Advertisement

ट्वेंटी-20 विश्व कप: ज्यादा खेल का नुकसान

कोरोना बबल में रहने का तनाव, लगातार खेलने और 100 करोड़ से ज्यादा लोगों की उम्मीदों का दबाव पड़ा भारी
नामीबिया के साथ मैच के बाद पेवेलियन लौटते कोहली

जैसी की उम्मीद थी, न्यूजीलैंड ने अफगानिस्तान को अपने आखिरी ग्रुप मैच में जरा भी मौका नहीं दिया, और भारत ट्वेंटी-20 विश्व कप टूर्नामेंट से बाहर हो गया। हालांकि उसके बाद भारत को नामीबिया के खिलाफ मैच खेलना था, जिसमें भारत ने नौ विकेट से बड़ी जीत भी दर्ज की, लेकिन उसका कोई मतलब नहीं रह गया था। आइसीसी के टूर्नामेंट में लगातार तीसरी बार हुआ है जब किसी न किसी वजह से न्यूजीलैंड, भारत के बाहर जाने का कारण बना। ऐसा क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में हुआ। यह बात लंबे समय तक भारत को परेशान करती रहेगी। हालांकि यह तर्क दिया जा सकता है कि ग्रुप मैच में पाकिस्तान ने भारत को शिकस्त दी। वही पाकिस्तान जो इससे पहले विश्व कप में हर बार भारत के हाथों पराजित होता रहा। लेकिन इस बार उसने टूर्नामेंट की शुरुआत इस तरह की जिससे एक अरब से ज्यादा लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया, जो यह मानकर बैठे थे कि विश्व कप में भारत कभी पाकिस्तान से पराजित नहीं हो सकता। कुछ लोगों को ऐसा भी लगता है कि सेमीफाइनल में जगह न बना पाने के कारण कोच रवि शास्त्री और कप्तान विराट कोहली की चमक भी कुछ फीकी पड़ गई।

एक अरब से ज्यादा लोगों की जुबान पर एक ही सवाल है कि इस बार गलती कहां हुई। इस सवाल का जवाब ढूंढ़ना भी ज्यादा मुश्किल नहीं है। दरअसल, मीडिया और मार्केटिंग कंपनियों ने प्रचार बहुत अधिक कर रखा था। वे महामारी के बाद अपनी बिक्री बढ़ाने के प्रयास में थे। दूसरी तरफ भारतीय टीम अलग-अलग फॉर्मेट और परिस्थितियों में बहुत ज्यादा क्रिकेट खेल रही थी। पिछले साल दुबई में आइपीएल की शुरूआत हुई तो उसके बाद टीम बिना किसी ब्रेक के लगातार खेलती रही। खिलाड़ियों को आराम करने का मौका तक नहीं मिल रहा था।

पाकिस्तानी खिलाड़ी मो. रियाज के साथ कोहली (बाएं)

पाकिस्तानी खिलाड़ी मो. रियाज के साथ कोहली (बाएं)

कोविड-19 महामारी के कारण बबल में रहने का तनाव, बिना आराम के लगातार खेलने और हर दिन एक अरब लोगों की उम्मीदों का दबाव- बीते 14 महीने से लगातार यही चल रहा था। इस बार यह दबाव टीम को बिखराने वाला साबित हुआ। यह सब ऐसे समय हुआ जब टीम से बहुत ज्यादा उम्मीदें थीं।

यह सब खिलाड़ियों की बॉडी लैंग्वेज में, उनके आत्मविश्वास में और उनके द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले शब्दों में दिख रहा था। शुरुआती ओवरों में पावर प्ले के दौरान खुलकर और बिना किसी डर के बल्लेबाजी करना तथा शुरू से ही विरोधी टीम के विकेट गिराना- यह स्कॉटलैंड जैसी कमजोर टीम के सामने दिखा, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। शायद तब तक टीम के ऊपर से दबाव भी खत्म हो चुका था।

मीडिया हमारे सामने अतीत के आंकड़े और शोहरत की कहानियां पेश करता रहा। हमने इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया कि हर मैच एक नया गेम होता है। खासकर सबसे छोटे फॉर्मेट ट्वेंटी-20 में जहां खिलाड़ियों को सुधरने के लिए बहुत कम वक्त मिल पाता है। इस फॉर्मेट में इस बात का कोई मतलब नहीं कि अतीत में क्या हुआ।

क्रिकेट के इस सबसे छोटे फॉर्मेट में खिलाड़ियों की व्यक्तिगत काबिलियत का ज्यादा मतलब नहीं होता। इसमें पूरी टीम का प्रदर्शन मायने रखता है जिसमें हर खिलाड़ी अपना योगदान देता है जिससे बड़ी तस्वीर बनती है। इस टूर्नामेंट की सबसे सफल टीमों ने इस काम को बड़े अच्छे तरीके से किया है, खासकर पाकिस्तान की युवा टीम ने, और इसी मामले में हम पीछे रह गए।

क्रिकेट हमेशा टीम का खेल रहा है और आगे भी रहेगा। इसमें वही टीम बढ़िया प्रदर्शन करती है जिसके खिलाड़ी एक दूसरे के लिए पूरक का काम करते हैं। यहां तक कि श्रीलंका के युवा खिलाड़ियों में भी यह बात नजर आई। यह श्रीलंका क्रिकेट के भविष्य के लिए अच्छा संकेत है। इस बात को समझने के लिए हमें सिर्फ ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में अपनी हाल की जीत पर नजर डालने की जरूरत है। फिर हम समझ जाएंगे कि भारतीय टीम में यह बात क्यों नहीं दिखी।

कोच रवि शास्त्री के साथ, बतौर टी-20 कप्तान यह आखिरी मैच था

कोच रवि शास्त्री के साथ, बतौर टी-20 कप्तान यह आखिरी मैच था

कई बार किसी टीम में अनेक स्टार खिलाड़ी हों और उनका बेहतरीन इतिहास रहा हो तो वह टीम के लिए नकारात्मक बन जाता है। पिछले चैंपियन और दो बार विश्व कप विजेता वेस्टइंडीज इसका जीता-जागता सबूत है। एक समय ऐसा आता है जब अच्छा से अच्छा खिलाड़ी भी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं कर पाता, उसके लिए पुराने प्रदर्शन को दोहराना या निरंतरता बनाए रखना मुश्किल हो जाता है।

अतीत के आंकड़ों से यह नहीं पता चलता कि किसी खास दिन आप कैसा महसूस कर रहे हैं, और आखिरकार उसी बात से तय होता है कि उस दिन आप कैसा प्रदर्शन करेंगे। शायद इस पहलू पर गौर करना भविष्य के लिए अच्छा साबित हो।

भारत के लिए अब आगे बढ़ने का समय है। नया कोच, नया कप्तान, कुछ नए चेहरे और संभवतः टीम के भीतर एक नई तरह की संस्कृति। राहुल द्रविड़ का शांत चित्त और फोकस आने वाले दिनों में भारतीय टीम को बहुत कुछ दे सकता है। भारत के नाम अनेक सफलताएं हैं, राहुल उसे और आगे लेकर जा सकते हैं। यहां टैलेंट की कमी नहीं है। भारत को आने वाले दिनों में घरेलू मैदानों पर न्यूजीलैंड के खिलाफ नई सीरीज खेलनी है। टीम को इस निराशा से उबर कर नए मोर्चे के लिए तैयार हो जाना चाहिए।

हाल में मिली पराजय की निराशा से निकलकर भारत अपने खोए हुए आत्मविश्वास को फिर हासिल करना चाहेगा। इसी आत्मविश्वास के बल पर पिछले दिनों भारतीय टीम ने बड़ी जीत दर्ज की है। यह भविष्य की ओर देखने और अगले साल ऑस्ट्रेलिया में होने वाले ट्वेंटी-20 विश्व कप के लिए सुधार करने का समय है।

(लेखक पूर्व रणजी ट्रॉफी क्रिकेटर हैं)

Advertisement
Advertisement
Advertisement