पंजाब में पैंतरे आजादी के 77 बरस में अनेक उतार-चढ़ाव से गुजरी पंजाब की पंथक सियासी शतरंज की बिसात पर कई मोहरे चले और कई पिट गए। 15 अगस्त 1947 को पहले मुख्यमंत्री गोपी चंद भार्गव से लेकर भीम सेन सच्चर, प्रताप सिंह कैरो, प्रकाश सिंह बादल, ज्ञानी जैल सिंह, बेअंत सिंह, कैप्टन अमरिंदर सिंह, चरणजीत चन्नी और अब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के बीच कुल 13 मुख्यमंत्रियों में पहली महिला मुख्यमंत्री राजेंद्र कौर भट्टल का कार्यकाल सबसे कम रहा।
चरणजीत सिंह चन्नी
1970 में पंजाब में 43 साल की उम्र में प्रकाश सिंह बादल देश के सबसे युवा मुख्यमंत्री थे। फिर वे 2017 में 90 की उम्र में बतौर मुख्यमंत्री पांचवां कार्यकाल पूरा करने वाले देश में सबसे उम्रदराज मुख्यमंत्री रहे। पंजाब में ’80 और ’90 के दशक में उग्रवाद के दौर में कांग्रेस के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के बाद 31 अगस्त 1995 से 21 नवंबर 1996 तक हरचरण सिंह बराड़ को कुर्सी मिली, लेकिन उनकी मौत के बाद अनिश्चितता का माहौल तारी हो गया। ऐसे में भट्टल मुख्यमंत्री बनाई गईं लेकिन वे 82 दिन ही सत्ता में रह पाईं। चुनावों में अगली कमान शिरोमणि अकाली दल सरकार के मुखिया के तौर पर पूरे पांच साल बादल के हाथ रही। सूबे में कांग्रेस ही पहली महिला मुख्यमंत्री ले आई और पार्टी ने पहला दलित मुख्यमंत्री भी चरणजीत सिंह चन्नी को बनाया, लेकिन विधानसभा चुनाव से कुछेक महीने पहले सितंबर 2021 में कैप्टन अमरिंदर सिंह की जगह लाए गए चन्नी कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाए।
127 दिन के चन्नी शासन से पंजाब की सियासत में हाशिये पर आई कांग्रेस और किसान आंदोलन के कारण भाजपा और अकाली दल से भारी नाराजगी की वजह से पहली बार आम आदमी पार्टी (आप) पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में कामयाब रही। लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में कुल 117 के सदन में 92 सीटों के साथ प्रचंड बहुमत में आई आप 2024 के लोकसभा चुनाव में कुल 13 में सिर्फ तीन सीटें ही जीत पाई। कांग्रेस सात सीटें पर जीत गई। इन नतीजों को मान सरकार से महिला मतदाताओं की नाराजगी से जोड़कर भी देखा गया। सो, अब कांग्रेस महिलाओं की भावनाएं जगाने के लिए महिला मुख्यमंत्री का राग छेड़ रही है।
राजेंद्र कौर भट्टल
भगवंत मान को दिल्ली का ‘डमी’ मुख्यमंत्री बताने वाले विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा, “दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की ही तरह पंजाब के मुख्यमंत्री भी फेल रहे हैं। अगर कोई महिला यहां मुख्यमंत्री बनती है तो पंजाब के लोगों के हितों की रक्षा हो सकेगी।” दरअसल दिल्ली में मुख्यमंत्री की कुर्सी आतिशी को सौंपे जाने के बाद पंजाब में भी ऐसी अटकलों को हवा मिली है कि आम आदमी पार्टी महिला को मुख्यमंत्री बनाएगी। बेशक, बाजवा ने महिला मुख्यमंत्री का सुर्रा छोड़कर आप में नया पेंच फंसाने की कोशिश की है। अगर ऐसा हुआ तो श्रेय लेने की होड़ में कांग्रेस आगे रहेगी और नहीं हुआ तो आप पर महिला विरोधी लेबल लग सकता है। कांग्रेस की रणनीति अभी से चुनावी पिच पर महिला मुख्यमंत्री चेहरा आगे करने की है। बेशक, यह अभी शुरुआती शोशे हो सकते हैं, लेकिन इस चक्कर में ढाई साल में आप के लिए मुख्यमंत्री बदलना भगवंत मान को नाकाम साबित करने जैसे होगा। सो, आप पेशोपश में है।