गए:
‘‘आने वाली सुबह जाने, रंग क्या लाए दीवानी,
मेरी चाहत को रख लेना, जैसे कोई निशानी
हम रहें या ना रहें, याद आएंगे ये पल’’...
केके जीवनकाल में ही किंवदंती बन गए थे। उनकी पुरसुकून आवाज समस्याग्रस्त युवाओं के लिए सुकूनदायक थेरेपी थी। उनके असामयिक निधन से संगीत उद्योग में शून्य-सा पैदा हुआ है और यह अपूरणीय क्षति है। केके की सुरीली गायकी, सरहदों-सीमाओं की मर्यादाएं लांघकर पड़ोसी मुल्कों में भी लोकप्रिय थी। वे पाकिस्तान, बांग्लादेश सहित कई देशों के लोगों के पसंदीदा गायक थे।
निराले फन से चाहनेवालों के दिलों पर हुकूमत करने वाले केके जैसे शख्स का इस फानी दुनिया को यूं विदा कहना, हृदय विदीर्ण करता है। आकाश में सितारों के बीच अपनी चमक बिखेरने वाले करोड़ों प्रशंसकों के चहेते केके का यह शेर पेश है:
‘बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई,
इक शख्स सारे जमाने को वीरान कर गया।’