भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टाइगर की संख्या में बढ़ोतरी का जश्न मना रहे हैं, लेकिन मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में टाइगर की गणना को लेकर राजनीतिक लड़ाई छिड़ गई है। जहां मध्य प्रदेश सरकार टाइगर की संख्या में रिकॉर्ड बढ़ोतरी पर अपनी पीठ थपथपा रही है, वहीं छत्तीसगढ़ में घटती संख्या की एक वजह टाइगर का मध्य प्रदेश में पलायन करना बताया जा रहा है। मध्य प्रदेश में टाइगर की संख्या 308 से बढ़कर 526 हो गई है, जबकि छत्तीसगढ़ में टाइगर 46 से घटकर 19 रह गए हैं।
दोनों राज्यों में नवंबर 2019 से पहले भारतीय जनता पार्टी की सरकार हुआ करती थी। लेकिन अब दोनों ही राज्यों में कांग्रेस की सरकारें हैं। ऐसे में भाजपा मध्य प्रदेश में बढ़ोतरी के लिए जहां अपनी सरकार के कामों को गिना रही है, तो छत्तीसगढ़ में घटती संख्या का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ रही है। वहीं, कांग्रेस छत्तीसगढ़ में गिरती संख्या का दोष पुरानी भाजपा सरकार पर मढ़ रही है।
मध्य प्रदेश को “टाइगर स्टेट” का दर्जा मिलने पर वन मंत्री उमंग सिंघार ने आउटलुक से कहा कि अब सरकार का लक्ष्य आदिवासी आबादी को बिना प्रभावित किए नया अभयारण्य बनाने का है। टाइगर के विचरण का क्षेत्र बढ़ाने के साथ उनकी सुरक्षा के लिए स्पेशल फोर्स भी गठित की जाएगी। बांधवगढ़ में बढ़ती संख्या के कारण टाइगर के लिए जमीन कम पड़ रही है। मध्य प्रदेश में छह टाइगर रिजर्व कान्हा-किसली, पेंच, पन्ना, बांधवगढ़, सतपुड़ा और संजय घुबरी हैं। रातापानी को टाइगर रिजर्व बनाने की प्रक्रिया चल रही है। कांग्रेस को श्रेय लेता देख प्रदेश भाजपा के महामंत्री अजय प्रताप सिंह और भाजपा सरकार में वन मंत्री रहे डॉ. गौरीशंकर शेजवार ने कहा कि उनकी पार्टी की सरकार के समय किए गए उपायों के कारण ही प्रदेश को फिर “टाइगर स्टेट” का दर्जा मिला है। हालांकि प्रदेश के लिए चिंता की बात यह है कि टाइगर स्टेट का दर्जा मिलने के दो दिन के भीतर ही बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में टाइगर टी-62 (आठ साल) के अलावा दो साल और 10 माह के दो शावकों के शव मिले। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के प्रभारी उप निदेशक ए.के. शुक्ला के अनुसार शवों पर चोट के निशान बताते हैं कि लड़ाई में उनकी जान गई। प्रदेश में 2014 से 2018 तक 121 बाघों की मौत हुई है।
मध्य प्रदेश में जहां दोनों दलों में श्रेय लेने की होड़ मची है, वहीं छत्तीसगढ़ में भाजपा और कांग्रेस दोनों एक-दूसरे को दोष दे रहे हैं। छत्तीसगढ़ कांग्रेस के महामंत्री और संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी का कहना है कि राज्य में 15 साल तक लगातार सत्ता में रही भाजपा सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया। बचाव की मुद्रा में आए भाजपा प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव कहते हैं कि टाइगर संरक्षण पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। देश में टाइगर की संख्या बढ़ने का श्रेय केंद्र सरकार को जाता है। छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार अपनी योजना बताए।
वन्यप्राणी के जानकार प्राण चड्डा मानते हैं कि वन विभाग की लापरवाही के चलते छत्तीसगढ़ में टाइगर की संख्या घटी है। अभयारण्यों में पानी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। गर्मी में टाइगर पानी के लिए जंगलों से बाहर निकलते हैं और उनका शिकार कर लिया जाता है। छत्तीसगढ़ में तीन टाइगर रिजर्व इंद्रावती, सीतानदी-उदंती और अचानकमार हैं। राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक अतुल शुक्ला का कहना है कि इंद्रावती और सीतानदी-उदंती टाइगर रिजर्व नक्सल प्रभावित क्षेत्र में होने से पूरे इलाके में कैमरे नहीं लगाए जा सके हैं। यहां टाइगर की पूरी गणना नहीं हो पाई। भोरमदेव और बारनयापारा अभयारण्य भले टाइगर रिजर्व घोषित नहीं हैं, लेकिन वहां भी टाइगर हैं। भोरमदेव के जंगलों से टाइगर बांधवगढ़ की तरफ पलायन कर रहे हैं, लेकिन उन्हें रोका नहीं जा सकता है। बारनयापारा से टाइगर के कान्हा की तरफ जाने की भी सूचना है। छत्तीसगढ़ का 44 फीसदी इलाका वन क्षेत्र होने के बाद भी घटती संख्या चिंताजनक है। अतुल शुक्ला कहते हैं कि संख्या बढ़ाने के लिए मध्य प्रदेश के विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी।