8 अगस्त
अगर आपको कीचड़ में खुद को लपेटने से कोई गुरेज नहीं है और रास्ते में पड़ने वाली कुछ मुश्किलों से निबट सकते हैं, तो यह उत्सव आपके लिए है, हालांकि थोड़ा कम प्रचलित उत्सव है। दुधानी झील का ये शांत किनारा, सिलवासा से करीब 40 किलोमीटर दूर है, जो कि केंद्र शासित राज्य दादरा और नागर हवेली की राजधानी है। दुधानी झील के किनारे ही “मड रश 2015”का आयोजन किया जा रहा है। यहां प्रतियोगी पूरी तरह कीचड़ में लिपटे हुए होंगे और उन्हें पांच किलोमीटर की दूरी तक कीचड़ में आनेवाली बाधाओं को पार कर पहुंचना होगा। बाधाओं को इस तरह तैयार किया गया है जो मानसिक और भावनात्मक सीमाओं तक आपको परेशान करेगा- आयोजक इस बात का दावा करते हैं। बाधा दीवार, टायर से तैयार की गई बाधा, आग, बर्फ जैसी कुछ बाधाएं हैं जिसे प्रतियोगियों को पार करना होगा।
केरल के प्रसिद्ध “बैकवाटर”शहर अलाप्पुजा के पुन्नमदा झील किनारे हर वर्ष होनेवाली नेहरू ट्रॉफी सर्प नौका दौड़ में शामिल होनेवालों की चीख इतनी तेज होती है कि जैसे आवाज फट जाएगी। इस नौका दौड़ को देखने के अलावा आप यहां कथकली कार्यक्रम में भी हिस्सा ले सकते हैं और यहां के स्वादिष्ट व्यंजन भी जरूर चखें।
8-9 अगस्त
कवि और नोबल पुरस्कार से सम्मानित रविंद्रनाथ टैगोर ने शांति निकेतन में स्वंय के द्वारा स्थापित विश्व भारती विश्वविद्यालय के उत्सव के कैलेंडर को तैयार किया था। पश्चिम बंगाल राज्य मौसम द्वारा निर्देशित होता है। वैसे भी कृषि प्रधान देश भारत में मानसून एक महत्वपूर्ण मौसम होता है। रविंद्रनाथ टैगोर ने दो सांस्कृतिक उत्सव तैयार किए थे, हलाकर्षण (खेत में हल चलाना) और वृक्षारोपण। विश्वविद्यालय के शिक्षक, छात्र और दूसरे कर्मचारी इस उत्सव में हिस्सा लेते हैं।
15 अगस्त
इस दिन भारत में आप कहीं भी हों, सुबह जल्दी उठें, अपने तिरंगे के प्रति सम्मान प्रकट करें, अपने साथियों के साथ खड़े होकर राष्ट्रीय गीत गाएं। स्वतंत्रता दिवस को हमारे देश में इसी तरह मनाए जाने की परंपरा है। बहुत सारी संस्थाएं इस दिन समाज कल्याण से जुड़े कार्यक्रम, सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करती हैं। इस वर्ष 2015 में 15 अगस्त को शनिवार का दिन है तो आप रविवार की छुट्टी के साथ भी कोई योजना भी बना सकते हैं।
15 अगस्त के दिन यदि पुड्डुचेरी में हैं तो यहां के वीर सालाना कार महोत्सव में जरूर हिस्सा लें। पॉन्डिचेरी शहर से सात किलोमीटर दूर समुद्र के किनारे बसे गांव वीरामपट्टीनम में कार महोत्सव लगता है।
16-18 अगस्त
इस वर्ष 15 अगस्त के बाद अपनी छुट्टियों को कुछ दिन और आगे बढ़ाएं। मध्यप्रदेश के मांडू में ये समय बारिश की बूंदों के बीच बेहद रुहानी होता है। बरसात के मौसम में इस ऐतिहासिक जगह की खूबसूरती की तुलना में भारत की कुछ ही जगहें टिकेंगी। मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग ने मांडू में इस मौके पर एक उत्सव का आयोजन किया है जो 16 अगस्त से शुरू होगा। इसमें ‘हैरिटेज वाक’और जामी मस्जिद मैदान में आयोजित कार्यक्रम भी शामिल हैं, जिसमें लोक नृत्य, संगीत, कला शिविर, खानेपीने का मेला, फोटोग्राफी प्रतियोगिता आदि शामिल हैं। बाज बहादुर और रूपमती के प्रेम पर आधारित गीतों के कार्यक्रम में जरूर जाएं, ये बिलकुल जुदा अनुभव होगा।
17-18 अगस्त
तीज का उत्सव यूं तो पूरे उत्तर भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है लेकिन सबसे ज्यादा उत्साह आपको राजस्थान में देखने को मिलेगा। जो दैवीय जोड़ी शिव और पार्वती के सम्मान में आयोजित किया जाता है। विवाहित महिलाएं खासतौर पर इस उत्सव में शामिल होती हैं। बहुत सारी जगहों पर खूबसूरत रंगबिरेंगे परिधान में देवी पार्वती की मूर्ति स्थापित की जाती है। ये त्योहार सावन के महीने को उत्सव के रूप में मनाए जाने का मौका भी है, घर-घर में झूले डाले जाते हैं, उन्हें फूलों से सजाया जाता है, परिवार के लोग, दोस्त, सखियां एक दूसरे के साथ झूले का आनंद लेती हैं।
18 अगस्त
पश्चिम बंगाल के बीरभूमि जिले में आइये, यहां विष्णुपुर कस्बा टेराकोटा के मंदिरों और खिलौनों के लिए जाना जाता है, यहां की सिल्क बालुचारी साड़ी भी बहुत मशहूर है, इसके साथ ही हाथ से बनी कई सारी वस्तुएं। सावन महीने के आखिरी दिन यहां के लोग मनसा पूजा आयोजित करते हैं जो कि नागों की देवी मनासा के सम्मान में होती है। इस दिन पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा यहां तक कि बांग्लादेश के भी संपेरे इकट्ठा होते हैं और सांपों को अपनी बीन के इशारे पर नियंत्रित करते हैं। इसे यहां झापण के नाम से जाना जाता है। पहले यह उत्सव राज परिवार की ओर से आयोजित किया जाता था, जिसमें विजेता संपेरे को सम्मानित भी किया जाता था और उसे मिट्टी से बने बाघ पर पर बिठाकर घुमाया जाता था। लेकिन वक्त के साथ-साथ झापण की चमक फीकी पड़ती गई।
19 अगस्त
नागपंचमी का त्योहार पूरे देश में मनाया जाता है। यह मिथकीय अवधारणा पर आधारित त्योहार है, जिसमें सांप को दूध पिलाया जाता है। महाराष्ट्र के सांगली जिले में नाग पंचमी त्योहार काफी धूमधाम के साथ मनायी जाती है। पहले तो जिंदा सांप को पूजा के लिए लाया जाता था लेकिन 2002 में बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के बाद इसे रोक दिया गया।
केरल में ओणम के 10 दिन के उत्सव के आरंभ में यहां की लोक कला से जुड़ी पेशकश का आनंद उठाइये। यह कोच्ची के पास एनारकुलम जिले में मनाया जाता है। इसके मुख्य आकर्षण में सजे-धजे हाथी, रंगबिरंगी गाड़ियां और यहां बहता संगीत होता है। ओणम का उत्सव पूरे केरल में मनाया जाता है। इसके चौथे दिन पुलिकाली लोक कलाकार (जो कि चीते और शिकारियों के रूप में वेशभूषा धारण करते हैं) थ्रिसूर में इकट्ठा होकर अपने हुनर का प्रदर्शन करते हैं।
29 अगस्त
पारंपरिक तौर पर रक्षा बंधन का पर्व घर के अंदर मनाया जाने वाला त्योहार है। जो भाई और बहन के रिश्ते को मजबूत करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं। लेकिन अब इसे बड़े फलक पर भी मनाया जाने लगा है। इस दिन कई सार्वजनिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाने लगे हैं।
31 अगस्त
यह केरल में इस वर्ष की नौका दौड़ देखने का आखिरी मौका है। अरणामुला में नौकार दौड़ का आयोजन किया जाता है। इसे देखने के बाद जब आप लौटेंगे तो कभी न भूलने वाला एक यादगार अनुभव आपके साथ होगा।