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6 मार्च 2023 · MAR 06 , 2023

वैकल्पिक उपचार: दुनिया की पहली पोएट्री फॉर्मेसी

इंग्लैंड के छोटे से सुंदर कस्बे में है कविताई दवाखाना, जहां हर मर्ज की तो नहीं मगर हां, टूटे दिलों, अवसाद, तनाव और जिंदगी की भागदौड़ का इलाज जरूर मिल जाता है
जीवन की कविताः प्रसिद्ध कविताओं से मानसिक रोगों का अपनी पोएट्री फार्मेसी में इलाज करती हैं, डेबोरा अल्मा

अगर आप किसी भी किस्म के डिप्रेशन में हैं, आपका दिल टूट गया है, अलग-अलग तरह की घबराहट होती है, किसी से इश्क हो गया है और दिल पर काबू नहीं रहता या फिर आप बहुत खुश हैं लेकिन खुशी सहेज नहीं पाते या इसे बेहतर तरीके से जाहिर करने के तरीके नहीं मालूम तो आपके लिए इंग्लैंड के बिशप कैसल में एक दवा की दुकान है। इस दुकान में जाकर आप यकीनन इत्मीनान और बेहतर महसूस करेंगे। इतना ही नहीं यहां आपके लिए इमरजेंसी सेवा भी है। यहां एक कैप्सूल में इलाज उपलब्ध है। जी हां, दवाई की शीशी में हर तरह की मनोवैज्ञानिक परिस्थितियों के लिए अलग-अलग कैप्सूल हैं, जो अलग-अलग साइज के जार में रखे गए हैं। लेकिन इन कैप्सूलों में केमिकल-मेडिसिन के बजाय कुछ कागज की पर्चियां हैं जिन पर लिखी गई हैं दुनिया भर के मशहूर कवियों की वो कविताएं, जो आपकी बीमारी पर फिट बैठती हैं। ‘टूटे हुए दिल’ और ‘आशा’ जैसे लेबल के साथ ये कविताएं रखी गई हैं। यानी जैसी बीमारी, जैसी जरूरत वैसी कविता। इन कविताओं के जरिए आप अपनी बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं।

भारत में अक्सर कहा जाता है, ‘जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि।’ शायद इन शब्दों के जरिए कवि ये कहना चाहता है कि कवि के शब्द दुनिया में कुछ भी कर गुजरने की ताकत रखते हैं। इसी बात को चरितार्थ करते हुए इंग्लैंड के एक छोटे और सुंदर से कस्बे में पोएट्री फॉर्मेसी खोली गई है। मतलब कविताई दवाखाना। एक तरफ जहां दवा की दुकानों में लोग कभी खुशी से जाना पसंद नहीं करते वहीं इस पोएट्री फॉर्मेसी में आप खुशी-खुशी जा सकते हैं। आप बीमार हैं तब तो जरूर जाइए लेकिन अगर आप खुश हैं तब भी जाइए। इंग्लैंड और वेल्स के सीमावर्ती कस्बे बिशप कैसल में ये दुकान है, जहां दूर-दूर से लोग आते हैं। पहले लोग इस कस्बे की खूबसूरती और ऐतिहासिक दुर्ग के अवशेष देखने आते थे अब इस पोएट्री फॉर्मेसी के कारण आने लगे हैं। दो मंजिली इमारत के दोनों फ्लोर पर ये दुकान फैली है, जहां चाय-कॉफी, केक और स्नैक्स के साथ दुनिया भर के मशहूर कवियों की कविताओं से आप रू-ब-रू हो सकते हैं। नीचे के फ्लोर पर एक शानदार लाइब्रेरी और ओपीडी की व्यवस्था है। जब आप पोएट्री फार्मेसी में आएंगे तो आपको कविता की किताबें खुली हुई और अलमारियों में भरी हुई मिलेंगी। इसे ऐसे डिजाइन किया गया है ताकि लोग बीमारी के आधार पर अपने लिए किताबें तलाश सकें। जैसे, ‘दिल के मामले’, ‘जी भर के जियो’, ‘खुद से प्यार करो’ ‘शांति की तलाश’ वगैरह वगैरह। दूसरी मंजिल पर किताबों के बीच एक लंबी टेबल रखी है, जहां वर्कशॉप होते रहते हैं और साथ ही थेरेपी सेशन भी। हर शुक्रवार दोपहर को आमने-सामने आप निःशुल्क परामर्श ले सकते हैं इसके अलावा आप मिलने का समय बुक कर सकते हैं।

किताब सा सुकून और कहां

किताब सा सुकून और कहां

इस पोएट्री फॉर्मेसी की मालकिन डेबोरा अल्मा ने पिछले एक दशक में अधिकांश समय 1970 के दशक की हेरिटेज एम्बुलेंस में यात्रा करते हुए बिताया है। जिसमें उन्होंने कविताओं के जरिए प्राथमिक चिकित्सा का एक नया प्रयोग किया। ब्रिटेन के कील विश्वविद्यालय की लेक्चरर रही डेबोरा को लोग इमरजेंसी पोएट के तौर पर जानते हैं। डेबोरा ने सालों तक इंग्लैंड के अलग-अलग हिस्सों में घूम-घूम कर कविताएं सुनाई हैं, जिसके बारे में वह कहती हैं, “मैं कविताएं बांटती हूं और कविताओं के जरिए लोगों का दुख भी।” कवि डेबोरा अल्मा का मानना है कि हम सभी को कविता की दैनिक खुराक की आवश्यकता है।

कोविड के ठीक पहले डेबोरा ने इमरजेंसी पोएट वाली एम्बुलेंस की जगह बिशप कैसल में पोएट्री फॉर्मेसी की शुरुआत कर दी। पहले जहां वह लोगों को घूम-घूम कर कविताओं के जरिए उनकी मानसिक समस्याओं का इलाज करती थीं अब लोग उन तक खुद पहुंचते हैं। यह कविता को जनता तक पहुंचाने का मजेदार तरीका है। ग्राहकों को खोजने के लिए एम्बुलेंस चलाने के बजाय अब वह फार्मेसी में उनका स्वागत करती हैं। इस पोएट्री फॉर्मेसी में वह थेरेपी सेशन भी देती हैं। डेबोरा की ताजा उपलब्धि ये है कि ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस ने मानसिक समस्याओं के इलाज की थेरेपी के लिए पोएट्री फॉर्मेसी से हाल ही में अनुबंध किया है। डेबोरा से मिलने के लिए कोई भी बुकिंग करा सकता है और थेरेपी सेशन में हिस्सा ले सकता है। सेशन में डेबोरा अल्मा जीवन के बारे में, आपके विचारों और किन चीजों से आपको खुशी मिलती है के बारे में बात करती हैं। वह कुछ नुस्खे बताती हैं और फिर आपको चुनी हुई कुछ प्रसिद्ध लेखकों की कविताएं हाथ से लिख कर दवा के तौर पर देती हैं। डेबोरा खुद कहती हैं कि शुरुआत से ही मेरे लिए यह आश्चर्य की बात थी कि लोगों के लिए इसका कितना अर्थ हो सकता है। लेकिन सकारात्मकता पर ध्यान केंद्रित करने से उनके दिमाग पर इसका गहरा असर होता है। यह एक आशावादी प्रक्रिया है और लोगों को इसका खूब लाभ मिल रहा है।

डेबोरा ने बातचीत में बताया “अधिकांश लोग बहुत अधिक काम करते हैं या फिर काम से नाखुश रहते हैं। फिर वे सिर्फ काम से संबंधित तनाव के बारे में ही ज्यादा बात करते हैं।” हाल ही में डॉक्टर के तौर पर दक्षिण कोरिया से नौकरी करने इंग्लैंड आईं, सू मिन्जी बताती हैं कि वह यहां से तकरीबन 30 मील की दूरी पर रहती हैं। फिर भी सप्ताह में एक या दो बार वह यहां चली आती हैं। मिन्जी कहती हैं, “कविता अपने सबसे अच्छे रूप में तब होती है जब वह हमें ऐसा अर्थ दे जिसे हम खोज रहे हैं।” पोएट्री फार्मेसी में डेबोरा अल्मा की सहयोगी कहती हैं कि ‘रोगी’ को दिया गया समय और देखभाल अमूल्य है। उनसे बातचीत करना सबसे अच्छा टॉनिक है। कुछ वास्तविक और सार्थक चर्चा हमारी वर्तमान परिस्थितियों को बेहतर करते हैं। कविताएं “किसी भी दवा की तुलना में, यदि अधिक नहीं तो उतनी ही फायदेमंद जरूर हैं।” 

खुशी का दवाखाना

खुशी का दवाखाना: पोएट्री फार्मेसी

इस सवाल के जवाब में कि क्या कोई ऐसी कविता है, जिसने आपका जीवन बदल दिया? इस पर डेबोरा अल्मा खुलकर हंसती हैं। वह बताती हैं कि जब लोगों का दिल टूट जाता है या फिर कोई गलत व्यक्ति से प्यार कर बैठता है तो मैं उसे सलाह देती हूं कि वो डेरेक वॉल्कट की कविता ‘लव आफ्टर लव’ नियमित पढ़े और उसे समझने की कोशिश करे। मैं उनसे कहती हूं कि आप भी वही करो जो मैंने किया। ये आपके पास एक मंत्र की तरह है जो बताता है, ‘बैठो। अपने जीवन का आनंद लो।’ मुझे लगता है इस कविता ने मेरे जीवन को भी बदल दिया। अगर व्यक्ति को सही समय पर सही कविता मिल जाए, तो जीवन को नई दिशा मिल सकती है। अल्मा कहती हैं कि वह हमारे जरिए भारत भी पहुंच जाएंगी जहां से उनके पुरखे आए थे। अल्मा की मां संयुक्त भारत के वक्त लाहौर से इंग्लैंड पढ़ने आईं और फिर यहीं की होकर रह गईं। बचपन में डेबोरा अल्मा भारत आ चुकी हैं।

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