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रमजान और पकवान

रमजान का महीना है और पुरानी दिल्ली की संकरी गलियों से आती लजीज पकवानों की खुशबू लोगों को अपनी ओर खींच रही है। पकवानों की यह खुशबू रोजेदारों के साथ साथ पर्यटकों को भी दिल्ली की एक ऐतिहासिक यात्रा पर ले जाती है जहां उनका साक्षात्कार मुगलकालीन के व्यंजनों से हो रहा है।
रमजान और पकवान

दिल्ली की गलियां छोड़ना इतना आसान नहीं होता। खासकर इन गलियों की याद सताती है जब रमजान का महीना आता है। इस पुराने शहर में हाल के कुछ वर्षों में देसी विदेशी पर्यटकों के साथ ही स्थानीय लोगों ने भी इन छोटी-छोटी गलियों में छुपे रहस्यों को जानने की कवायद शुरू की है। इसके लिए  वे बाकायदा  एक वॉक का आयोजन करते हैं। इस वॉक को आयोजित करने का उद्देश्य इन गलियों के पकवानों का स्वाद लेना ही होता है। वॉक के दौरान लोग एक स्थान पर इकट्ठे होकर किसी विशेष क्षेत्र या गली के पकवानों का जायका लेते हैं।

 

इन दिनों रमजान के पाक महीने में यहां की गलियों में ऐसे भोजन प्रिय घुमंतुओं के जत्थे नजर आ जाएंगे जो रोजा तोड़ने के दौरान होने वाले इफ्तार और सहर के समय रोजा शुरू करने से पहले वाली सहरी में भाग लेते नजर आ जाएंगे। रमजान के दिनों में मुस्लिम समुदाय के लोग सूरज उगने से सूरज छिपने तक बिना कुछ खाए पिए रोजा रखते हैं।

 

रमजान के दौरान ऐसी ही एक फूड वॉक आयोजित करने वाले दिल्ली  फूडवॉक के संस्थापक अभिनव सप्रा ने बताया, ‘ऐसी फूड वॉक आयोजित करने के पीछे हमारा मुख्य उद्देश्य लोगों के बीच सांस्कृतिक सौहार्द बढ़ाना है। इस तरह के आयोजन से लोगों को दूसरे धर्मों और क्षेत्रों की सांस्कृतिक परंपराओं को समझने का मौका मिलता है।’

 

सप्रा ने कहा कि रमजान फूड वॉक के माध्यम से वह यहां पुरानी दिल्ली में रमजान के दौरान सड़क किनारे की दुकानों पर विशेष तौर पर परोसे जाने वाले पकवानों का जायका ले रहे हैं। पहली बार इस जगह आने वाले लगभग 30 लोगों का एक समूह चावड़ी बाजार से अपना सफर शुरू करता है और ऐतिहासिक जामा मस्जिद पर ठीक इफ्तार के  समय पहुंचता है। इस दौरान वे लोग रमजान के दिनों में विशेष तौर पर मिलने वाले कीमा समोसा, मुर्ग शामी कबाब, और पनीर जलेबी का आनंद लेते हैं। समूह की एक सदस्य पॉलोमी ने बताया, ‘मैंने कई बार पहले भी इस तरह की फूडवॉक में भाग लिया है, लेकिन पुरानी दिल्ली के जायके का मुकाबला कोई नहीं कर सकता। इससे पहले ऐसे सीक कबाब का आनंद मैंने नहीं लिया।’ उन्होंने बताया कि मुंह में स्वाद आने से पहले ही यहां के असलम चिकन कॉर्नर का चिकन टिक्का मुंह में घुल जाता है और ढेर सारे मक्खन से भीगी ग्रेवी भी जायके को कई गुना बढ़ा देती है। इसके बाद यह समूह पहुंचा दिलपसंद बिरयानी के पास जहां पर केवड़े की महक ने बिरयानी के स्वाद को कई गुना बढ़ा दिया था।

 

इसी तरह इन तंग गलियों से गुजरते हुए इस समूह के सदस्यों ने हाजी शरबती निहारी वाले का रूख किया जहां इन्हें एक अनोखा पकवान मिला। निहारी एक ऐसा पकवान होता है जिसमें पड़ा को धीरे धीरे सुबह से शाम तक पकाया जाता है और तंदूर से आती गर्म खमीरी रोटियों के साथ इसका आनंद उठाया जाता है।

 

इसके अलावा समूह के लोगों ने चूड़ीवाला गली में चंगेजी चिकन का आनंद लिया और दूध, रूहअफजा एवं तरबूज से बने नवाब कुरैशी के प्यार मोहब्बत मजा शीतल पेय को भी चखा। इसके बाद अंत में यह समूह जामा मस्जिद के पास खुलूस पहुंचा जिनके पास लगभग 350 किस्मों के खजूर हैं।

 

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