शायद यह महज इत्तेफाक हो कि 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद संपन्न हुए चार लोकसभा चुनावों में यहां की 11 लोकसभा सीटों पर हमेशा भाजपा का ही पलड़ा भारी रहा है। 2004, 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस हारती रही, या उसे एकाध सीटें ही मिलीं। लगातार 15 वर्षों तक भाजपा इस राज्य से 10 सांसदों को भेजने में कामयाब रही। इन चार चुनावों में कांग्रेस के कई दिग्गजों को मुंह की खानी पड़ी। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी, श्यामाचरण शुक्ल, पिछली सरकार में विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत और बस्तर टाइगर कहे जाने वाले दिवंगत महेंद्र कर्मा शामिल रहे।
पहले लोकसभा चुनाव यानी 2004 में सिर्फ अजित जोगी ही कांग्रेस से जीत पाए थे। तब भाजपा में शामिल हुए विद्याचरण शुक्ल की महासमुंद सीट पर जोगी के हाथों हार हुई थी। उसके बाद विद्याचरण दोबारा कांग्रेस में चले गए। कर्मा और विद्याचरण 25 मई 2013 को दरभा घाटी में हुए नक्सली हमले में मारे गए।
भाजपा की हैट्रिक पर 15 वर्षों बाद जाकर रोक लगी जब 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस दो सीटें पाने में सफल रही। 2004 से 2019 के बीच भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के मत प्रतिशत में बढ़ोतरी जरूर हुई पर कांग्रेस पार्टी को इसका लाभ नहीं मिल सका। भाजपा के वोट लगभग 6 फीसदी बढ़े और कांग्रेस के 4 फीसदी। तो इससे क्या यह समझा जाए कि इस बार भी भाजपा का पलड़ा कांग्रेस पर भारी रहेगा या फिर तिलिस्म टूटने जा रहा है?
तीन महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों ने सबको चौंका दिया था। कांग्रेस का वोट शेयर लुढ़क गया और उसने आदिवासी बहुल सीटें हाथ से खो दीं। चुनाव में राज्य की कुल 90 विधानसभा सीटों में भाजपा को 54 और कांग्रेस को 35 सीटें मिलीं। भाजपा का वोट शेयर 33 फीसदी से बढ़कर 46.27 फीसदी हो गया।
विधानसभा चुनावों की तर्ज पर लोकसभा चुनाव में भी भाजपा अपने उम्मीदवारों की घोषणा करने के मामले में कांग्रेस से आगे है। वह सभी 11 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर चुकी है। इनमें तीन महिलाएं हैं- महासमुंद से रूप कुमारी चौधरी, कोरबा से सरोज पांडे और जांजगीर चांपा से कमलेश जांगड़े। कांग्रेस छह सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर पाई है, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, दो पूर्व राज्य मंत्रियों और एक मौजूदा सांसद को मौका दिया गया है।
विधानसभा चुनावों की तर्ज पर भाजपा इस बार भी भ्रष्टाचार के मुद्दों को कांग्रेस के खिलाफ इस्तेमाल करने की शुरुआत कर चुकी है। महादेव सट्टा ऐप का जिन्न फिर से बाहर आ गया है। आर्थिक अपराध शाखा की एफआइआर में पूर्व मुख्यमंत्री बघेल का नाम आने के बाद भाजपा उन्हें घेरने में लगी है। कांग्रेस को महंगाई समेत अन्य मुद्दों का सहारा है। पार्टी किसानों की दयनीय स्थिति और बेरोजगारी के मुद्दे पर भी भाजपा पर निशाना साध रही है। भाजपा के पिछले महीनों का राज भी कांग्रेस के लिए एक मुद्दा है, हालांकि लोकसभा चुनाव में पिछले दो बार की तरह इस बार भी भाजपा को प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे का ही बड़ा सहारा है।
2019 के लोकसभा चुनाव में पड़े 71.49 प्रतिशत वोट
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर लुढ़का
2019 के चुनाव में रायगढ़ लोकसभा सीट पर सबसे अधिक 77.78 प्रतिशत और सबसे कम बिलासपुर लोकसभा सीट पर 64.36 वोट प्रतिशत था