14 साल से सियासी वनवास काट रहे पूर्व उप-प्रधानमंत्री देवीलाल के चौटाला परिवार की चौथी पीढ़ी के दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जजपा) दस महीने पहले ही अस्तित्व में आई थी, लेकिन विधानसभा चुनावों में 10 सीटें जीतकर वह ‘किंगमेकर’ की भूमिका में आ गई। सरकार बनाने में भाजपा को समर्थन देने पर वह कांग्रेस के साथ ही अपनी पार्टी के समर्थकों के भी निशाने पर हैं। उसे भाजपा की ‘बी टीम’ कहा जा रहा है। दुष्यंत चौटाला के उप-मुख्यमंत्री बनने के बाद उनसे हरीश मानव ने प्रमुख मुद्दों पर बात की। खास अंश:
उप-मुख्यमंत्री बनने के लिए आप भाजपा को समर्थन देकर ‘किंगमेकर’ भी बन गए!
भाजपा या कांग्रेस को समर्थन देने के लिए हमने जनता से वोट नहीं मांगे थे। नतीजों के बाद बदली परिस्थितियों में प्रदेश में स्थायी सरकार बनाने के लिए हमने भाजपा का समर्थन किया।
जजपा की विचारधारा का भाजपा से मेल नहीं है। सरकार कितने दिन चलेगी?
मेरे दादा-परदादा जी भी भाजपा से गठबंधन में सरकारें चला चुके हैं। विचारधारा भले अलग हो, जनता के हितों को सर्वोपरि रखकर हम गठबंधन धर्म पूरी निष्ठा से निभाएंगे।
‘जनसेवा पत्र’ में जजपा ने बहुत से लोकलुभावन वादे किए हैं, जो भाजपा के ‘संकल्प पत्र’ में नहीं हैं। आप वादे कैसे पूरे करेंगे?
राज्य के विकास और जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए भाजपा और जजपा एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम तैयार करेंगी। दोनों दलों में इस पर सहमति बनी है। साझा कार्यक्रम तय करने के लिए गठित होने वाली समिति में दोनों दलों के नेता होंगे।
इसमें कितनी सच्चाई है कि भाजपा को समर्थन देने की वजह से आपके पिता अजय चौटाला को तिहाड़ जेल से 15 दिन की फरलो मिल गई, और वह आपके शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए?
इसे भाजपा को समर्थन से जोड़ना गलत है। फरलो के लिए मेरे पिता ने एक महीना पहले ही जेल प्रशासन को आवेदन किया था। फरलो उनका कानूनी अधिकार है।
जाट-गैर-जाट समीकरण पर टिकी हरियाणा की सियासत में आपकी पार्टी ने भी जाट कार्ड को अहमियत दी। 34 जाट उम्मीदवार आपकी पार्टी के थे।
मेरे परदादा चौधरी देवीलाल ने सभी 36 बिरादरियों को साथ लेकर चलने की सीख दी है। उनकी यह सीख हमेशा याद रहेगी। हमने सभी बिरादरियों को प्रतिनिधित्व दिया है। जीतने वाले हमारे 10 विधायकों में चार एससी और एक ब्राह्मण भी है।
एक सीट पर सिमटी इनेलो का जनाधार खिसक कर जजपा के पास आ गया है। क्या परिवार की कलह में इनेलो खत्म हुई, तो जजपा उभरी?
हमें इनेलो से निकाला गया, तभी जजपा का जन्म हुआ। हमारी जजपा को तो बच्चों की पार्टी कहकर मजाक उड़ाया गया, पर बच्चे बड़े-बड़ों को पछाड़ने में कामयाब रहे।
पारिवारिक कलह की वजह से उस सियासी दल के दो फाड़ हो गए जो प्रदेश में मुख्य विपक्ष की भूमिका में था। क्या परिवार में सुलह के प्रयास सिरे नहीं चढ़े?
विचारधारा अलग होने से भले दो सियासी दल बन गए हों, पर हमारा परिवार आज भी एकजुट है।