रायगढ़ शहर में पति के अंतिम संस्कार के कुछ घंटों बाद अचानक लापता हुई महिला की कहानी में रहस्य बढ़ता जा रहा है। पुलिस और प्रशासन बारीकी से जांच-पड़ताल के बाद किसी निष्कर्ष पर पहुंचने की बात कह रहा है। लेकिन लोग दबी जुबान से इस घटना को प्राचीन हिंदू सती-प्रथा से जोड़कर देखने लगे हैं, जिसमें पति के अंतिम संस्कार के दौरान पत्नी भी चिता के साथ जलकर भस्म (सती) हो जाया करती थी।
करीब दो हफ्ते से पहले का वाकया यूं है कि साल भर से चिटकाकानी गांव के 60 वर्षीय जयदेव गुप्ता कैंसर से लड़ रहे थे। उनका इलाज मेडिकल कालेज रायगढ़ में चल रहा था। रविवार 11 जुलाई को सुबह 11 बजे के आसपास उनकी मौत हो जाती है। उनका शव रायगढ़ शहर जिला मुख्यालय से करीब बीस किलोमीटर दूर चिटकाकानी गांव ले जाया जाता है। गांव में मौत का समाचार पहुंचते ही गांव वाले हमेशा की तरह हर घर से एक-एक लकड़ी चिता के लिए जुटाने लग जाते हैं।
कुछ समय बाद गांव के श्मशान में शव का अंतिम संस्कार परिजनों और रिश्तेदारों के सामने कर दिया जाता है। अंतिम संस्कार के कुछ समय बाद और शाम तक परिजन और रिश्तेदार अपने-अपने घरों की तरफ लौटने लगते हैं।
धीरे-धीरे गांव अंधेरे में डूबने लगता है और घरों के दरवाजे बंद होने लगते हैं। लगभग रात 11 बजे के आसपास जयदेव के बेटे सुशील की नींद खुलती है। सुशील की नजर घर के खुले मुख्य दरवाजे की तरफ जाती है। उसे 57 साल की अपनी मां गुलापी गुप्ता घर में नहीं दिखती। उन्हें घर पर न पाकर वह विचलित हो जाता है। इस बीच घर और गांव वाले इकठ्ठा होने लगते हैं और गुलापी की खोजबीन शुरू हो जाती है।
सुशिल, परिजन और दूसरे लोग रात के अंधेरे में गांव के हर उस जगह पहुंचने लगते हैं, जहां गुलापी के मिलने की थोड़ी भी संभावना हो सकती है। लेकिन गुलापी कहीं नजर नहीं आती हैं। इसी खोजबीन के दौर में गांव के कुछ लोग शमशान भी जा पहुंचते हैं।
चिता के आस-पास बिखरे हुए कुछ सामान को देखकर वे सभी चौंक जाते हैं। अंतिम संस्कार स्थल के पास पड़ी एक साड़ी, चप्पल, चश्मा सभी को चौंका देती है। कुछ लोग काफी लंबा समय बीत जाने के बाद भी चिता में आग को देख चकित हो उठते हैं। अमूमन कहा जाता है कि आम तौर पर तीन-चार घंटे में लकड़ियां जल जाती हैं, ऐसे में चिता की आग आठ-नौ घंटे बाद तक कैसे जलती रही?
इस मामले पर गांव की सरपंच हरिमति राठिया का कहना है कि उन्हें इस घटना के बारे में सुबह पता चला कि गुलापी गुप्ता देर रात अचानक घर से गायब हो गईं। वे अंतिम संस्कार स्थल के पास एक साड़ी, चप्पल व चश्मा मिलने की जानकारी की बात को भी स्वीकार करती हैं।
सरपंच राठिया के भतीजे हेमंत कुमार कहते हैं, देर रात जब वे कुछ लोगो के साथ शमशान घाट पहुंचे तो उन्हें चिता में आग सुलगती दिखी, जो काफी हैरान करने वाली बात है।
अगली सुबह इस घटना की जानकारी पूरे गांव और आसपास सभी जगह जंगल की आग की तरह फैल गई। इस हैरान कर देने वाली घटना पर रायगढ़ जिले के एसपी डी. पटेल का कहना है कि परिवारवालों के बयान के आधार पर सभी पहलू को लेकर पुलिस जांच कर रही है। गुमशुदगी का मामला भी दर्ज किया गया है और जांच में फॉरेंसिक टीम, मेडिकल टीम की भी मदद ली जा रही है।
फॉरेंसिक टीम बची हुई हड्डियों के साथ बिलासपुर लौट चुकी है। फॉरेंसिक टीम की रिपोर्ट के बाद डीएनए जांच की प्रक्रिया शुरू होने बात बताई जा रही है। कानूनी रूप से हमारे देश में सती प्रथा प्रतिबंधित है। भले ही महिला ने अपनी इच्छा से आत्मदाह किया हो, इस कानून के तहत, पति की मृत्यु के बाद महिला को जलाने, मदद करने या उकसाने वाले को गैर-इरादतन हत्या का अपराधी माना जाता है। इस हैरान कर देने वाली घटना पर लोगों का कहना है कि उनकी जानकारी में इस तरह का यह पहला मामला सामने आया है।