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छत्तीसगढ़ः ईडी मुकदमे के नतीजे सिफर

193 मामलों में केवल दो दोषी, मुकदमों की भरमार के बावजूद किसी नतीजे पर नहीं पहुंच रही जांच ईडी
केरल के सांसद ए एम रहीम

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पिछले एक दशक में सांसदों, विधायकों और नेताओं के खिलाफ 193 मामले दर्ज किए हैं, लेकिन इस अवधि के दौरान केवल दो मामलों में सजा हुई है। यह जानकारी 18 मार्च को राज्यसभा में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने दी।

केरल के सांसद ए.ए. रहीम के एक अतारांकित प्रश्न के जवाब में उपलब्ध कराए गए आंकड़े 2019 के बाद से राजनैतिक व्‍यक्तियों के खिलाफ दर्ज मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि दिखाते हैं। 2015-16 में सिर्फ 10 मुकदमों से 2019-20 में संख्या उल्लेखनीय रूप से बढ़कर 26 और 2022-23 में 32 पर पहुंच गई, जबकि 2023-24 में थोड़ी कम होकर 27 रह गई।

मुकदमों के पर्याप्त भार के बावजूद दोषसिद्धि की दर उल्लेखनीय रूप से कम बनी हुई है। दस साल की अवधि में केवल दो मामलों में सजा हुई है- एक 2016-17 में और दूसरी 2019-20 में। मंत्री ने बताया कि इस अवधि के दौरान किसी भी मामले में मेरिट के आधार पर किसी को बरी नहीं किया गया है।

यह पूछे जाने पर कि क्या हाल के वर्षों में विपक्षी के नेताओं के खिलाफ ईडी के दर्ज किए मामलों में वृद्धि हुई है, मंत्रालय ने कहा कि ‘ऐसी कोई जानकारी नहीं रखी जाती है।’ मंत्री के अनुसार, ईडी आरोपियों की राजनैतिक संबद्धता के आंकड़े नहीं रखता है।

मंत्री ने कहा, "ईडी विश्वसनीय साक्ष्य/सामग्री के आधार पर मामलों की जांच करता है और राजनैतिक संबद्धता, धर्म या अन्य के आधार पर मामलों में भेद नहीं करता है।’’ उन्होंने जोर देकर कहा कि ईडी की कार्रवाई विभिन्न मंचों के माध्यम से न्यायिक समीक्षा के अधीन है, जिसमें निर्णय प्राधिकरण, अपीली न्यायाधिकरण, विशेष न्यायालय, हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट शामिल हैं।

मंत्रालय ने ईडी के दर्ज किए मामलों का राज्यवार या दलवार विवरण नहीं दिया और कहा कि इस तरह की विस्तृत जानकारी उनके रिकॉर्ड में नहीं रखी जाती है। जवाब में ईडी की जांच में पारदर्शिता और दक्षता में सुधार के लिए किए गए किसी भी विशिष्ट सुधारों के बारे में विस्तार से नहीं बताया गया, जबकि यह संसदीय प्रश्न में स्पष्ट रूप से पूछा गया था।

मंत्री द्वारा दिया गया डेटा 1 अप्रैल, 2015 से 28 फरवरी, 2025 तक की अवधि का है, जिसमें अकेले चालू वित्त वर्ष में 13 मामले दर्ज किए गए हैं।

सवाल पूछने वाले सदस्य ए.ए. रहीम ने कहा, ‘‘सरकार का यह जवाब स्पष्ट रूप से दिखाता है कि ईडी जैसी एजेंसियों का राजनैतिक उद्देश्य के लिए कैसे इस्तेमाल किया जा रहा है। हम देख सकते हैं कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान मामलों में वृद्धि हुई है।’’ उन्होंने कहा कि राजनैतिक लाभ के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग लोकतंत्र को कमजोर करेगा।

 

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