सूचना-प्रसारण मंत्रालय ने इस बारे में अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी की राय मांगी थी और रोहतगी ने सुरक्षा क्लीयरेंस बहाल करने की राय दी। इसके बावजूद गृह मंत्रालय ने सुरक्षा क्लीयरेंस बहाल करने से साफ इनकार कर दिया है। दो बड़े मंत्रालयों के बीच का मामला होने के कारण इसे पीएमओ के सामने लाया मगर अब पीएमओ के सूत्रों का कहना है कि इस मामले में गृह मंत्रालय के फैसले को पलटने का प्रयास नहीं किया जाएगा। दरअसल मारन बंधुओं के खिलाफ चल रही आपराधिक मामलों की जांच को देखते हुए पीएमओ ने ऐसा मन बनाया है।
सूत्रों का कहना है कि रोहतगी की राय के बावजूद सरकार चेन्नई स्थितर इस मीडिया घराने को कोई राहत नहीं देने जा रही है क्योंकि तब इस फैसले की न्यायिक समीक्षा का रास्ता खुल सकता है। पीएमओ की इस सोच के पीछे मुख्य वजह यह बताई जा रही है कि मारन बंधुओं के खिलाफ सीबीआई की जांच चल रही है। यह मामला दयानिधि मारन के टेलीकॉम मंत्री रहते उनके संस्थानों को 300 हाईस्पीड बीएसएनएल टेलीफोन लाइनों के आवंटन से जुड़ा है। पिछले सप्ताह सीबीआई ने इस मामले में दयानिधि मारने से पूछताछ की थी। उन्होंने इस मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत भी ले रखी है। सन टीवी नेटवर्क और कलानिधि मारन के खिलाफ दो अन्य आपराधिक मामले भी चल रहे हैं। इनमें से एक एयरसेल-मैक्सिस समझौत की सीबीआई जांच और दूसरा मनी लॉन्ड्रिंग मामले की ईडी जांच से संबंधित है।
पिछले महीने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा सन नेटवर्क के 33 चैनलों के लिए सुरक्षा क्लीयरेंस का प्रस्ताव गृह मंत्रालय को भेजा गया था जिसे गृह मंत्रालय ने खारिज कर दिया था। इसके बाद सूचना प्रसारण मंत्रालय ने अटार्नी जनरल से राय मांगी थी जिन्होंने सुरक्षा क्लीयरेंस बहाल करने की राय दी थी। हालांकि एजी की राय के बावजूद गृह मंत्रालय अपने फैसले पर विचार के लिए नहीं तैयार हुआ। कलानिधि मारन इस मामले में गृह मंत्री राजनाथ सिंह से दखल देने की मांग कर चुके हैं। उनका कहना है कि उनकी कंपनी कभी देश विरोधी या आपराधिक गतिविधियों में नहीं शामिल रही है।