भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित एक समारोह में राठौड़ ने यह जानकारी दी। उन्होंने मीडिया और मनोरंजन उद्योग के प्रतिनिधियों से कहा, ‘मैं नहीं कह सकता कि एक समय सीमा में इस काम को कर लिया जाएगा लेकिन सही बात तो यह है कि हमने इसके बारे में सोचना शुरू कर दिया है, मतलब कि हमने इस दिशा में आगे बढ़ना शुरू कर दिया है।’
अधिकारियों के अनुसार, नियमों के तहत न्यूज और समसामयिक टीवी चैनलों के अपलिंकिंग की मंजूरी देने में 26 फीसदी एफडीआई की अनुमति है। उद्योग जगत के एक प्रतिनिधि द्वारा समाचार चैनलों के पास धन की कमी होने संबंधी मुद्दे का जिक्र करते हुए राठौड़ ने कहा कि यह भी एक कारण है कि पत्रकारों के प्रशिक्षण में बहुत अधिक निवेश नहीं किया जाता। राठौड़ ने कहा, दुर्भाग्यपूर्ण है कि इसके चलते पत्रकारों के प्रशिक्षण के मामले में अधिक निवेश नहीं किया जाता है। पत्रकारों की गुणवत्ता, सवाल और जो समाचार पेश किए जा रहे हैं, और हम एक उभरता राष्ट्र हैं, इसे देखते हुए हमें लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में पत्रकारों की जरूरत है।
मंत्री ने कहा, हमें ऐसे समाचारों की जरूरत है जिनकी बेहद उच्च गुणवत्ता हो। और इसलिए खुद पत्रकारिता की गुणवत्ता में निवेश की जरूरत है। राठौड़ ने निजी एफएम रेडियो पर समाचारों को अनुमति दिए जाने की मांग के संबंध में कहा कि बदलते समय के साथ नीतियां भी बदल रही हैं। उन्होंने कहा, एक समय था जब निजी रेडियो पर कोई समाचार नहीं होते थे लेकिन अब फेज 3 के विस्तार के साथ इसमें बदलाव आया है।
जीएसटी के बारे में राठौड़ ने कहा कि सरकार जीएसटी विधेयक पर सहयोग के लिए विपक्ष को प्रोत्साहित कर रही है। राठौड़ ने इसके साथ ही यह भी बताया कि सरकार भारत में फिल्मों के फिल्मांकन के लिए फिल्म निर्माताओं को मंजूरी प्रदान करने के मकसद से राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम को एकल विंडो बनाने पर भी विचार कर रही है। उन्होंने बताया कि ऑस्कर और कांस जैसे प्रतिष्ठित फिल्मोत्सवों में पुरस्कार की जीत की प्रबल संभावना वाली फिल्मों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने संबंधी प्रस्ताव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिद्धांत रूप में सहमति दे चुके हैं। राठौड़ ने कहा कि मंत्रालय उद्योग जगत के साथ इस प्रस्ताव पर विचार-विमर्श करना चाहता है।